नागरिक स्वतंत्रता को कम करने से अव्यवस्था और अराजकता आएगी : पूर्व CJI मिश्रा
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नागरिक स्वतंत्रता को कम करने से अव्यवस्था और अराजकता आएगी : पूर्व CJI मिश्रा

पूर्व CJI ने कहा कि स्वतंत्रता के बगैर जीवन निरर्थक है और स्वतंत्रता के लिए असहमति का अवश्य ही स्वागत करना चाहिए.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा ने शनिवार को कहा कि स्वतंत्रता एक स्थायी महत्व की चीज है, जिसका लेन - देन नहीं किया जा सकता. वहीं, नागरिक स्वतंत्रता को किसी तरह से कमतर करना अव्यवस्था और अराजकता की ओर ले जाएगा. दैनिक जागरण की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर यहां आयोजित जागरण फोरम में मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता के बगैर जीवन निरर्थक है और स्वतंत्रता के लिए असहमति का अवश्य ही स्वागत करना चाहिए. 

गौरतलब है कि उन्होंने उन पीठों की अध्यक्षता की थी जिन्होंने स्वतंत्रता, यौन स्वायत्ता और गरिमा से जुड़े अहम फैसले दिए थे. मिश्रा ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘जब सरकार जनता से डरती है, तब यह स्वतंत्रता है. जब जनता सरकार से डरती है, तब यह निरंकुशता है.’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि (विकल्प) चुनने का अधिकार स्वतंत्रता का हिस्सा है. 

उन्होंने कहा कि नागरिक स्वतंत्रता राष्ट्र का आधार है और उन्हें कमजोर करने से अराजकता आएगी. उन्होंने कहा कि नागरिक अधिकारों का संरक्षण एक मात्र निर्देशक शक्ति होनी चाहिए. पैनल चर्चा में पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सबरीमला मुद्दे पर कहा कि पांच न्यायाधीश बैठ कर यह फैसला नहीं कर सकते कि सैकड़ों बरसों से जो (परंपरा) चली आ रही है, वह सही है या गलत है. उच्चतम न्यायालय का फैसला गलत है. मैं इस फैसले में असहमत रहने वाले न्यायाधीश से सहमत हूं, जिन्होंने कहा था कि धार्मिक परंपराओं को तर्क की कसौटी पर नहीं परखा जा सकता. सबरीमला पर उच्चतम न्यायालय का फैसला तर्क पर आधारित था. 

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता एक स्थायी महत्व की चीज है और हम इसका लेन - देन नहीं कर सकते. जब नागरिक की स्वतंत्रता का लेन - देन किया जाता है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है.

(इनपुट-भाषा)

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