ZEE जानकारीः दिल और दिमाग में मौजूद प्रदूषण से मुक्ति कम मिलेगी?
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ZEE जानकारीः दिल और दिमाग में मौजूद प्रदूषण से मुक्ति कम मिलेगी?

दिल्ली का Signature Bridge अब एक Picnic Spot बन चुका है. हर रोज़ सैकड़ों की संख्या में लोग इसका इस्तेमाल एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए नहीं, बल्कि Selfie लेने के लिए कर रहे हैं. 

ZEE जानकारीः दिल और दिमाग में मौजूद प्रदूषण से मुक्ति कम मिलेगी?

अगले विश्लेषण से पहले आपको वियतनाम के मशहूर बौद्ध भिक्षु - तिक नात हान...का कथन सुनना अनिवार्य है. क्योंकि इस कथन का हमारे अगले DNA टेस्ट से बहुत गहरा रिश्ता है. वो कहते हैं - कि आप जो भी विचार पैदा करते हैं, जो टिप्पणी करते हैं, या फिर जो काम करते हैं, उसमें आपके हस्ताक्षर होते हैं. आज से ठीक 8 दिन पहले 4 नवंबर को, 14 वर्षों के लम्बे इंतज़ार के बाद देश की राजधानी दिल्ली को दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा Signature Bridge मिला था. अब इस Bridge को खुले हुए एक हफ्ते से ज़्यादा का समय बीत चुका है. उदघाटन वाले दिन.. इस Bridge की रौनक देखने लायक थी. लेकिन, 8 दिनों के अंदर ही, हमारे देश के लोगों ने Signature Bridge पर अपनी असभ्यता के हस्ताक्षर कर दिए. 

ये Signature Bridge अब एक Picnic Spot बन चुका है. हर रोज़ सैकड़ों की संख्या में लोग इसका इस्तेमाल एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए नहीं, बल्कि Selfie लेने के लिए कर रहे हैं. फिर चाहे इसके लिए ट्रैफिक के नियमों को तोड़ना पड़े. या फिर अपनी जान जोखिम में डालनी पड़े. लोगों ने इस पुल पर कूड़े का अंबार लगा दिया है. और अगर स्थिति ऐसी ही रही, तो वो दिन दूर नहीं, जब दुनिया के दूसरे सबसे ऊंचे Signature Bridge पर, कूड़े का पहाड़ बन जाएगा.

ये भारत की जनता का चरित्र है... जिसका DNA टेस्ट करना अनिवार्य है. क्योंकि हमारे देश की सरकारें चाहे जितने ही पुल बना लें, हाईवे और एक्सप्रेस वे बना लें.. जितनी मर्ज़ी नई ट्रेन चला लें.. लेकिन हमारे देश की जनता...सभ्य आचरण से बहुत दूर है. सबसे बड़ी चुनौती ये है कि दुनिया की बड़ी से बड़ी टेक्नोलॉजी भी भारत के लोगों को सभ्य व्यवहार नहीं सिखा सकती. Signature Bridge पर भी इसी असभ्य व्यवहार के सबूत मौजूद हैं. इसलिए आज इस पुल पर अपनी असभ्यता के हस्ताक्षर करने वालों को Expose करना ज़रुरी है.

ऐसे ही चलता रहा तो अब कुछ दिनों के बाद Signature Bridge पर दुकानें सज जाएंगी और लोग अतिक्रमण कर लेंगे. सोशल मीडिया एक बीमारी बन गया है. सेल्फी लेने के चक्कर में लोगों को नियमों की भी परवाह नहीं है. शायद इसी वजह से भारत में सेल्फी लेते हुए सबसे ज़्यादा लोग मरते हैं. 

Selfie वाले वैचारिक प्रदूषण के चक्कर में दिल्ली के लोगों ने Signature Bridge का क्या हाल किया, ये तो आपने देख लिया. अब आपको सिस्टम और उसे चलाने वालों का वैचारिक प्रदूषण दिखाते हैं. क्योंकि, सच्चाई यही है, कि पर्यावरण में फैले प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह हमारे दिल और दिमाग में मौजूद प्रदूषण है. और जबतक हम अपनी सोच के भीतर मौजूद कूड़े-कचरे को साफ नहीं करेंगे, तबतक किसी का भला नहीं होने वाला. इसे समझने के लिए अब मैं आपको अपने Mobile Phone से Record किया गया एक Video दिखाना चाहता हूं. ये Recording कल शाम 5 बजे की है, जब मैं नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाले DND Flyway से गुज़र रहा था. पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़ों में ज़बरदस्त प्रदूषण है. और अब ट्रकों की वजह से लगने वाला Traffic Jam इस प्रदूषण को और बढ़ा रहा है. जबकि हमारा सिस्टम मास्क लगाकर तमाशा देख रहा है.

