संप्रग के कार्यक्रमों को हल्का बनाने वाले विधेयकों को समर्थन नहीं : कांग्रेस
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संप्रग के कार्यक्रमों को हल्का बनाने वाले विधेयकों को समर्थन नहीं : कांग्रेस

सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के पहले, कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए लाये जाने वाले विधेयकों का विरोध करेगी। पार्टी का कहना है कि संबंधित कानूनों में जो बदलाव लाये गये हैं, वह उसे स्वीकार्य नहीं है।

नई दिल्ली : सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के पहले, कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए लाये जाने वाले विधेयकों का विरोध करेगी। पार्टी का कहना है कि संबंधित कानूनों में जो बदलाव लाये गये हैं, वह उसे स्वीकार्य नहीं है।

कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार ने यहां संवाददाताओं द्वारा इस मुद्दे पर पूछे गये अनेक सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘यह बहुत ही स्पष्ट है कि अध्यादेश के जरिये जो बदलाव लाये गये हैं वह हमें स्वीकार्य नहीं है। निश्चितरूप से हम इसका विरोध करने जा रहे हैं ..ये जनता के हित में नहीं हैं।'

उन्होंने कहा की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की उस टिपपणी के बाद पार्टी लाइन पहले ही स्पष्ट हो गयी है जिसमें उन्होंने कहा है कि संप्रग सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को कमजोर बनाने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से उनकी पार्टी से समर्थन की उम्मीद करना ‘विचित्र’ बात होगी।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव पटेल ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, ‘जरूरतमंद लोगों के लिए संप्रग की नीतियों और कार्यक्रमों को कमजोर बनाने के बाद सरकार की ओर से कांग्रेस से समर्थन की अपेक्षा करना विचित्र बात होगी।’

पटेल के इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह बयान संसद के बजट सत्र के शुरू होने से तीन दिन पहले आया है। इस सत्र के दौरान सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों को विचार एवं पारित करने के लिए ला रही है जिसमें विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश भी शामिल है। बजट सत्र से पहले नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कई लंबित विधेयकों को पारित कराने के लिए विपक्ष को साथ लाने का प्रयास कर रही है।

सरकार ने इस दिशा में रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे।

भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को लोकसभा में बहुमत हासिल है लेकिन राज्यसभा में उसका आकड़ा बहुमत तक नहीं पहुंचता। सरकार को कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को इस बजट सत्र में पारित कराने की जरूरत है जो अध्यादेशों का स्थान लेंगे। इन अध्यादेशों में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश शामिल हैं।

 

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