नोटबंदी पर संसद में संग्राम जारी, पीएम मोदी की मौजूदगी व जेपीसी जांच की मांग पर अड़ा विपक्ष
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नोटबंदी पर संसद में संग्राम जारी, पीएम मोदी की मौजूदगी व जेपीसी जांच की मांग पर अड़ा विपक्ष

आम लोगों को 1000 रुपये और 500 रूपये के नोट अमान्य किए जाने की वजह से हो रही परेशानी के मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री की सदन में उपस्थिति और उनकी एक टिप्पणी को लेकर माफी मांगे जाने की मांग पर अड़े विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों ने सोमवार को भी जमकर हंगामा किया। हंगामे के चलते संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्‍थगित कर दी गई।

नोटबंदी पर संसद में संग्राम जारी, पीएम मोदी की मौजूदगी व जेपीसी जांच की मांग पर अड़ा विपक्ष

नई दिल्‍ली : आम लोगों को 1000 रुपये और 500 रूपये के नोट अमान्य किए जाने की वजह से हो रही परेशानी के मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री की सदन में उपस्थिति और उनकी एक टिप्पणी को लेकर माफी मांगे जाने की मांग पर अड़े विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों ने सोमवार को भी जमकर हंगामा किया। हंगामे के चलते संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्‍थगित कर दी गई।

राज्यसभा में पीएम मोदी की मौजूदगी की मांग को लेकर विपक्षी सांसद दिन भर अड़े रहे। हंगामे के चलते राज्‍यसभा की कार्रवाई दिनभर के लिए स्‍थगित कर दी गई। इससे पहले, विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसी कारण शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया। भोजनवकाश के पहले की कार्रवाई बाधित रही।

बैठक शुरू होने पर क्यूबा के दिवंगत नेता फिदेल कास्त्रो को सदन में श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद उप सभापति पी जे कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। फिर कुरियन ने जैसे ही शून्यकाल शुरू करने का ऐलान किया, सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि आज नोटबंदी के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन किया जा रहा है। नोटबंदी के कारण आम लोग बुरी तरह परेशान हैं। अग्रवाल ने कहा कि लोगों की समस्याएं उजागर करने के लिए ‘अखिल भारतीय स्तर पर विरोध’ किया जा रहा है और इसे ‘आक्रोश दिवस’ नाम दिया गया है। कांग्रेस के आनंद शर्मा, माकपा के सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और बसपा प्रमुख मायावती ने अग्रवाल की बात का समर्थन किया। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर की रात को जो ऐलान किया उसके चलते लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है और पूरा देश गुस्से में है। येचुरी ने कहा कि लोग बहुत ज्यादा परेशान हैं और दुकानें तथा कारोबारी प्रतिष्ठान ठप पड़े हैं। बैंकों के आगे लगी कतारें कम ही नहीं हो रही हैं।  

सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत के पहले दिन, 16 नवंबर को नोटबंदी के मुद्दे पर सदन में चर्चा शुरू हुई जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। नारेबाजी कर सदन की कार्यवाही बाधित करने के बजाय चर्चा बहाल की जानी चाहिए और उसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाना चाहिए। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री को माफी क्यों मांगनी चाहिए। क्या इसलिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए कि काले धन के कुबेर कंगाल हो गए। क्या इसलिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए क्योंकि वह भ्रष्टाचार समाप्त करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। माफी तो विपक्षी सदस्यों को मांगनी चाहिए और देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। नकवी ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पास न तर्क हैं न तथ्य हैं। वह केवल अलग अलग बहाने बना कर चर्चा को टालना चाहता है। कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों से वापस जाने की अपील करते हुए कहा कि वह चाहें तो चर्चा तत्काल शुरू की जा सकती है। माकपा के येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में क्यों नहीं आ रहे हैं। प्रधानमंत्री कहां हैं। नोटबंदी की घोषणा तो उन्होंने ही की थी। वह सदन में आएं तब ही चर्चा आगे बढ़ेगी। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्वयं सदन में आ कर लोगों की परेशानी के बारे में सुनना चाहिए और जवाब देना चाहिए। शर्मा ने कहा कि नोटबंदी के फैसले को लागू करने के लिए सरकार ने बैंकिंग नियमन और रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत 34 अधिसूचनायें और परिपत्र जारी किये हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से एक भी अधिसूचना और परिपत्र को सरकार ने संसद के पटल पर नहीं रखा है। कांग्रेस के उपनेता ने कहा कि अपना धन निकालने के क्रम में करीब 80 लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों की संपत्ति और धन निकालने पर रोक नहीं लगा सकते हैं। यह गैरकानूनी है। इसके लिए संसद में कोई विधेयक पेश नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री और सरकार को जवाब देना चाहिए।

