राज्यसभा चुनाव में NOTA का इस्तेमाल, कांग्रेस ने किया विरोध
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राज्यसभा चुनाव में NOTA का इस्तेमाल, कांग्रेस ने किया विरोध

कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं को नोटा (इनमें से कोई नहीं) विकल्प दिए जाने का विरोध किया है. कांग्रेस मंगलवार को न सिर्फ  संसद में इसका कड़ा विरोध किया बल्कि बाद में चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंप कर उससे यह कदम नहीं उठाने के लिए कहा. 

कांग्रेस ने मांग की है कि राज्यसभा चुनाव के लिए नोटा के प्रावधान को लागू नहीं करना चाहिए. (प्रतीकात्म तस्वीर)

नई दिल्ली : कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं को नोटा (इनमें से कोई नहीं) विकल्प दिए जाने का विरोध किया है. कांग्रेस मंगलवार को न सिर्फ  संसद में इसका कड़ा विरोध किया बल्कि बाद में चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंप कर उससे यह कदम नहीं उठाने के लिए कहा. 

कांग्रेस ने कानूनों का हवाला

चुनाव आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि आयोग को आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए मत पत्र में नोटा के प्रावधान को लागू नहीं करना चाहिए. पार्टी ने इस ज्ञापन में कहा कि राज्यसभा जैसे परोक्ष चुनाव में नोटा का प्रयोग संविधान के अनुच्छेद 80 (4), जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 और चुनाव संचालन नियम 1961 तथा उच्चतम न्यायालय के कुलदीप नैयर बनाम भारत सरकार (2006) के फैसले के दृष्टिकोण से खिलाफ है. 

राज्यसभा में उठा नोटा का मुद्दा

इससे पहले मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा द्वारा उठाये गये इसी मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी. राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, बसपा के सतीश मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने इस मामले पर सत्तापक्ष से जवाब मांगने की सभापति से मांग की.  

जेटली ने कहा चुनाव आयोग एक संवैधानिक स्वायत्त निकाय

इस पर नेता सदन अरुण जेटली ने कहा कि नोटा की अधिसूचना चुनाव आयोग ने जारी की थी. संवैधानिक स्वायत्त निकाय के रूप में आयोग द्वारा किए गए किसी फैसले पर चर्चा करने के लिये राज्य सभा उपयुक्त मंच नहीं है. सभापति हामिद अंसारी ने जेटली के पक्ष से सहमति जताते हुये कहा कि प्रश्नकाल के दौरान इस विषय को उठाने की वह अनुमति नहीं दे सकते हैं.  विपक्ष का हंगामा नहीं थमने पर सभापति अंसारी ने 12 बजकर दस मिनट पर सदन की कार्रवायी दस मिनट के लिये स्थगित कर दी.

बसपा ने भी किया नोटा का विरोध

सदन की कार्यवाही फिर से शुरु होने पर बसपा के सतीश मिश्रा ने नोटा विकल्प जोड़ने से राज्यसभा का चुनाव ही अवैध हो जाने की आशंका जताते हुए सभापति से यह मुद्दा सदन में उठाने की अनुमति देने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ नोटा पर वोट देने वाले जनप्रतिनिधियों की अपनी पार्टी की सदस्यता खतरे में पड़ जायेगी बल्कि संवैधानिक संकट भी खड़ा हो जायेगा. इसके समर्थन में सपा के नरेश अग्रवाल ने सभापति से सदन द्वारा इस मामले पर संज्ञान लेने की मांग की. लेकिन अंसारी ने कहा कि सदस्य अगर इस मसले पर चर्चा कराना चाहते हैं तो उन्हें पहले नोटिस देना होगा.

दो बार स्थगित हुई सदन की कार्यवाही

अंसारी ने कहा कि नेता सदन ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट कर दी है इसलिये वह प्रश्नकाल में यह मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं देंगे.  इस पर विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा एक बार फिर शोरशराबा शुरू करने पर सभापति ने दोपहर दो बजे तक के लिये सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी थी.

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