पत्‍नी ने समझाया था कि सहन नहीं कर सकते तो राजनीति छोड़ दो: आशुतोष
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पत्‍नी ने समझाया था कि सहन नहीं कर सकते तो राजनीति छोड़ दो: आशुतोष

आशुतोष ने 15 अगस्‍त को आम आदमी पार्टी छोड़ने की घोषणा की.

आशुतोष 2014 में दिल्‍ली की चांदनी चौक सीट से आप के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: करीब साढ़े चार साल तक आम आदमी पार्टी (आप) के साथ जुड़कर सक्रिय राजनीति करने के बाद पिछले दिनों पार्टी छोड़ने वाले आशुतोष अब अपने उन दिनों के अनुभवों को साझा कर रहे हैं. इसी कड़ी में उन्‍होंने कहा कि जब वह शुरू-शुरू में राजनीति में आए, तब भी उनका पत्रकारीय बोध नहीं गया. इस कारण वह खुद को संपादक समझते रहे. ऐसे में जब पत्रकार उनसे सवाल पूछते थे तो कई बार उनको अच्‍छा नहीं लगता था.

  1. आशुतोष ने 15 अगस्‍त को पार्टी छोड़ने का ऐलान किया
  2. उनके सरनेम संबंधी बयान पर विवाद खड़ा हो गया
  3. उन्‍होंने कहा कि वह फिलहाल आप के बारे में कुछ नहीं कहना चाहते

इस क्रम में शुरुआती डेढ़-दो महीनों के बाद पत्‍नी ने समझाया कि अब आप संपादक नहीं हैं. इसलिए पत्रकारों के सवालों का बुरा मत मानिए क्‍योंकि अगर सहन नहीं कर पा रहे हो तो ये सब छोड़ दीजिए. आशुतोष ने ये बातें उन्‍होंने नवोदय टाइम्‍स/ पंजाब केसरी को दिए एक इंटरव्‍यू में कहीं.

जब उनसे यह पूछा गया कि क्‍या पार्टी छोड़ने के बाद आपको पिंजड़े से मुक्ति मिल गई. इस पर आशुतोष ने कहा कि आप ऐसा कह सकते हैं क्‍योंकि जहां आपका मन न लगे, वहां से हट जाना चाहिए. पिछले दो-तीन महीनों से मन उचट गया था. इसके साथ ही यह भी कहा कि आदमी को मूल स्‍वभाव के अनुसार ही काम करना चाहिए.

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मुझे सरनेम जोड़ने के लिए विवश किया गया
इससे पहले आम आदमी पार्टी से अलग होने के बाद आशुतोष ने परोक्ष रूप से पहली बार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्‍व वाली इस पार्टी पर हमला बोला है. उन्‍होंने कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जब उन्‍हें चांदनी चौक से बतौर प्रत्‍याशी मैदान में उतारा था, तब उन पर अपने नाम के आगे 'सरनेम' लगाने का दवाब बनाया गया था, जबकि उन्‍होंने अपने 23 साल के पत्रकारिता करियर में ऐसा कभी नहीं किया. उन्‍होंने इसे पार्टी की वोटबैंक और कास्‍ट की पॉलिटिक्‍स बताया.

53 वर्षीय पूर्व आप नेता ने बुधवार सुबह ट्वीट कर कहा, 'मेरे पत्रकारिता के 23 सालों के करियर में किसी ने मेरी जाति और सरनेम नहीं पूछा. सभी मुझे मेरे नाम से जानते हैं. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मुझे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलवाया गया तो मेरे विरोध के बावजूद मेरे सरनेम का उल्‍लेख किया गया था. बाद में मुझे कहा गया कि सर आप जीतोगे कैसे, आपकी जाति के यहां काफी वोट हैं'.

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हालांकि इसके बाद उन्‍होंने एक और ट्वीट करते हुए कहा कि मेरा ट्वीट टीवी HAWKS द्वारा गलत समझा गया है. मैं अब आप के साथ नहीं हूं, पार्टी अनुशासन से बाध्य नहीं हूं और अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हूं. मेरे शब्दों को आप पर हमले के रूप में कहना गलत होगा. यह मीडिया का हेरफेर है. मुझे छोड़ दो. मैं आप के खिलाफ ब्रिगेड का सदस्य नहीं हूं.

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने आशुतोष को चांदनी चौक लोकसभा सीट से बतौर प्रत्‍याशी मैदान में उतारा था. यहां उनके सामने भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन मैदान में थे, जिनसे उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा था.

15 अगस्‍त को पार्टी छोड़ी
उल्‍लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता आशुतोष ने बीते 15 अगस्‍त को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इस्तीफे की वजह निजी कारण को बताया. आशुतोष ने ट्वीट कर इस्तीफे का ऐलान किया. उन्होंने ट्वीट में पत्रकारों से कहा कि वे इस मसले पर किसी सवाल का जवाब नहीं देंगे. आशुतोष ने कहा कि हर यात्रा का एक अंत होता है. आपके साथ यात्रा बेहद क्रांतिकारी और खूबसूरत रहा. मैं इस्तीफा देते हुए पार्टी की कार्यकारिणी परिषद से आग्रह करता हूं कि वे इसे स्वीकार करें. मैंने विशुद्ध निजी कारणों से यह फैसला लिया है. इस यात्रा के दौरान मेरा साथ देने वाले सभी कार्यकर्ता के प्रति आभार प्रकट करता हूं. इसके साथ ही आशुतोष ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि कृपया मेरी निजता का सम्मान करें, क्योंकि मैं इस संदर्भ में किसी भी प्रकार का कोई और बयान नहीं दूंगा.

दरअसल, इस साल की शुरुआत में दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव में पार्टी की तरफ से उनको प्रबल दावेदारों की सूची में गिना जाता था, लेकिन अंत में उन्हें जगह नहीं मिली. सूत्रों का कहना है कि इस घटना के बाद से ही वह पार्टी में हाशिए पर माने जा रहे थे. राज्यसभा चुनावों के मसले पर ही उसके बाद कुमार विश्वास ने बगावत कर दी थी. अब आशुतोष के इस्तीफे को उसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है.

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