Zee जानकारी: दिल्ली के विकास कार्य Hang करने वाली राजनीतिक सोच का विश्लेषण
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Zee जानकारी: दिल्ली के विकास कार्य Hang करने वाली राजनीतिक सोच का विश्लेषण

 Zee जानकारी: दिल्ली के विकास कार्य Hang करने वाली राजनीतिक सोच का विश्लेषण

आपने अक्सर महसूस किया होगा कि आप अपने Mobile Phones पर कई तरह की Applications Download तो कर लेते हैं लेकिन उन सभी Applications का इस्तेमाल नहीं कर पाते। कई बार आप नई Apps Download करने के चक्कर में, पुरानी Apps का इस्तेमाल बहुत कम कर देते हैं। और जब फोन Hang होने लगता है तो फिर आप पुरानी Apps को Delete कर देते हैं। कुछ ऐसा ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के साथ किया है। 

आम आदमी पार्टी ने अपने राजनीतिक Smart Phone में गोवा और पंजाब वाली नई Applications Download कर ली है और दिल्ली वाली App को भुला दिया है। यही वजह है कि दिल्ली के विकास कार्य अब Hang होने लगे हैं। हमारे सहयोगी अखबार DNA के पास कुछ कागज़ात हैं जो ये बताते हैं कि गोवा और पंजाब की राजनीति में उतरने के बाद से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली पर ध्यान देना बहुत कम कर दिया है। 

हालत ये है कि दिल्ली की सरकार दिल्ली के Budget में अलग-अलग विकास कार्यों के लिए आवंटित किए गए 20 हज़ार 600 करोड़ रुपये में से 60 प्रतिशत Fund का इस्तेमाल ही नहीं कर पाई है। 14 फरवरी को दिल्ली सरकार के 2 वर्ष पूरे हो जाएंगे लेकिन गोवा और पंजाब की राजनीति में व्यस्त आम आदमी पार्टी की सरकार के पास विकास कार्य करने के लिए वक्त ही नहीं है। दिल्ली सरकार ने दिल्ली में Planned Expenditure यानी नियोजित खर्चों के लिए 20 हज़ार 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था और Non Plan Expenditure यानी अनियोजित खर्चों के लिए 26 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। लेकिन नवंबर 2016 तक Planned Expenditures में से अब तक सिर्फ 8 हज़ार 355 करोड़ रुपये ही दिल्ली सरकार ने खर्च किए हैं और 12 हज़ार 224 करोड़ करोड़ रुपये का Fund Un-utilised है, यानी ये पैसा अभी तक खर्च ही नहीं किया गया है। यहां आपको एक बार फिर से बता दें कि ये नवंबर 2016 तक के आंकड़े हैं। 

अब हम आपको Energy Sector का उदाहरण देना चाहते हैं। दिल्ली सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में खर्च करने के लिए 386 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। इनमें से सिर्फ 13 करोड़ 50 लाख रुपये ही खर्च किए गए यानी तय खर्च का सिर्फ 3 प्रतिशत। इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में 4 हज़ार 543 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना थी और सिर्फ 2 हज़ार 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यानी तय खर्च का सिर्फ 44 प्रतिशत। स्वास्थ्य के क्षेत्र में 3 हज़ार 200 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान था और सिर्फ 1 हज़ार 211 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

अगर छोटे-छोटे खर्चों की बात की जाए तो महिलाओं की सुरक्षा करने वाले मोहल्ला रक्षक दल बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था लेकिन दिल्ली के करावल नगर के अलावा इसे कहीं और शुरू नहीं किया गया है। इसी तरह 150 Poly-Clinics खोलने की भी योजना थी लेकिन अब तक बहुत कम Polyclinics खोले गए हैं।  सरकार ने ट्रैफिक और प्रदूषण की स्थिति के बारे में आम लोगों को जानकारी देने के लिए LED Screens लगाने का भी फैसला किया था, जिसके लिए 137 करोड़ रुपये का प्रावधान था लेकिन इस दिशा में भी कुछ खास नहीं किया गया है। 

दिल्ली के स्कूलों में Class Rooms में भी 100 करोड़ रुपये की लागत से CCTV लगाने का फैसला किया गया था, लेकिन यहां भी कोई प्रगति नहीं हुई। 1000 प्रीमियम बसों के लिए बजट में प्रावधान किया गया था लेकिन इस दिशा में भी कोई क्रांतिकारी काम नहीं हुआ। यही वजह है कि 1 दिसंबर 2016 को दिल्ली के मुख्य सचिव का पद संभालने वाले MM Kutty भी अफसरों के कामकाज से खुश नहीं है। पिछले महीने  MM Kutty ने प्रमुख सचिवों और विभागों के प्रमुखों को बुलाकर फटकार भी लगाई थी। और मुद्दा यही था कि दिल्ली में विकास कार्यों पर पैसा खर्च क्यों नहीं किया जा रहा है?

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के प्रमुख सचिव MM Kutty सबसे ज्यादा PWD से नाराज़ हैं। PWD ने 187 करोड़ रुपये में से 105 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं। कुट्टी ने दिल्ली की सड़कों की हालत पर चिंता जताई है। कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी की राजनीतिक प्यास ने दिल्ली का गला सुखा दिया है। दिल्ली विकास कार्यों के लिए तरस रही है और आम आदमी पार्टी के बड़े-बड़े नेता पंजाब और गोवा की राजनीति में व्यस्त हैं। 

आम आदमी पार्टी की सरकार लगातार कहती रही है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए और केंद्र सरकार ऐसा नहीं होने दे रही लेकिन हमें लगता है कि आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली में पूर्ण राजनीति करना ही नहीं चाहते। इसलिए वो खुद तो दूसरे राज्यों में अपनी राजनीतिक किस्मत आज़मा रहे हैं। लेकिन दिल्ली की किस्मत भगवान भरोसे है। 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों पंजाब में अपने लिए राजनीतिक ज़मीन तलाश रहे हैं और यहां तक कहा जा रहा है कि अगर आम आदमी पार्टी पंजाब में जीत जाती है तो केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। हमें लगता है कि ये फैसला लेने का हक केजरीवाल और उनकी टीम को है। लेकिन किसी और राज्य में खुद को मजबूत करने का मतलब ये नहीं है कि केजरीवाल को दिल्ली में काम ना करने का लाइसेंस मिल गया है। अब केजरीवाल अपने उस कुख्यात बहाने का इस्तेमाल नहीं कर सकते जिसमें वो कहते हैं कि दिल्ली में कोई उन्हें काम नहीं करने दे रहा।

दिल्ली में रहने वाले हमारे दर्शक इस ख़बर के दर्द को ज़्यादा अच्छी तरह समझ पा रहे होंगे। अब उनको समझ में आया होगा कि जब वो दिल्ली में अपने घर से बाहर निकलते हैं तो उन्हें चारों तरफ अव्यवस्था क्यों दिखाई देती है? दिल्ली में नये निर्माण कार्य क्यों नहीं हो रहे हैं। दिल्ली में इतना प्रदूषण क्यों है ? यहां का ट्रैफिक इतना अ-व्यवस्थित क्यों है?

कुल मिलाकर अपने राजनीतिक Smart Phone में गोवा और पंजाब की Applications डालकर केजरीवाल और उनकी Team ने दिल्ली के विकास का Software Hang कर दिया है। और अब दिल्ली वालों को समझ में नहीं आ रहा है कि उनकी जिंदगी कब Reboot होगी। दिल्ली के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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