Zee जानकारी: केजरीवाल के मंत्री ने कालेधन को सफेद करने की चलाई फैक्ट्री?
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Zee जानकारी: केजरीवाल के मंत्री ने कालेधन को सफेद करने की चलाई फैक्ट्री?

Zee जानकारी: केजरीवाल के मंत्री ने कालेधन को सफेद करने की चलाई फैक्ट्री?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के तमाम नेता, अपनी सुविधा और एजेंडे के अनुसार अलग-अलग लोगों के लिए ईमानदारी और बेईमानी के सर्टिफिकेट जारी करते रहते हैं. राजनीति की दुनिया में आम आदमी पार्टी ने हमेशा खुद को ईमानदारी के इकलौते ठेकेदार के रूप में प्रचारित किया है. लेकिन सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी की विश्वसनीयता लगातार गिरी है. और अब ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार के दाग भी अच्छे लगने लगे हैं.

 

दिल्ली के स्वास्थ्य और शहरी विकास मंत्री सत्येन्द्र जैन पर कालेधन को सफेद करने के गंभीर आरोप लगे हैं. और ये आरोप किसी व्यक्ति या नेता ने नहीं लगाए हैं. बल्कि ये आरोप आयकर विभाग की जांच में सामने आए हैं. सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने 16 करोड़ 39 लाख रुपये के कालेधन को. हवाला कारोबारियों की मदद से सफेद किया है. हमारी ये Investigation पूरी तरह से Income Tax विभाग की जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर है. हमारे पास बाकायदा सबूतों के साथ वो तमाम दस्तावेज़ हैं जिन्हें देखकर दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन पर शक होता है. जो आरोप लगाए गये हैं उनके मुताबिक सत्य़ेंद्र जैन ने दिल्ली सरकार का मंत्री बनने के बाद भी 2015 तक ये काम जारी रखा. 

आयकर विभाग के मुताबिक जांच में साबित होता है कि सत्येन्द्र जैन पिछले कई वर्षों से काला धन बना रहे थे. इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक 2010 से 2015 तक कालेधन को कोलकाता के 3 हवाला ऑपरेटर्स के ज़रिये सफेद किया गया. और बाद में इस पैसे से बेनामी ज़मीनें खरीदीं गईं. अब आपको ये समझाते हैं कि कालेधन को सफेद बनाने का ये खेल कैसे हुआ? आयकर विभाग के मुताबिक कोलकाता के 3 हवाला ऑपरेटर्स ने सत्येन्द्र जैन के कालेधन को सफेद करने के लिए 56 Shell Companies का सहारा लिया. यहां आपको बता दें कि Shell Companies वो कंपनियां होती हैं जो सिर्फ कागज़ों पर ही मौजूद होती है. असलियत में इन कंपनियों का कोई अस्तित्व नहीं होता. और ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल, काले धन को ठिकाने लगाने के लिए किया जाता है.

इन 56 कंपनियों के ज़रिये हवाला ऑपरेटर्स ने सत्येन्द्र जैन के नियंत्रण वाली 4 कंपनियों में, 16 करोड़ 39 लाख रुपए ट्रांसफर किये. और ये पूरा लेनदेन 2010 से लेकर 2015 के बीच किया गया. जिन हवाला ऑपरेटर्स के ज़रिये कालेधन को सफेद बनाने का खेल हुआ, उनके नाम हैं जीवेन्द्र मिश्रा, अभिषेक चोखानी और राजेन्द्र बंसल. ये तीनों कोलकाता के रहने वाले हैं. इनकम टैक्स विभाग के दस्तावेज़ों के मुताबिक सत्येन्द्र जैन हवाला के ज़रिये इन ऑपरेटर्स के पास अपना काला पैसा कैश में भिजवाते थे और ये हवाला कारोबारी सत्येन्द्र जैन की कंपनियों के शेयर खरीदने के बदले में Cheque देते थे. 