कल शाम जब मैं इस रास्ते से गुज़र रहा था, तो वहां मौजूद ट्रकों की संख्या थोड़ी कम थी. लेकिन, आज...जब Zee News की टीम ने सीधे Ground Zero पर जाकर एक Reality Check किया, तो हमें पता चला, कि वहां मौजूद ट्रकों की संख्या 10 या 20 नहीं....बल्कि सैकड़ों में थी. लोगों की सहूलियत के लिए बनाया गया DND Flyway, कुछ घंटों के अंदर ही अवैध पार्किंग का अड्डा बन गया है. आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि इन Trucks को दिल्ली के अंदर प्रवेश क्यों नहीं करने दिया जा रहा ? इसका जवाब है, Environment Pollution Prevention & Control Authority यानी EPCA द्वारा दिया गया आदेश. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह से EPCA ने आदेश दिया था, कि बाहर से आ रहे किसी भी Truck को 12 नवबंर यानी आज के दिन तक दिल्ली में प्रवेश ना करने दिया जाए. यानी जो Truck वाले, DND Flyway तक आए, वो वहीं पर फंस गए. और उन्हें आगे जाने का मौका नहीं मिला. लेकिन, इस कहानी में एक और Twist है. और उस Twist का खुलासा खुद इन ट्रक वालों ने Zee News की टीम से किया. कई Drivers ने ये आरोप लगाया, कि जिन Truck Drivers के पास ट्रैफिक पुलिस को मोटी रकम देने की सुविधा थी, उन्हें बड़ी आसानी से पैसे लेकर दिल्ली में प्रवेश करने दिया गया. लेकिन, जिन Drivers ने रिश्वत नहीं दी वो DND Flyway पर नोएडा से आगे नहीं बढ़ पाए. 

यहां समझने वाली बात ये भी है कि आखिर इन ट्रकों को दिल्ली के बॉर्डर पर ही क्यों रोका गया ? इन्हें और पहले ही रोक दिया जाना चाहिए था. अगर ट्रकों को 40 य़ा 50 किलोमीटर पहले रोक दिया जाता, तो दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति में सुधार हो सकता था. लेकिन गलत Planning की वजह से सब कुछ खराब हो गया. PM 2.5 फैलाने वाले वाहनों का आंकड़ा देखा जाए, तो इससे होने वाले प्रदूषण का कुल योगदान लगभग 28 प्रतिशत है. और इस प्रदूषण के सबसे बड़े गुनहगार Trucks हैं. दूसरा नंबर ट्रैक्टर्स का है... ये करीब 9 फीसदी प्रदूषण फैलाते हैं. इसी तरह दो-पहिया वाहनों से 7 फीसदी, तीन पहिये वाले वाहनों से 5 फीसदी, जबकि कारों से 3 प्रतिशत और बसों से भी 3 प्रतिशत PM 2.5 फैलता है.

सर्दियों के मौसम में PM 10 के स्तर पर भी स्टडी की गई है. जिसमें पाया गया है, कि इन कणों से होने वाला 24 फीसदी प्रदूषण... वाहनों की वजह से ही फैलता है.मौजूदा परिस्थितियों में भारत प्रदूषण का इलाज करने में सक्षम नहीं है. लेकिन चीन ने ऐसा Innovation किया है जिससे भारत बहुत कुछ सीख सकता है.बड़ी-बड़ी इमारतों के बीच खड़े इस Tower को देखकर कोई भी इसकी खूबसूरती की चर्चा करेगा. लेकिन, इस Tower का सच कुछ और ही है. चीन के शियान शहर में बना ये Tower दुनिया का सबसे बड़ा Air Purifier है. 100 मीटर ऊंचा ये Tower, कुतुब मीनार से भी 27 मीटर ऊंचा है. और ये इस शहर में रहने वाले लोगों की Lifeline बन चुका है. जिस वक्त दिल्ली और NCR में लोग मास्क लगाकर एक-एक सांस के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ठीक उसी वक्त चीन में बना दुनिया का सबसे बड़ा Air Purifier वहां मौजूद लोगों को हर रोज़ एक करोड़ Cubic Meters की शुद्ध हवा दे रहा है. इस Tower की मदद से शियान शहर में प्रदूषण के स्तर को सामान्य, स्तर तक लाने में क़ामयाबी मिली है.

किसी ज़माने में दिल्ली की ही तरह चीन के इस शहर में भी ठंड के मौसम में प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर होता था. लेकिन चीन की सरकार ने प्रदूषण को गंभीरता से लिया और उसे खत्म करने के लिए 100 मीटर ऊंचा Tower खड़ा कर दिया.

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