हरियणा : जाट नेता यशपाल मलिक बोले, 'हमारी रैली तभी टलेगी जब लागू होगा समझौता'
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हरियणा : जाट नेता यशपाल मलिक बोले, 'हमारी रैली तभी टलेगी जब लागू होगा समझौता'

 यशपाल मलिक ने कहा कि पिछले साल जाट आंदोलन के बाद सरकार और संघर्ष समिति के बीच समझौता हुआ था. इस समझौते को प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया. 

यशपाल मलिक ने कहा कि हरियाणा सरकार पूरे एक साल तक समझौते पर कुंडली मारे बैठी रही. (फोटो साभार - ANI)

जींद: अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि 15 फरवरी को जींद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली के समानांतर उनकी रैली और भाईचारा यात्रा तभी टल सकती है जब प्रदेश सरकार पिछले साल संघर्ष समिति के साथ हुए समझौते को 15 फरवरी से पहले पूरी तरह लागू कर दे. उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें अब घोषणा नहीं, सीधे समझौते पर अमल चाहिए. 

'हरियाणा सरकार समझौते पर कुंडली मारे बैठी रही'
मलिक ने कहा कि पिछले साल जाट आंदोलन के बाद सरकार और संघर्ष समिति के बीच समझौता हुआ था. समझौते में खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के हरियाणा प्रभारी अनिल जैन आदि शामिल थे. इस समझौते को प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया. 

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार पूरे एक साल तक समझौते पर कुंडली मारे बैठी रही. जब उनके संगठन ने 15 फरवरी को जींद में शाह की रैली के समानांतर रैली करने और भाईचारा यात्रा निकालने का ऐलान किया, तो तब सरकार ने जाट आरक्षण आंदोलन के सिलसिले में दर्ज 70 मामले वापस लेने की घोषणा की. मलिक ने कहा कि इस तरह बात बनने वाली नहीं है. जो समझौता हुआ था, उसे पूरी तरह लागू किया जाना चाहिए.

एनजीटी ने मांगा केंद्र और हरियाणा सरकार से जवाब
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने जींद में भाजपा प्रमुख अमित शाह की रैली में मोटरसाइकिलों की संख्या कम करने संबंधी याचिका पर केंद्र और हरियाणा सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा. न्यायमूर्ति एस पी वांगदी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय, हरियाणा सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किए. इन सभी को 13 फरवरी तक जवाब देने हैं. हरियाणा के जींद जिले में 15 फरवरी को होने वाली रैली में एक लाख मोटरसाइकिलों के शामिल होने की संभावना है.

यह आदेश ऐसे वक्त आया, जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश होने वाले वकील समीर सोढी ने कहा कि जब समूचा दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है तो ऐसे वक्त् में मोटरसाइकिल रैली से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. अधिकरण वकील विक्टर ढिस्सा की ओर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था . 

याचिकाकर्ता ने 15 फरवरी को होने वाली रैली में बाइकों की संख्या कम रखने की मांग की है. याचिका में दलील दी गयी है कि मोटरसाइकिल की जगह राज्य सरकार को रैली के लिए साइकिल या पर्यावरण अनुकूल परिवहन के माध्यम को अपनाना चाहिए . याचिका में कहा गया है कि यह साइकिल चलाने वाले के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद रहेगा .

(इनपुट - भाषा)

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