आयकर विभाग को दिए गए अपने बयान में राजेन्द्र बंसल नाम के हवाला ऑपरेटर ने कई बड़े खुलासे किए हैं. राजेन्द्र बंसल ने अपने बयान में कहा है कि वो कैश लेकर सत्येन्द्र जैन की कंपनियों के 10 रुपये की Face Value वाले शेयर को 390 से लेकर 590 रुपये तक के प्रीमियम पर खरीदते थे और इस तरह से कालेधन को सफेद कर दिया जाता था. ज़ी न्यूज़ के पास हवाला कारोबारी राजेन्द्र बंसल का बयान है, जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे. अपने बयान में राजेंद्र बंसल ने ये भी माना है कि कैश का लेनदेन सत्येन्द्र जैन के निर्देशों पर होता था और ये निर्देश सत्येन्द्र जैन अपने मोबाइल फोन से देते थे. 

हवाला कारोबारी राजेन्द्र बंसल के मुताबिक सत्येन्द्र जैन ने मंत्री बनने के बाद भी ये काम जारी रखा था. बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती है. आयकर विभाग के मुताबिक 2016 में जब केन्द्र सरकार Income Tax Declaration Scheme लेकर आई थी, तो सत्येन्द्र जैन ने इस योजना का फायदा उठाते हुए अपना कालाधन बड़ी ही चालाकी से घोषित किया था. इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक सत्येन्द्र जैन की कंपनी के दो कर्मचारियों ने 16 करोड़ 39 लाख की काली कमाई को अपना बताया है. जबकि इनकम टैक्स विभाग को पहले ही अपनी जांच में ये पता चल गया था कि ये पैसा सत्येन्द्र जैन का ही है. 

हमारी टीम ने इस मामले की पूरी Investigation की है. और अपनी  Investigation हमें बहुत सी चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं. हमारे पास वो तमाम दस्तावेज़ भी हैं, जिनके आधार पर इनकम टैक्स विभाग सत्येन्द्र जैन के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि कैसे हवाला कारोबारियों ने सत्येन्द्र जैन की कंपनियों में कम Value के शेयर ज्यादा दाम में खरीदे. सत्येन्द्र जैन की एक कंपनी है, जिसका नाम है Akinchan Developers Private Limited. इस कंपनी ने वर्ष 2012-13 में सिर्फ 2 हज़ार 774 रुपये की Income दिखाई थी. 

इसके बाद इस कंपनी ने 25 हज़ार 250 Equity Share कोलकाता की 4 Shell कंपनियों को दिए. और इनमें से हर एक शेयर की कीमत 400 रुपये थी, जिसमें एक Share की Face Value 10 रुपये थी, जबकि हर एक Share पर 390 रुपये का Premium था. यानी जिस कंपनी को एक साल में सिर्फ 2 हज़ार 774 रुपये की कमाई होती है, उसका एक शेयर 400 रुपये में बिकता है. इनकम टैक्स विभाग का मानना है कि इस कंपनी में कोलकाता की कंपनियों द्वारा कालाधन ट्रांसफर किया गया था, ताकि उस Black Money को White किया जा सके. 

इसी तरह एक और कंपनी है. जिसका नाम है प्रयास Infosolutions Private Limited.  इस कंपनी ने भी वर्ष 2012-13 में सिर्फ 15 हज़ार 392 रुपये की कमाई दिखाई थी. और फिर कोलकाता की 9 Shell कंपनियों ने इस कंपनी के 90 हज़ार शेयर. 200 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे. जिसमें एक Share की Face Value 10 रुपये थी, जबकि हर एक Share पर 190 रुपये का Premium था.

