बुंदेलखंड में राहुल ने पहली बार देखे थे मजदूरों के हाथ में छाले!
Advertisement

बुंदेलखंड में राहुल ने पहली बार देखे थे मजदूरों के हाथ में छाले!

राहुल गांधी ने बुंदेलखंड का पहला दौरा 2008 में किया था. इस दौरान वे कई गांव में गए, लोगों की फटे हाल जिंदगी देखी. 

राहुल गांधी (फाइल फोटो)

झांसी: कांग्रेस के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की राजनीति की प्राथमिक पाठशाला बुंदेलखंड रही है, यहीं से उन्होंने गरीबी को करीब से देखा. इतना ही नहीं एक मजदूर से हाथ मिलाते समय उसके हाथ पर उभरे छालों पर सवाल भी पूछा, तब उसने बताया था कि साहब पत्थर तोड़ने, कुल्हाड़ी चलाने से भट्ट (छाले) पड़ जाती है, जो कई बार तो जिंदगी भर यूं ही रहती है. यह वाकया है अब से लगभग छह साल पहले का. 

  1. राहुल गांधी ने 2008 में बुंदेलखंड का दौरा किया
  2. टीकमगढ़ में एक दलित के घर रात बिताई थी
  3. उनकी पहल पर यूपीए सरकार ने बुंदेलखंड को विशेष पैकेज दिया

विशेष पैकेज
राहुल गांधी ने बुंदेलखंड का पहला दौरा 2008 में किया था. इस दौरान वे कई गांव में गए, लोगों की फटे हाल जिंदगी देखी. यहां के हालत को देखने के बाद ही उनकी पहल पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैले इस इलाके के लिए 7,266 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज 2009 में घोषित किया. यह बात अलग है कि यह पैकेज यहां के हालात नहीं बदल पाया. वर्ष 2008 के बाद राहुल गांधी के इस इलाके में कई दौरे हुए. वे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के अधिकांश जिलों तक सड़क मार्ग से पहुंचे. इसके चलते उन्होंने ग्रामीण भारत को समझा होगा, ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है. वे दलित के घर सोए और वहां खाना भी खाया. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि राहुल जी ने बुंदेलखंड का कई बार दौरा कर यहां की समस्याओं को जाना, गरीबों के दर्द को समझा. इस इलाके के लोगों की दशा और दिशा क्या है, उसे करीब से जाना. उन्हें गरीबी और अभाव ग्रस्त लोगों की जिंदगी को नजदीक से महसूस कराने में यहां की मिट्टी का बड़ा योगदान रहा है. यही कारण रहा कि राहुल गांधी ने बुंदेलखंड के लिए वो किया, जो कोई और नहीं कर पाया.

राहुल गांधी ने रविवार शाम पार्टी नेताओं को डिनर पर बुलाया, तय हो सकती है कोर टीम!

दलित के घर बिताई रात
राहुल ने टीकमगढ़ जिले के एक गांव में दलित के घर रात बिताई. वे जिस खाट पर सोए थे, वह खाट कई वर्षो तक खड़ी ही रखी गई, उसे बिछाया नहीं और न ही कोई उस पर दलित के परिवार का सदस्य लेटा या सोया. दलित परिवार ने उसे राहुल की खटिया नाम ही दे दिया था. राहुल गांधी का जनवरी, 2012 में बुंदेलखंड का चार दिवसीय दौरा हुआ. इस दौरान एक पत्रकारों का दल उनकी अनेक रैलियां और सभाओं तक पहुंचा. इस दल में शामिल होने के चलते देखा कि राहुल गांधी हर व्यक्ति से मिलने में दिलचस्पी लेते थे. 

बुंदेलखंड के वरिष्ठ छायाकार विपिन साहू ने राहुल गांधी के कई प्रवास के दौरान उनकी तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया है. उन्होंने बताया, "राहुल के कई कार्यक्रमों में देखा कि वे कई लोगों से एक साथ मिलने की चाहत रखते हैं. ऐसा ही कुछ झांसी में हुआ, वे एक मजदूर का हाथ पकड़ कर रह गए और कुछ देर के लिए ठिठक गए. उसके हाथ का पंजा सीधा करते हुए बोले, ये क्या है, मजदूर बोला भट्ट (छाले). फिर सवाल, यह कैसे हो गया, मजदूर का जवाब, साहब काम करते हैं, हथौड़ा, कुदाली, सब्बल चलाते हैं, जिससे यह बन जाते हैं. मजदूर के जवाब ने राहुल को गरीबी और मजदूरी दोनों से एक साथ परिचित करा दिया था. मजदूर का हाथ देखते राहुल वाली तस्वीर काफी चर्चाओं में रही थी." 

अमेठी में राहुल बने शिव भक्त, पोस्टरों में बताया परशुराम का वंशज

बुंदेलखंड के राहुल गांधी के जनवरी, 2012 के प्रवास में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन द्विवेदी अहम भूमिका में थे. उसकी वजह यह रही कि द्विवेदी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले के अतर्रा से आते हैं और यहां कॉलेज में पढ़ाते भी रहे हैं. राहुल ने अपनी यात्रा पूरी होने के बाद कुछ चुनिंदा पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत की, शर्त थी कि इसे न तो कोई चैनल दिखाएगा और न ही छापेगा. बैठक ठीक उस कक्षा की तरह थी, राहुल और पत्रकार आमने-सामने थे. बीच में कोई टेबल अथवा कांग्रेस का नेता भी बाधक नहीं था. वहीं सामने बैठे आठ से दस पत्रकार. 

पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान राहुल ने जहां बुंदेलखंड की समस्याओं पर खुलकर चर्चा की, वहीं पत्रकारों से सुझाव भी मांगे. इस दौरान दो वाकये हुए जो राहुल के अंदर के एक नेक इंसान को जाहिर करते हैं. एक महिला पत्रकार के पेन का ढक्कन गिरा तो उसे राहुल ने खुद अपनी कुर्सी से उठाकर सौंपा. इसके बाद जमीन में रखे चाय के थर्मोकोल में किसी का पैर न लगे, इसका भी ध्यान दिलाया. 

राहुल गांधी को केदारनाथ मंदिर के दर्शन के दौरान हुई थी 'खास अनुभूति' : हरीश रावत

राजनीति के जानकारों का मानना है कि राहुल बीते लगभग 10 साल में काफी परिपक्व हो गए हैं. उनकी राजनीतिक समझ भी बढ़ी है, समस्याओं को भी करीब से देखा है. उनकी यह समझ बढ़ाने में बुंदेलखंड का बड़ा योगदान है. अब वे पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं, जिम्मेदारी बड़ी है, अब उनकी क्षमता व योग्यता की असली परीक्षा होगी.

(इनपुट: आईएएनएस)

Trending news