HC अपने आदेश पर कायम, वर्णांधता के कारण CISF के 16 कर्मी बर्खास्त
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HC अपने आदेश पर कायम, वर्णांधता के कारण CISF के 16 कर्मी बर्खास्त

सशस्त्र बल से बर्खास्त करने संबंधी सितंबर, 2017 के आदेश को सीआईएसएफ के 16 कर्मियों ने अदालत में चुनौती दी थी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्णांधता या दृष्टि दोष से ग्रस्त सीआईएसएफ के 16 कर्मियों के सेवा से बर्खास्त करने के आदेश को बहाल रखा. वर्णांधता से ग्रस्त व्यक्ति को लाल और हरे रंग की पहचान करने में मुख्य रूप से दिक्कत आती है. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति रेखा पाली की पीठ ने कहा कि प्राधिकार ने भर्ती के लिए एक मानदंड तय किया है, अदालत उन मानदंडों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगी.

पीठ ने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 2013 में तय किए गए नीति निर्देशों में यह स्पष्ट लिखा गया है कि गया है कि वर्णांधता या दृष्टिदोष से ग्रस्त कोई भी व्यक्ति केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और असम राइफल्स में भर्ती के लिए योग्य नहीं हैं. सशस्त्र बल से बर्खास्त करने संबंधी सितंबर, 2017 के आदेश को सीआईएसएफ के 16 कर्मियों ने अदालत में चुनौती दी थी.

उन्होंने बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ की गई अपील सीआईएसएफ महानिरीक्षक द्वारा खारिज किए जाने को भी अदालत में चुनौती दी है. प्रभावित कर्मियों ने दलील दी है कि प्रारंभिक मेडिकल परीक्षा में उन्हें ‘फिट’ पाने के बाद सेवा से बर्खास्त करना मनमाना और गैरकानूनी है. कर्मियों का कहना है कि वे लोग तीन से पांच महीने का प्रशिक्षण पूरा कर चुके थे उसके बाद सेवा से बर्खास्त किए गए हैं. यह सही नहीं है. 

(इनपुट- भाषा)

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