कांग्रेस-तृणमूल में ये कैसा गठजोड़? दिल्ली में दोस्ती, कोलकाता में बैर
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कांग्रेस-तृणमूल में ये कैसा गठजोड़? दिल्ली में दोस्ती, कोलकाता में बैर

कांग्रेस आलाकमान ने अपनी पश्चिम बंगाल ईकाई की उस मांग को मान लिया है, जिसमें राज्य स्तर पर तृणमूल कांग्रेस से किसी तरह का संबंध न रखने की बात कही गई थी. हालांकि, कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल से सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस की इस नीति के पीछे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए एकजुटता बनाना है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी (फोटो-पीटीआई)

नई दिल्ली : कांग्रेस आलाकमान ने अपनी पश्चिम बंगाल ईकाई की उस मांग को मान लिया है, जिसमें राज्य स्तर पर तृणमूल कांग्रेस से किसी तरह का संबंध न रखने की बात कही गई थी. हालांकि, कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल से सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस की इस नीति के पीछे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए एकजुटता बनाना है.

कांग्रेस नेतृत्व के इस फैसले के बाद राज्य के पार्टी कार्यकर्ता काफी राहत महसूस कर रहे हैं. उन्हें डर था कि अगर राज्य स्तर पर कांग्रेस और तृणमूल में गठजोड़ हो जाता है तो राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी के तौर पर वह ममता सरकार की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज कैसे उठाएगी. कांग्रेस के इस फैसले से पहले पार्टी के विधायक दल के नेता अब्दुल मन्नान ने हाल ही में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की थी. इस फैसले के बाद अब कांग्रेस अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव में अकेले ही उतरेगी.

मालूम हो कि कांग्रेस कार्यकर्ता उस वक्त बेहद असमंजस में आ गए थे, जब नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के विरोध में दिल्ली में ममता बनर्जी और राहुल गांधी ने साझा प्रेस वार्ता बुलाई थी. पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी के महासचिव देवव्रत बोस ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में हम आधिकारिक तौर पर विपक्षी पार्टी हैं, सीपीएम नहीं. ममता की जनविरोधी फैसलों का विरोध करना हमारी जिम्मेदारी है. अगर हम मुद्दों पर आधारित आंदोलन बंद कर तृणमूल से समझौता करते हैं तो बतौर विपक्षी पार्टी हमारी विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाएगी.'

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