समानांतर अर्थतंत्र को ध्वस्त करने के लिए कारगर है नोटबंदी: अमित शाह
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समानांतर अर्थतंत्र को ध्वस्त करने के लिए कारगर है नोटबंदी: अमित शाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि नोटबंदी के कारण व्यवस्था के समानांतर चल रहा सारा अवैध धन व्यवस्था के अंदर आ जाएगा और इस धन का इस्तेमाल गरीबों के कल्याण पर होगा।

समानांतर अर्थतंत्र को ध्वस्त करने के लिए कारगर है नोटबंदी: अमित शाह

नयी दिल्ली: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि नोटबंदी के कारण व्यवस्था के समानांतर चल रहा सारा अवैध धन व्यवस्था के अंदर आ जाएगा और इस धन का इस्तेमाल गरीबों के कल्याण पर होगा।

शाह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अब तक जिन लोगों के पास अघोषित धन था, उन्हें अब कर भरना पड़ेगा और सरकार यही चाहती थी। उनसे पूछा गया था कि 14 लाख करोड़ रुपये में से 11 लाख करोड़ रुपये खातों में आ चुके हैं तो काला धन कैसे खत्म कर पाएंगे, इस पर शाह ने कहा कि नोटबंदी के बाद अब बिना लेखा-जोखा वाला धन भी व्यवस्था के तहत आ रहा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के परिणाम दूरगामी होंगे और अर्थतंत्र में आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिलेगा।

नोटबंदी की तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा कि किसी को मौका नहीं मिले इसके लिए नोटबंदी योजना को गुप्त रखा गया था। तैयारियां कम नहीं हैं। यह पूछने पर कि क्या नोटबंदी को लागू करने का तरीका ठीक नहीं था जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो उन्होंने कहा कि कुछ दिनों तक असुविधा रहेगी और प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि 50-60 दिनों तक की दिक्कत है लेकिन यह कदम लोगों के हित में उठाया गया है।

नोटबंदी के बारे में भाजपा को पहले से ही पता होने के विपक्ष के आरोपों के बारे में पूछने और इसके लागू होने से ऐन पहले पश्चिम बंगाल में भाजपा इकाई द्वारा बैंक खाते में करोड़ों रुपये जमा किए जाने और बिहार में जमीन खरीदे जाने के आरोपों के बारे में भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी ने 2015 में ही हर जिला सेंटर में कार्यालय बनाने की योजना बनाई थी और नवम्बर 2016 तक 170 कार्यालय के लिए जमीन खरीदी जा चुकी है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि हमारे खाते का ब्यौरा पार्टी की वेबसाइट, चुनाव आयोग की वेबसाइट पर है और सब कुछ पारदर्शी है। शाह से पूछा गया कि नोटबंदी के बाद उत्तरप्रदेश चुनावों को लेकर मायावती, मुलायम परेशान हैं तो फिर आपकी तैयारियां कैसी चल रही हैं, इस पर उन्होंने कहा कि सबको परेशानी आएगी, उसी तरह हमें भी परेशानी होगी।

नोटबंदी के बाद उत्तरप्रदेश में भाजपा के हाईटेक चुनाव प्रचार पर असर पड़ने के बारे में उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को बराबर का मौका मिलेगा और हम चाहते हैं कि चुनाव प्रक्रिया से काला धन बाहर निकल जाए। हालांकि राजनीतिक दलों और खासकर भाजपा को आरटीआई के दायरे में लाने के सवाल का शाह ने सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि चुनाव आयोग के तत्वाधान में सभी पार्टियां काले धन को चुनावों से बाहर करने पर अपनी राय रखें। उन्होंने जोर दिया कि वह राजनीति से काला धन दूर करने के पक्ष में हैं।

राजनीतिक दलों के चेक से चंदा लेने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि नकदी नहीं होगी तो चेक से ही चंदा आएगा। शाह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अर्थशास्त्री नहीं थे लेकिन उनके समय जीडीपी 8% थी, अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में जीडीपी चार फीसदी पर चली गई और अब एक चायवाला प्रधानमंत्री है तो जीडीपी 7.6 फीसदी पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि धन अब या तो बैंकिंग सिस्टम के अंदर रहेगा या वे सारे नोट रद्दी हो जाएंगे।

शाह ने कहा कि सात नवम्बर तक बसपा, सपा, कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष पूछता था कि काले धन पर क्या किया और अब कहते हैं कि क्यूं किया? उन्होंने कहा कि विदेशों से भी जब काला धन वापस लाएंगे तो विपक्षी दल फिर कहेंगे कि ऐसा क्यों किया? भाजपा अध्यक्ष ने सीमा पर जवानों की शहादत पर राजनीति नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि पहले सिर्फ हमारे जवान शहीद होते थे लेकिन अब हमारे जवान उनकी सरहद में घुसकर बदला लेते हैं और यह सब राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण हो रहा है।

उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश का चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा न कि संकुचित जातिवाद, परिवारवाद, राज्यवाद के मुद्दे पर। उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर जनता हमारे साथ है और इसका फायदा चुनावों में होगा। शाह ने कहा कि नोटबंदी के बाद जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

यह पूछने पर कि जो कंपनियां राजनीतिक दलों को चंदे देती हैं उनका एनपीए बढ़ा है तो भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व के शासन में कंपनियों ने फायदा उठाया और हमारी सरकार ने कठोरता से काम किया है इसलिए कंपनियों का एनपीए बढ़ा है। नोटबंदी से शिवसेना और अकाली दल के भी परेशान होने के बारे में किए गए एक सवाल पर शाह ने कहा कि काले धन के आधार पर राजनीति करने वालों को दिक्कत हो रही है। जब उनसे पूछा गया कि लाल किले की प्राचीर पर वह कब झंडा फहराएंगे तो उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में उनसे कई नेता वरिष्ठ हैं।

 

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