दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर एक शख्स लोगों की मदद करता दिख जाता है. फटे हुए कपड़े और शरीर पर मिट्टी लिए ये शख्स फर्राटेदार इंग्लिश भी बोलता है.
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नई दिल्ली: दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर एक शख्स लोगों की मदद करता दिख जाता है. फटे हुए कपड़े और शरीर पर मिट्टी लिए ये शख्स फर्राटेदार इंग्लिश भी बोलता है. शिक्षा के मामले में भी वो कई लोगों से बढ़कर है. वे दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी मानी जानी वाली ऑक्सफोर्ड से पढ़े हुए हैं, लेकिन आज अपने बेटों के कारण वे सड़क पर सोने को मजबूर हैं. पेट भरने के लिए वे लंगर पर निर्भर हैं. कभी-कभी तो उन्हें दिनभर भूखा रहना पड़ता है. इतनी मुश्किलों के बाद भी इस शख्स का कहना है कि वे मरते दम तक कभी भीख नहीं मांगेंगे, क्योंकि वो कभी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते.
ये कहानी 76 वर्षीय सिख राजा सिंह फूल की है. जो रात में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सोते हैं. सुबह तैयार होने के लिए वे कनॉट प्लेस पर बने सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं. उनके पास एक छोटा सा कांच है जिसके सहारे वे अपनी पगड़ी बांधते हैं. दिन में वे वीजा सेंटर जाते हैं और वहां लोगों की फॉर्म भरने में मदद करते हैं. इसके बदले कई लोग उन्हें पैसे देते हैं. हालांकि, राजा सिंह का साफ कहना है कि वो ये मदद पैसों के लिए नहीं करते.
भाई के कहने पर लौटे थे भारत
फेसबुक पोस्ट पर शेयर हुई एक पोस्ट के मुताबिक, 76 वर्षीय राजा सिंह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के 1964 बैच के स्टूडेंट थे. स्नातक की डिग्री पाने के बाद उन्होंने वहीं पर नौकरी शुरू कर दी. लेकिन अपने भाई बी एस फूल के कहने पर वे वापस भारत आ गए. उन्होंने और भाई ने मिलकर कई बिजनेस में अपना हाथ आजमाया. फूल सिंह बताते हैं कि उनके भाई को शराब की लत थी, इस वजह से वे अकेले ही दिन-रात काम करने में लगे रहते थे.
राजा सिंह कहते हैं कि वे अपने दोनों बेटों को सबकुछ देना चाहते थे. वे नहीं चाहते थे कि उनके सपनों में पैसो रोढ़ा बने. मेहनत से कमाए पैसों से उन्होंने दोनों बेटों को विदेश पढ़ने के लिए भेजा, लेकिन उन्होंने वहीं शादी कर ली. इसके बाद वे अपने पिता को छोड़ गए. जिस उम्र में उन्हें बेटों की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उस उम्र में उन्होंने उन्हें सड़क पर छोड़ दिया. राजा सिंह की पत्नी की भी मौत हो चुकी है. ऐसे में वे अकेले ही जिंदगी को जी रहे हैं.
आत्मसम्मान से समझौता नहीं
राजा सिंह कहते हैं कि आज भले ही उनके जो भी हालात हों, लेकिन वे कभी भी भीख नहीं मांगेंगे. उन्होंने बताया कि वे लंगर में खाते हैं, लेकिन इसके लिए वे किसी न किसी रूप में योगदान भी जरूर देते हैं, क्योंकि वे मुफ्त में कोई भी चीज नहीं लेते. सिंह ने कहा कि अगर में ऐसा नहीं कर पाता हूं तो मुझे वहां खाने का कोई हक नहीं है.
फेसबुक पर राजा सिंह की कहानी शेयर करने वाले शख्स ने हमारी सहयोगी वेबसाइड डीएनए को बताया कि पोस्ट डालने के बाद से कई लोग सिंह की मदद के लिए सामने आए. उन्होंने बताया कि राजा सिंह को अब वृद्धाश्रम भेजा गया है.
(Zee न्यूज इस फेसबुक पोस्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं करता)