दिल्ली में 15000 गेस्ट टीचरों को पक्का करने का मामला अधर में लटका
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दिल्ली में 15000 गेस्ट टीचरों को पक्का करने का मामला अधर में लटका

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उनसे अतिथि शिक्षकों की नौकरी पक्की करने से संबंधित विधेयक बुधवार को विधानसभा में पेश करने के मंत्रिमंडल के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया.

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी मनीष सिसोदिया (फाइल फोटोः डीएनए)

नई दिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उनसे अतिथि शिक्षकों की नौकरी पक्की करने से संबंधित विधेयक बुधवार को विधानसभा में पेश करने के मंत्रिमंडल के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया. बैजल ने पत्र में केजरीवाल से कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरुप नहीं है. आपको बता दें कि पिछले महीने मंत्रिमंडल से मंजूरी पाये इस विधेयक में करीब 15000 अतिथि शिक्षकों की नौकरी पक्की करने की व्यवस्था की गयी है. ये शिक्षक फिलहाल अनुबंध पर हैं.

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  2. दिल्ली सरकार बिल पर पुनर्विचार करेः एलजी
  3. ''शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप नहीं बिल''

बैजल ने कहा कि सेवाओं से संबंधित मामले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विधानसभा की विधायी क्षमता से बाहर का विषय है. आप सरकार कल एक दिवसीय विशेष सत्र में यह विधेयक विधानसभा में पेश करने वाली है. गौरतलब है कि अतिथि टीचरों को पक्का करने का वादा आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान किया था. मौजूदा प्रस्ताव के मुताबिक-जिन गेस्ट टीचर्स ने CTET यानी कॉमन टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास किया है वही 15000 टीचर इसके तहत पक्के होंगे. लेकिन एलजी ने इसे सरकार के पास वापस पुनर्विचार के लिए भेजा है.

कैसे नहीं हुआ प्रक्रिया का पालन
जिस वक्त दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के इस फैसले की घोषणा की थी तब उन्होंने अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि हम काफी समय से कोशिश कर रहे थे कि इसकी फाइलें नीचे से मंज़ूर होकर एलजी साहब से मंज़ूर होकर आएं लेकिन वहां से नहीं हो पा रहा था और गेस्ट टीचर का समय निकला जा रहा था इसलिए आज (27 सितंबर) टेबल एजेंडा के तौर पर रखा गया था यानी ये प्रस्ताव परंपरागत तरीके से कैबिनेट में नहीं लाया गया जिसके तहत वित्त, शिक्षा, कानून, सर्विस आदि विभाग की मंजूरी के साथ उपराज्यपाल की मंजूरी ली जाती है.

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मनीष सिसोदिया के मुताबिक-जैसे प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का फैसला किसी विभाग से मंज़ूरी लेकर नहीं किया था इसी तरह किसी भी प्रस्ताव को कैबिनेट में लाने का अधिकार सीएम को है या सीएम की अनुमति से किसी मंत्री को है. यानी खुद मनीष सिसोदिया को लगता है कि इस बिल को लाने के तरीके पर सवाल उठ सकते हैं.

पहले भी एलजी लौटा चुके है कई बिल
इसके पहले भी दिल्ली सरकार ने जनहित के कई बिल विधानसभा से तो पास करा लिए, लेकिन एलजी या केंद्र सरकार ने उसको मंज़ूरी नही दी. इन सभी बिलों के साथ भी यही कारण बताया गया कि दिल्ली सरकार ने सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. उदाहरण के तौर पर जनलोकपाल बिल, स्वराज बिल, सिटीजन चार्टर, स्कूल एजुकेशन बिल आदि.

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