उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वित्त, योजना, शिक्षा और सतर्कता सहित अपने अधीन नौ विभागों के प्रमुख सचिव और सचिवों को दो दिन के भीतर यह ब्योरा सूचीबद्ध कर सोमवार को पेश करने के लिये कहा है.
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नई दिल्ली: दिल्ली में वित्त, कानून व्यवस्था और भूमि संबंधी मामलों को छोड़कर अन्य सभी विषयों पर एलजी के बजाय निवार्चित सरकार के अधिकार को प्रभावी बताने की सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद केजरीवाल सरकार ने पिछले दो सालों में राजनिवास द्वारा तलब की गई फाइलों का ब्योरा अधिकारियों से मांगा है. दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने शनिवार को अपने विभागों के प्रमुख सचिव और सचिवों से उन सभी फाइलों और दस्तावेजों का ब्योरा देने को कहा है जो पिछले दो साल में राजनिवास द्वारा मंगाए गए.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वित्त, योजना, शिक्षा और सतर्कता सहित अपने अधीन नौ विभागों के प्रमुख सचिव और सचिवों को दो दिन के भीतर यह ब्योरा सूचीबद्ध कर सोमवार को पेश करने के लिये कहा है. बता दें सुप्रीम कोर्ट ने गत दो नवंबर को दिल्ली में उपराज्यपाल और सरकार के अधिकारक्षेत्र को तय करने वाले मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी में कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली के सर्वेसर्वा नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त संसद के प्रतिनिधि हैं.
अदालत ने संविधान के हवाले से कहा कि दिल्ली के लिए वित्त, कानून व्यवस्था और भूमि संबंधी मामलों में संसद को और शेष मामलों में विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार है. अदालत ने तीन विषयों को छोड़कर अन्य मामलों में उपराज्यपाल द्वारा निर्वाचित सरकार के परामर्श पर ही कार्य करने की जरूरत पर बल दिया. दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख और सर्वेसर्वा बताने के फैसले को चुनौती देने वाली केजरीवाल सरकार की इस याचिका पर मंगलवार को आगे की सुनवाई होगी.
अदालत की इस टिप्पणी के बाद सिसोदिया और अन्य मंत्रियों ने अपने मातहत विभाग प्रमुखों को जारी आदेश में कहा है कि सरकार के कामकाज संबंधी नियमावली (टीबीआर) के नियम 19 (5) के तहत उपराज्यपाल ने पिछले दो साल में जितने भी दस्तावेज और फाइलें तलब की हैं, उनका ब्योरा तैयार कर विभाग प्रमुख संबद्ध मंत्री के समक्ष पेश करें. इस बाबत सभी मंत्रियों के समक्ष विभाग प्रमुखों और सचिवों को फाइलों के ब्योरे के साथ सोमवार को 11 बजे तक पेश होना होगा.
(इनपुट - भाषा)