अब हम आपको उन दो हवाला कारोबारियों के बयानों के बारे में बताते हैं, जो उन्होंने इनकम टैक्स विभाग को दिए थे. आयकर विभाग को दिए बयानों में इन हवाला कारोबारियों ने साफ तौर पर ये बताया था कि उन्हें सत्येन्द्र जैन से सीधे निर्देश मिलते थे. हवाला कारोबारी राजेन्द्र बंसल ने अपने बयान में ये कहा था कि सत्येन्द्र जैन के दो कर्मचारी सुरेश और संजय उससे संपर्क करते थे. जबकि लेनदेन के काम सीधे सत्येन्द्र जैन के निर्देश पर होते थे. 

हमारे पास एक और हवाला कारोबारी जीवेन्द्र मिश्रा का भी बयान है, जो उसने इनकम टैक्स विभाग को दिया था. इस बयान में जीवेन्द्र मिश्रा ने भी ये बताया था कि सत्येन्द्र जैन की कंपनी के कर्मचारी सुरेश और संजय. उससे संपर्क करते थे. यहां आपने नोट किया होगा कि दोनों हवाला कारोबारियों. यानी राजेंद्र बंसल और जीवेंद्र मिश्रा ने, सत्येन्द्र जैन की कंपनी के कर्मचारी सुरेश और संजय का नाम लिया. ये बात भी शक पैदा करती है.

इनकम टैक्स ने अपनी जांच में ये भी पाया कि 2015 में मंत्री बनने के बाद भी सत्येन्द्र जैन ने मनी लॉन्ड्रिंग का काम जारी रखा. जब आयकर विभाग ने इस पूरे घोटाले की जड़ तक पहुंचने के लिए कड़ियां जोड़नी शुरू कीं तो ये पता चला कि 31 मार्च 2015 तक सत्येन्द्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और पिता राम शरण जैन के एक कंपनी में 54.17% Shares थे. इस कंपनी का नाम है JJ IDEAL ESTATE PVT LTD. आयकर विभाग को ये भी पता चला कि JJ IDEAL ESTATE PVT LTD. और सत्येन्द्र जैन के पिता के पास मंगलायतन Projects Pvt. LTD नामक एक कंपनी के 44.23% Shares थे. यानी एक तरह से मंगलायतन Projects Pvt. LTD पर भी सत्येन्द्र जैन का ही नियंत्रण था. और चौंकाने वाली बात ये है कि 2015-16 में मंगलायतन Projects Pvt. LTD में 1 करोड़ 90 लाख रुपये मनी लॉन्ड्रिंग के ज़रिये आए थे.

सत्येन्द्र जैन और उनकी पत्नी पूनम जैन CPWD यानी Central Public Works Department में नौकरी करते थे और अब सत्येन्द्र जैन दिल्ली सरकार में मंत्री हैं. लेकिन उनके ये कारनामे मंत्री बनने से पहले के हैं. इसलिए अब इनकम टैक्स विभाग को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि सत्येन्द्र जैन के पास 16 करोड़ 39 लाख रुपये कहां से आए. इस कहानी में बेनामी संपत्ति वाला अध्याय भी है. जिसके बारे में हम आपको कल बताएंगे. ये Investigation अभी खत्म नहीं हुई है. 

आम आदमी पार्टी जब सत्ता में आई थी तो ये कहा गया था कि ये आम लोगों की पार्टी है. इस पार्टी के लोग, जनता के लिए काम करेंगे और भ्रष्टाचार से दूर रहेंगे. आम आदमी पार्टी के नेता लाल बत्ती वाली गाड़ियों में नहीं चलेंगे, सरकारी बंगलों में नहीं रहेंगे. और ये पार्टी सेठ साहूकारों को मंत्री नहीं बनाएगी. लेकिन सत्ता में आने के बाद केजरीवाल और उनकी पूरी टीम ने यू-टर्न ले लिया. सवाल ये है कि उसूलों और आदर्शों की बात करने वाले केजरीवाल अब तक चुप क्यों हैं. उन्होंने इस मंत्री को हटाया क्यों नहीं. सत्येंद्र जैन अगर किसी दूसरी पार्टी में होते तो अब तक अरविंद केजरीवाल खुद धरने पर बैठ गये होते.

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