उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि रिजर्व बैंक और आयकर विभाग को जल्द तय करना चाहिए कि नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा कराया गया धन काला था या सफेद.
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नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि रिजर्व बैंक और आयकर विभाग को जल्द यह तय करना चाहिए कि नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा कराया गया धन काला था या सफेद. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ही इस सुधार की विश्वसनीयता कायम रह सकेगी. गौरतलब है कि सरकार ने नवंबर, 2016 में उस समय प्रचलन में रहे 500 और 1,000 के नोट बंद कर दिए थे. नायडू ने कहा कि नोटबंदी के बाद लोग अपने ड्राइवरों, रसोइयों या घर में काम करने वाले अन्य लोगों से उनके बैंक खातों के बारे में पूछताछ कर रहे थे. कुछ ने अपना काला धन इन लोगों के बैंक खातों में रखने का आग्रह किया था. नायडू ने कहा कि नोटबंदी को लेकर एक तरह का निराशावाद है. लोग जानना चाहते हैं कि जब सारा पैसा बैंकों में पहुंच गया है तो फायदा क्या हुआ.
न्यू इंडिया एश्योरेंस के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि नोटबंदी का मकसद क्या था. जाली नोटों के अलावा इसका उद्देश्य पैसे को प्रणाली में लाना था. अब पैसा बैंकों में पते के साथ पहुंच चुका है. इससे ज्यादा आप क्या चाहते हैं.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब यह रिजर्व बैंक और आयकर विभाग को साबित करना है कि यह धन काला था या सफेद. उन्होंने कहा कि यह काम तेजी से पूरा किया जाना चाहिए जिससे इस सुधार की विश्वसनीयता बनी रहे. यह मेरी रिजर्व बैंक और अन्य एजेंसियां जो इसमें शामिल हैं उनको सलाह है. पिछले साल रिजर्व बैंक ने खुलासा किया था कि 8 नवंबर, 2016 से 30 जून, 2017 तक बंद किए गए 15.44 लाख करोड़ रुपये के नोटों में से 99 प्रतिशत यानी 15.28 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं.
(इनपुट भाषा से)