वर्मा को हटाकर मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में 'आखिरी कील' ठोंक दी है: कांग्रेस
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वर्मा को हटाकर मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में 'आखिरी कील' ठोंक दी है: कांग्रेस

कांग्रेस ने यह सवाल भी किया कि क्या सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को इसलिए 'बर्खास्त' किया गया क्योंकि वह राफेल घोटाले में 'भ्रष्टाचार की परतों' की जांच करना चाह रहे थे.

कांग्रेस नेता ने सीबीआई के डीएसपी अजय बस्सी का तबादला पोर्ट ब्लेयर किए जाने को 'निरंकुश मोदी जी द्वारा दी गई काला पानी की सजा' करार दिया.

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह सीबीआई के कामकाज में दखल दे रहे हैं. पार्टी ने यह सवाल भी किया कि क्या सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को इसलिए 'बर्खास्त' किया गया क्योंकि वह राफेल घोटाले में 'भ्रष्टाचार की परतों' की जांच करना चाह रहे थे. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वर्मा को हटाकर मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में 'आखिरी कील' ठोंक दी है. 

सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'सीबीआई को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने और कमजोर करने का काम अब पूरा हो चुका है. कभी प्रतिष्ठित जांच एजेंसी रही, लेकिन अब प्रधानमंत्री सुनिश्चित कर रहे हैं कि सीबीआई की निष्ठा और विश्वसनीयता दफन और खत्म हो जाए'.  उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की परतों की जांच करने की इच्छा के कारण सीबीआई निदेशक को बर्खास्त किया गया? क्या यह मामले को दबाने की कोशिश नहीं है? प्रधानमंत्री जवाब दें'. 

बहरहाल, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन आरोपों को 'बकवास' करार दिया कि वर्मा को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह राफेल करार की जांच करना चाह रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को हटाने का फैसला केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की सिफारिशों पर आधारित है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीवीसी के पास हटाने, नियुक्ति या पुन: नियुक्ति में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और यह एक पर्यवेक्षी निकाय है.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और भाजपा के वरिष्ठ नेता राफेल मुद्दे को लेकर भयभीत हैं और उन्होंने केन्द्र तथा सीबीआई में 'गुजरात मॉडल' को लागू किया है. सिंघवी ने दावा किया कि सरकार ने इस प्रमुख एजेंसी पर नियंत्रण करने के लिए वर्मा को हटाया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने वर्मा को हटाने के अपने कदम के साथ सीबीआई अधिनियम का उल्लंघन भी किया है.

पूर्व कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि सीबीआई निदेशक को हटाया जाना 'अवैध, अनैतिक और असंवैधानिक' है. कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'सरकार ने सीबीआई निदेशक को पद से क्यों हटा दिया और उनके दफ्तर को सील क्यों कर दिया? वे किसे बचा रहे हैं और किसे छुपा रहे हैं?' 

वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि लोकपाल कानून और जैन हवाला कांड में उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक, सीबीआई निदेशक का कार्यकाल दो साल निर्धारित है. तिवारी ने कहा, 'प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता की सदस्यता वाली समिति की बैठक के बगैर सरकार सीबीआई निदेशक के कार्यकाल में कटौती नहीं कर सकती और न ही कोई अंतरिम उपाय कर सकती है' 

सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, 'राफेल घोटाले की जांच से डर कर मोदी भारत की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी की हत्या कर रहे हैं'. उन्होंने ट्वीट किया, 'अधिकारियों को हटाया जा रहा है. फासीवाद कायम हो रहा है. इससे डूबती 'सल्तनत' नहीं बचा सकते. मोदी जी, राफेल की जांच से आप इतना डर क्यों गए हैं?' कांग्रेस नेता ने सीबीआई के डीएसपी अजय बस्सी का तबादला पोर्ट ब्लेयर किए जाने को 'निरंकुश मोदी जी द्वारा दी गई काला पानी की सजा' करार दिया. 

(इनपुट-भाषा)

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