उपसभापति कुरियन ने उनके व्यवस्था के प्रश्न को खारिज करते हुए कहा कि शर्मा ने जो मुद्दा उठाया है वह चर्चा का विषय है अत: वह उस पर कोई व्यवस्था नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान सरकार के नोटों के अमान्य करने के मुद्दे से जुड़े सभी पक्ष रखे जायेंगे। उन्होंने कहा कि आसन, सदन के समक्ष आये चर्चा के विषय के गुण दोष और कानूनी या गैर-कानूनी पक्ष पर टिप्पणी नहीं कर सकता। इसके बाद आसन की अनुमति से विपक्ष के नेता आजाद बोलने के लिए उठे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के फैसले की घोषणा संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र को आहूत किये जाने के पहले की थी। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि इतनी बड़ी घोषणा होने के बाद प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों में कोई बयान नहीं दिया। आजाद ने कहा कि विपक्ष की यह मांग रही है कि जिसने यह घोषणा की है वही चर्चा के दौरान सदन में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि इस फैसले की वित्तमंत्री और कैबिनेट को भी जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब इस मुद्दे पर संसदीय पुस्तकालय और उत्तर प्रदेश की एक जनसभा में बयान दे सकते हैं तो उन्हें संसद में बयान देने में क्या परेशानी है। विपक्ष के नेता ने कहा कि संसद में पहली बार निर्वाचित होकर आने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के आगे सर झुकाया था। उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री संसद का सम्मान क्यों नहीं कर रहे हैं। आजाद जिस समय बोल रहे थे, सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य लगातार टीका टिप्पणी और हंगामा कर रहे थे। आजाद के बाद संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार की ओर से पहले ही यह आश्वासन दिया जा चुका है कि वह चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सरकार के आश्वासन पर भरोसा करते हुए चर्चा को आगे बढ़ाना चाहिए।

नकवी अपनी बात पूरी कर पाते, इससे पहले ही कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गये। कुरियन ने नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों को शांत करवाने का प्रयास किया। लेकिन अपने प्रयासों का कोई असर नहीं होते देख उन्होंने करीब ढाई बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

लोकसभा:-

नोटबंदी के सरकार के फैसले को लेकर कुछ विपक्षी दलों ने सोमवार को भी लोकसभा में नारेबाजी की और कार्यस्थगित करके चर्चा कराने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बहस के दौरान मौजूद रहकर जवाब देने की मांग की। सरकार ने अश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री सदन में आकर चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। हालांकि सरकार के आश्वासन से असंतुष्ट विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर संशोधन विधेयक सदन में पेश किया।

सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर अध्यक्ष ने क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त की जिनका गत 25 नवंबर को क्यूबा के हवाना में 90 साल की आयु में निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने प्रश्नकाल शुरू किया लेकिन नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। अन्नाद्रमुक के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े थे।

विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया और चार प्रश्न लिये भी गये जिन पर संबंधित मंत्रियों ने शोर-शराबे के बीच ही जवाब दिये। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों की नारेबाजी जारी रही और बैठक शुरू होने के करीब 20 मिनट बाद अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सदन की बैठक फिर शुरू होने पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने प्रधानमंत्री के सदन में मौजूद रहने पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ आज सारे देश में आक्रोश दिवस मनाया जा रहा है। मोदीजी के फैसले के कारण गरीब, मजदूर, असंगठित क्षेत्र के लोग, किसान, महिलाएं आदि काफी प्रभावित हुए हैं। लोग एक पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। देश की आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो रही है।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री संसद में आएं, तो प्रधानमंत्री आएंगे और बहस में हस्तक्षेप करेंगे। खड़गे ने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार के नोटबंदी के फैसले के कारण जनता को जो तकलीफ हो रही है, उसके बारे में हमारे कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूर किया जाए। मोदीजी सदन से बाहर बोल रहे हैं। हमारा कहना है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और इस फैसले के बारे में सदन में बोलें। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राष्ट्रहित में लिया गया क्रांतिकारी, साहसिक और गरीबोन्मुखी कदम है और किसी ने भी यह सवाल नहीं उठाया कि यह गलत नीयत से लिया गया फैसला है। विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री से संसद में बहस के दौरान उपस्थित रहने पर जोर दिये जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि अगर विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री संसद में आएं, तो प्रधानमंत्री आएंगे और बहस में हस्तक्षेप करेंगे। उन्होंने कहा कि बड़े नोटों को अमान्य करने का हमारी सरकार का फैसला कालेधन के खिलाफ जंग है। राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां तक इस फैसले को लागू करने की बात है तो हम पहले दिन से इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हम इस बारे में विपक्ष के सुझावों पर भी विचार करने को तैयार हैं। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि हमारा लक्ष्य और मकसद यह है कि सदन चले और कामकाज हो। इसमें सत्तारूढ़ पार्टी को भूमिका निभानी है। प्रधानमंत्री सदन में आएं और चर्चा का जवाब दें। सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हम सभी लोग मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और बोलें। माकपा के पी करूणाकरण ने कहा कि हम सोचते थे कि प्रधानमंत्री पहले दिन ही सदन में आएंगे और नोटबंदी पर बोलेंगे। हम चाहते हैं कि नोटबंदी पर नियम 56 के तहत चर्चा हो। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा कि सदन में इस मुद्दे पर चर्चा हो और प्रधानमंत्री बोलें। बीजद के भृतहरि महताब ने कहा कि देश में जो परिस्थितियां बनी है, उस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए और इस बारे में कोई हल जल्द निकालना चाहिए।

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