गृह मंत्रालय के आदेश विवाद पर आज SC और उच्च न्यायालय करेंगे विचार
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गृह मंत्रालय के आदेश विवाद पर आज SC और उच्च न्यायालय करेंगे विचार

आप सरकार के अधिकार कम करने संबंधी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को लेकर केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रहा विवाद गुरुवार को उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गया।

गृह मंत्रालय के आदेश विवाद पर आज SC और उच्च न्यायालय करेंगे विचार

नई दिल्ली : आप सरकार के अधिकार कम करने संबंधी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को लेकर केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रहा विवाद गुरुवार को उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गया।

शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को केन्द्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले में कार्रवाई से बाहर रखने संबंधी उसकी अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ बताने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केन्द्र की याचिका पर कल सुनवाई करेगी। उच्च न्यायालय ने अपनी व्यवस्था में कहा था कि उपराज्यपाल अपने विवेक से काम नहीं कर सकते।

न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की अवकाशकालीन खंडपीठ के समक्ष अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह ने केन्द्र की याचिका का आज उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की टिप्पणी ने पूरी तरह अनिश्चितता पैदा कर दी है और इससे राष्ट्रीय राजधानी में दैनिक प्रशासन मुश्किल हो गया है।

राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों की नियुक्ति के मामले में उपराज्यपाल को सारे अधिकार देने संबंधी अधिसूचना से आहत आप सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी है। न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति संजीत सचदेव की पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख करते हुये कहा गया कि दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय की 21 मई की अधिसूचना को चुनौती देने का निश्चय किया है।

इसमें कहा गया है कि अधिसूचना के अनुसार सेवा, सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि संबंधी मामले उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में होंगे और नौकरशाहों की सेवाओं के मामले मे मुख्यमंत्री की राय लेने का विवेकाधिकार भी उन्हें दिया गया है। शीर्ष अदालत में केन्द्र सरकार ने कहा है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच संतुलन बनाये रखने के लिये संविधान के अनुच्छेद 239-एए की स्पष्ट व्याख्या की आवश्यकता है।

न्यायालय ने जब यह कहा कि उच्च न्यायालय ने सिर्फ ‘संदिग्ध’ शब्द का इस्तेमाल किया है तो सिंह ने कहा कि इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार पुलिसकर्मी की जमानत अर्जी से संबंधित मामले में ये टिप्पणियां की हैं। दिल्ली सरकार ने भी शीर्ष अदालत में कैविएट अर्जी दायर की है ताकि इस मामले में कोई एकतरफा आदेश न दिया जा सके।

दिल्ली सरकार ने इस अर्जी में कहा है कि इस मामले में कोई भी आदेश देने से पहले राज्य सरकार को भी अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए। गृह मंत्रालय ने कल उच्च न्यायालय के 25 मई के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली पुलिस के एक सिपाही की जमानत अर्जी से संबंधित मामले में यह आदेश दिया था।

उच्च न्यायालय के निष्कर्ष उस फैसले का अंश हैं जिसमे उसने कहा था कि पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का अधिकार दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को है। दिल्ली में आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच निर्वार्चित सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर लगातार खींच तान चल रही है। केन्द्र सरकार ने 21 मई को एक अधिसूचना जारी करके उपराज्यपाल का पक्ष लिया था।

उच्च न्यायालय ने रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार पुलिसकर्मी की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल अपने विवेक से कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार के वकील रमण दुग्गल ने इस याचिका का उल्लेख किया। इस पर अदालत ने इसे कल सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।

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