कोलगेट : पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को कोर्ट का समन, बतौर आरोपी पेशी के आदेश
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कोलगेट : पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को कोर्ट का समन, बतौर आरोपी पेशी के आदेश

ओडिशा में 2005 में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन से जुड़े कोयला घोटाला के एक मामले में विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख और तीन अन्य को बुधवार को आरोपी के तौर पर सम्मन जारी किए और आठ अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है। उधर, मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं कानूनी जांच के लिये तैयार हूं, मुझे यकीन है कि सच्चाई सामने आएगी।

कोलगेट : पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को कोर्ट का समन, बतौर आरोपी पेशी के आदेश

नई दिल्‍ली : कोल ब्‍लॉक आबंटन केस में नया मोड़ आ गया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को कोयला घोटाले में एक बड़ा फैसला देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी के तौर पर सम्‍मन जारी किया है। जानकारी के अनुसार, ओडिशा में 2005 में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन से जुड़े कोयला घोटाला के एक मामले में विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख और तीन अन्य को बुधवार को आरोपी के तौर पर सम्मन जारी किए और आठ अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है। उधर, कोयला घोटाला मामले में एक आरोपी के तौर पर अदालत की ओर से सम्‍मन किए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं कानूनी जांच के लिये तैयार हूं, मुझे यकीन है कि सच्चाई सामने आएगी।
उन्‍होंने यह भी कहा कि मैं इससे दुखी हूं लेकिन ये सब जिंदगी का हिस्‍सा है।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने आईपीसी की धाराओं 120 बी (आपराधिक साजिश) और 409 (किसी लोकसेवक, या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (पीसीए) के प्रावधानों के तहत छह आरोपियों को कथित अपराधों के लिए सम्मन किया है। इन तीनों के अलावा अदालत ने मामले में हिंडाल्को, इसके अधिकारियों शुभेंदु अमिताभ और डी भट्टाचार्य को भी आरोपी के तौर पर सम्मन किया। दोषी ठहराए जाने पर आरोपियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

ये मामला 2005 में हिंडाल्को को ओडिशा में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन करने से जुड़ा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार था। बीआई ने आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और पीसीए के प्रावधानों के तहत अपनी एफआईआर में कथित अपराध के लिए पारख, बिड़ला, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अन्य अज्ञात लोगों का नाम लिया है। हालांकि, एजेंसी ने बाद में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी जिसे उसने मानने से इंकार कर दिया।

अदालत ने पिछले साल 16 दिसंबर के अपने आदेश में सीबीआई से पूर्व प्रधानमंत्री सिंह और उनके तत्कालीन प्रधान सचिव टीकेए नायर और तत्कालीन निजी सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम सहित उस समय प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के कुछ शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ करने को कहा था। पारख एवं हिंडाल्को ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कोई गलत काम किया है। यह आदेश जारी करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि मैं छह आरोपियों हिंडाल्को, शुभेंदु अमिताभ, डी भट्टाचार्य, कुमार मंगलम बिड़ला, पीसी पारख और डाक्टर मनमोहन सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 एवं 409 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1) सी तथा 13 (1, डी 3) के तहत हुए अपराध का संज्ञान ले रहा हूं। रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1, सी) लोकसेवकों द्वारा उन्हें सौंपी गई संपत्ति का दुरपयोग या किसी अन्य व्यक्ति को इसका दुरुपयोग करने की अनुमति प्रदान करने से जुड़ा है। धारा 13 (1, डी, 3) लोकसेवक द्वारा किसी व्यक्ति के लिए वित्तीय लाभ प्राप्त करने से जुड़ा है जिसमें कोई लोकहित शामिल न हो।

गौर हो कि साल 2005 में जब बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को ओडिशा के तालाबीरा द्वितीय और तृतीय में कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए थे, तब कोयला मंत्रालय का प्रभार पूर्व प्रधानमंत्री के पास था। दिसंबर महीने में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और जांच की जरूरत पर बल देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री का बयान दर्ज करने का निर्देश दिया था।

इससे पहले 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान स्पेशल सीबीआई जज भरत पाराशर ने सीबीआई से सवाल किया था कि उसने कोयला घोटाले के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पूछताछ क्यों नहीं की, जबकि हिंडाल्को को कोल ब्लॉक आवंटित किए जाने के वक्त 2005-09 के दौरान सिंह ही कोयला मंत्री भी था। उधर, कांग्रेस का मानना है कि मनमोहन सिंह बेदाग और ईमानदार हैं।

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