वंचित बच्चों को समान अवसर की आवश्यकता: राष्ट्रपति
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वंचित बच्चों को समान अवसर की आवश्यकता: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि वंचित बच्चों की प्रगति को बाधित करने वाले कारकों को हटाने और सरकार की नीतिगत कार्रवाई के जरिए उन्हें समान अवसर प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।

वंचित बच्चों को समान अवसर की आवश्यकता: राष्ट्रपति

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि वंचित बच्चों की प्रगति को बाधित करने वाले कारकों को हटाने और सरकार की नीतिगत कार्रवाई के जरिए उन्हें समान अवसर प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।

पहले ‘लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट’ के उद्घाटन सत्र को यहां राष्ट्रपति भवन में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार समेत सबको ‘हर जगह बाल अधिकारों के संरक्षण के अच्छे कार्य के लिए प्रतिबद्ध करना चाहिए।’ राष्ट्रपति भवन के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों के लिए कार्यक्रमों और कार्रवाइयों को राष्ट्रीय नीति निर्माण के केंद्र में लाना होगा। किसी अन्य आयु वर्ग की तुलना में वंचित बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाली असमानता को कम करने की हमारी साझा जिम्मेदारी है।’ 

उन्होंने कहा, ‘समान भविष्य के लिए रास्ता प्राथमिकता तय करने के जरिए आएगा। शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी में असमानता सूचकों को समाप्त करना होगा।’ राष्ट्रपति को उद्धृत करते हुए प्रवक्ता ने कहा, ‘वंचित बच्चों की प्रगति को बाधित कर रहे कारकों को हटाना चाहिए। हमारा बच्चों, उनके विकास, सुरक्षा और उन्हें समान अवसर देने की दिशा में नैतिक दायित्व है।’ 

मुखर्जी ने कहा, ‘हमारे बच्चे एक ऐसी दुनिया को पाएंगे जो हम उन्हें सौंपेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘इस बात को सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि इस तरह की दुनिया उस जगह से बेहतर हो जो हमें मिली थी। संसाधनों का शोषण और पर्यावरण को क्षति सतत विकास को गंभीर चुनौती पेश कर रही है।’ उन्होंने कहा, ‘यह जलवायु परिवर्तन के गलत प्रभावों से प्रकट होता है। विकासशील अर्थव्यवस्थाएं जो जलवायु संवेदनशील क्षेत्रों यथा कृषि और वानिकी से करीबी रूप से जुड़ी हैं वो जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।’ 

उन्होंने उन प्रतिकूल परिस्थितियों और समस्याओं का जिक्र किया जिनका सामना दुनिया भर में बच्चे कर रहे हैं।

प्रवक्ता के अनुसार राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चे विभिन्न तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसमें स्कूलों में धौंस जमाने से लेकर यौन उत्पीड़न, बाल विवाह और बाल तस्करी जैसी समस्याएं शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘दुनिया के कई हिस्सों में बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जाता है। वे अब भी कुपोषण से पीड़ित हैं और रोकथाम किए जाने योग्य बीमारी से मर रहे हैं। यूनिसेफ के अनुसार 80 फीसदी बच्चों की मौत दक्षिण एशिया और सब-सहारा अफ्रीका में होती है।’ 

मुखर्जी ने कहा, ‘सशस्त्र संघर्ष, हिंसा और उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में बच्चे सर्वाधिक प्रभावित हैं। शरणार्थियों में ऐसे अनेक बच्चे हैं जो अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं।’ दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के चिल्ड्रेन फाउन्डेशन ने किया। हिंसा से बच्चों की रक्षा और ऐसी दुनिया सुनिश्चित करने जहां बच्चे महज बच्चा रहने के लिए स्वतंत्र हों उसके लिए मजबूत नैतिक मंच तैयार करने के मुद्दों पर सम्मेलन में चर्चा की जाएगी।

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा और अन्य गणमान्य लोग कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।

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