AAP पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कहा, पार्टी को चुनाव हरवाना चाहते थे योगेंद्र यादव, शांति भूषण और प्रशांत भूषण
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AAP पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कहा, पार्टी को चुनाव हरवाना चाहते थे योगेंद्र यादव, शांति भूषण और प्रशांत भूषण

आम आदमी पार्टी ने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पर बड़ा आरोप लगाया है। आप के शीर्ष नेताओं ने कहा है कि जब आप की जीत के लिए कार्यकर्ता मशक्कत कर रहे थे तब शांति भूषण, प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पार्टी की हार के लिए काम कर रहे थे ।

AAP पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कहा, पार्टी को चुनाव हरवाना चाहते थे योगेंद्र यादव, शांति भूषण और प्रशांत भूषण

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के बीच गहराती अंदरूनी कलह आज फिर सामने आ गई जब पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शांति भूषण, प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वे पार्टी को हराने और अरविन्द केजरीवाल की छवि खराब करने के लिए काम कर रहे थे ।

अंदरूनी कलह सामने आने के बाद से शीर्ष पार्टी नेताओं की ओर से पहले आधिकारिक बयान में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, परिवहन मंत्री गोपाल राय, पार्टी महासचिव पंकज गुप्ता और संजय सिंह ने प्रशांत और यादव को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से निकालने के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले का बचाव किया ।

नेताओं ने बयान में कहा, ‘तीनों ने, खासकर प्रशांत ने दूसरे राज्यों से कार्यकर्ताओं को बुलाया और उनसे कहा कि वे पार्टी के लिए प्रचार नहीं करें । मैं इस बार पार्टी के लिए प्रचार नहीं करूंगा । आप लोग भी प्रचार न करें । पार्टी के लिए आवश्यक है कि यह हार जाए । केवल तभी अरविन्द केजरीवाल को कुछ होश आएगा ।’ आप नेताओं की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘अंजलि दमानिया (महाराष्ट्र से आप नेता) के सामने उन्होंने मैसूर के कार्यकर्ताओं से यही कहा था । पार्टी को चंदा देने वालों को ऐसा करने से हतोत्साहित किया गया ।’

पिछले हफ्ते प्रशांत और यादव को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मतदान के जरिए पीएसी से बाहर कर दिया गया था। दोनों को बाहर करने का प्रस्ताव सिसोदिया द्वारा लाया गया था । सिंह ने इसका अनुमोदन और गुप्ता एवं राय सहित नौ अन्य ने इसका समर्थन किया था । अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी के एक तबके ने आरोप लगाया था कि तीनों केजरीवाल को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाना चाहते थे ।

नेताओं ने दावा किया,‘‘चुनाव से दो सप्ताह पहले, जब आप नेता आशीष खेतान ने प्रशांत जी को फोन किया और उनसे पार्टी की दिल्ली डायलॉग पहल का नेतृत्व करने का आग्रह किया तो प्रशांत जी ने कहा कि वह चाहते हैं कि पार्टी हार जाए और यह केवल 20-22 सीटें जीत पाए । यदि पार्टी हार गई केवल तभी नेतृत्व को कुछ होश आएगा ।’ उन्होंने दावा किया कि प्रशांत ने उस वक्त एक संवाददाता सम्मेलन करने की भी धमकी दी थी जब चुनाव प्रचार जोरों पर था।

नेताओं ने आरोप लगाया, ‘तीन दिन तक, आप के 10 वरिष्ठ नेता उन्हें यह समझाने की कोशिश करते रहे कि वह कोई संवाददाता सम्मेलन नहीं करें क्योंकि इसका पार्टी पर नकारात्मक असर होगा । जब भाजपा और आप के बीच कड़ा संघर्ष हो रहा था तब वरिष्ठ नेता उन्हें समझाने की कोशिश में लगे थे और उनका कीमती समय नष्ट हो रहा था ।’

पार्टी ने कहा कि चीजों को सामने नहीं लाने का फैसला करने के बावजूद वह ऐसा करने को विवश हुई क्योंकि दोनों नेता मीडिया को बयान दे रहे थे । नेताओं ने कहा, ‘‘वे ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि पीएसी से उन्हें निकाले जाने का फैसला गैर जिम्मेदाराना और अलोकतांत्रिक है।’’ उन्होंने दावा किया कि पार्टी के पास इस बात के पूरे सबूत हैं कि यादव ने केजरीवाल की छवि खराब करने की कोशिश की और संगठन की एक नकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश की ।

नेताओं ने आरोप लगाया, ‘कुछ वरिष्ठ संपादकों ने भी गैर-सार्वजनिक बातचीत में कहा है कि दिल्ली चुनाव के दौरान यादव ने ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ सूचना देकर केजरीवाल की छवि खराब करने की कोशिश की थी ।’ शांति भूषण पर हमला बोलते हुए नेताओं ने कहा कि आप नेता ने न सिर्फ मुख्यमंत्री पद की भाजपा उम्मीदवार किरण बेदी के पक्ष में बयान दिया, बल्कि आप से अलग हुए गुट ‘आप वालंटियर्स विचार मंच’ का भी समर्थन किया ।

नेताओं ने दावा किया, ‘चुनाव से कुछ दिन पहले शांति भूषण जी ने कहा कि वह अरविन्द केजरीवाल से ज्यादा किरण बेदी पर विश्वास करते हैं । उनके बयान सुनकर सभी पार्टी नेता सन्न रह गए थे । कार्यकर्ताओं ने उनसे यह पूछना शुरू कर दिया कि यदि वह बेदी का समर्थन करते हैं तो फिर आप में क्या कर रहे हैं । उन्होंने अरविन्द के खिलाफ भी कई बयान दिए ।’

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