आजादी के बाद से अन्ना आंदोलन तक कई सभाओं का गवाह बने दिल्ली के रामलीला मैदान का नाम बदलने की खबर से राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई थी.
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नई दिल्ली: आजादी के बाद से अन्ना आंदोलन तक कई सभाओं का गवाह बने दिल्ली के रामलीला मैदान का नाम बदलने की खबर से राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई थी. इस सियासी घमासान पर विराम लगाने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने शुक्रवार को सफाई दी. एनडीएमसी के अनुसार, रामलीला मैदान का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. बता दें कि एक स्थानीय अखबार ने रामलीला मैदान का नाम अटल जी के नाम पर रखने की खबर छापी थी.
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान का नाम बदलने को लेकर छपी खबर को के साथ ट्वीट किया था, ‘‘वाजपेयी जी के नाम पर रामलीला मैदान आदि का नामकरण करने से वोट नहीं मिलेंगे. भाजपा को प्रधानमंत्री का नाम बदल देना चाहिए, ताकि कुछ वोट मिल जाएं क्योंकि लोग उनके नाम पर वोट नहीं करने वाले हैं.’’
इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया- एनडीएमसी
केजरीवाल के ट्वीट के बाद उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर आदेश गुप्ता ने इस तरह की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘रामलीला मैदान का नामकरण वाजपेयी जी के नाम पर करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. इस तरह की सभी खबरें गलत हैं.’’ दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी दावा किया कि रामलीला मैदान का नाम बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक रूप से प्रेरित कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि रामलीला मैदान का नाम बदला जाएगा. हम भगवान राम के भक्त हैं, रामलीला मैदान का नाम बदलने का कोई सवाल नहीं उठता.’’
मेयर ने इस बात को खारिज कर दिया कि एनडीएमसी के कुछ पार्षदों ने नाम बदलने का सुझाव दिया था.
(इनपुट भाषा से)