‘चाय पे चर्चा’ 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सुर्खियों में आई थी, जब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने देशभर में मतदाताओं से संवाद करने के लिए यह तरीका अपनाया था.
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नई दिल्ली: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कमर कस चुकी आम आदमी पार्टी (AAP) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए ‘चाय पे चर्चा’ का रास्ता अपनाया है. ‘चाय पे चर्चा’ 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सुर्खियों में आई थी, जब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने देशभर में मतदाताओं से संवाद करने के लिए यह तरीका अपनाया था. बता दें कि AAP दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. हालांकि, उसने पंजाब में चार लोकसभा सीटें जीती थीं.
बीजेपी से नहीं ली है ‘चाय पे चर्चा’ की अवधारणा- AAP
अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली AAP ने कहा कि उसने भगवा पार्टी से यह अवधारणा उधार नहीं ली है. पूर्वोत्तर दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के आप प्रभारी दिलीप पांडे ने कहा, ‘‘हम ‘आम आदमी’ तक पहुंचने के लिए 2012 की सर्दियों से ही ‘चाय पे चर्चा’ कर रहे हैं.’’ पार्टी पहले ही दिल्ली में सात में से पांच लोकसभा सीटों के प्रभारियों की घोषणा कर चुकी है. पांडे ने कहा कि आप ने उनके निर्वाचन क्षेत्र में अब तक 300 ‘चाय पे चर्चा’ बैठकें की है. पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि शेष संसदीय क्षेत्रों में भी ऐसी बैठकों की योजना बनायी गई है.
चर्चा में स्थानीय मुद्दे पर हो रही है बात
पार्टी सूत्रों ने कहा कि फरवरी, 2014 में अहमदाबाद में हुई मोदी की चाय पे चर्चा, जो वीडियो कांफ्रेंसिंग और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से पूरे देश में दिखायी गयी थी, के विपरीत AAP की बैठकें ‘ज्यादा करीब और सीधी’ होती हैं, जहां स्थानीय मुद्दे और राजनीतिक विषय चर्चा के केंद्र में होते हैं.
(इनपुट भाषा से)