देश की खातिर कमांडेंट चेतन चीता सीने पर झेल गए 9 गोलियां, 45 दिन कोमा में रहे, अब ड्यूटी पर लौटे
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देश की खातिर कमांडेंट चेतन चीता सीने पर झेल गए 9 गोलियां, 45 दिन कोमा में रहे, अब ड्यूटी पर लौटे

जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा के हाजिन क्षेत्र में आतंकियों के साथ एक साल पहले गोलीबारी में बुरी तरह घायल हुए CRPF कमांडेंट चेतना चीता दोबारा ड्यूटी पर लौट आए हैं. चेतन चीता ने CRPF हेडक्वार्टर दिल्ली में ड्यूटी संभाली है.

14 फरवरी 2017 को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में CRPF कमांडेंट को 9 गोलियां लगी थीं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा के हाजिन क्षेत्र में आतंकियों के साथ एक साल पहले गोलीबारी में बुरी तरह घायल हुए CRPF कमांडेंट चेतना चीता दोबारा ड्यूटी पर लौट आए हैं. चेतन चीता ने CRPF हेडक्वार्टर दिल्ली में ड्यूटी संभाली है.14 फरवरी 2017 को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में CRPF कमांडेंट को 9 गोलियां लगी थीं. 9 गोलियां चेतन चीता के पेट, हाथ, हिप्स, आंख और दिमाग समेत कई अंगों में लगी थीं. वे डेढ़ महीने तक कोमा में रहे थे, जिसके बाद उनको होश आया था. उनका जिंदा बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं है. ड्यूटी पर लौटने के बाद चेतन चीता ने कहा कि मैं ड्यूटी पर लौटकर काफी खुश हूं. इस वर्दी के बिना मेरी जिंदगी अधूरी है.

  1. 1 साल बाद ड्यूटी पर लौटे चेतन चीता
  2. आतंकियों के 9 गोलियों के हुए थे शिकार
  3. कश्मीर में सेना अपना बेस्ट कर रही है- चीता

CRPF की 45वीं बटालियन के कमांडेंट थे चेतन चीता
CRPF की 45वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन चीता कई गोलियां लगने के बावजूद मौके पर डटे रहे. उन्होंने अपनी टीम के साथ आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उनके मंसूबे को नाकाम कर दिया था. उनके इस कारनामे के लिए चेतन चीता को स्वतंत्रता दिवस के दिन दूसरे सबसे बड़े वीरता पदक 'कीर्ति चक्र' से सम्मानित किया गया. सेनाध्यक्ष और गृह मंत्री समेत पूरे देश ने चेतन चीता की जांबाजी की सराहना की थी.

कश्मीर का हल राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही संभव है- चेतन
ड्यूटी पर लौटने के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर चेतन चीता ने कहा कि वहां की स्थिति संभलने में कुछ वक्त लगेगा. सुरक्षाबलों के हाथ में जो कुछ है, वे कर रहे हैं. कश्मीर मसले के हल के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति बहुत जरूरी है. चेतना चीता इसस पहले भी इस बात को दोहरा चुके हैं.

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पूरी तरह से ठीक होने में लगेंगे दो साल
आतंकियों से मुकाबले में चेतन चीता ने अपनी एक आंख गंवा दी है. उनके शरीर पर घाव के निशान अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं. हाथ पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है, जिसके लिए वे फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट ले रहे हैं. उनके मुताबिक पूरी तरह से ठीक होने में दो साल का वक्त लग जाएगा. फील्ड ड्यूटी को लेकर उन्होंने कहा कि अगर मुझे फील्ड ड्यूटी मिलेगी तो उसे स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं होगी. ड्यूटी पर लौटने से पहले ही इस बहादुर ऑफिसर ने माउंट आबू में CRPF एकेडमी में जाकर जवानों को मोटिवेशनल स्पीच दी थी.

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