जन्मदिन विशेष : 14 साल की उम्र में राजनीति में एंट्री करने वाले करुणानिधि ने कभी नहीं देखी हार
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जन्मदिन विशेष : 14 साल की उम्र में राजनीति में एंट्री करने वाले करुणानिधि ने कभी नहीं देखी हार

तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन की अगुवाई अन्नादुरैई कर रहे थे. इस आंदोलन के समय करुणानिधि महज 14 वर्ष के थे, बावजूद वह इस आंदोलन के आवाज बन चुके थे.

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि का आज 94वां जन्मदिन है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद दक्षिण की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि द्रविड़ आंदोलन के शायद अंतिम प्रमुख नेता हैं. हिंदी विरोधी आंदोलन से राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले करुणानिधि आज अपना 94वां जन्मदिन मना रहे हैं. खराब तबीयत की वजह से बीते कुछ समय से वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं. बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चेन्नई दौरे के दौरान उनके आवास पर पहुंचे थे और उनका हलचाल जाने.

लगभग 6 दशक पूर्व तमिलनाडु को एक हिंसक विरोध प्रदर्शन ने हिलाकर रख दिया था. यह विरोध प्रदर्शन हिंदी के खिलाफ था. इसी आंदोलन के बाद भारत सरकार ने अंग्रेज़ी को सहायक भाषा का दर्जा दिया था. तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन की अगुवाई अन्नादुरैई कर रहे थे. इस आंदोलन के समय करुणानिधि महज 14 वर्ष के थे, बावजूद वह इस आंदोलन के आवाज बन चुके थे.

करुणानिधि के जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलू:

>>तिरुवरूर के तिरुकुवालाई में तीन जून 1924 को करुणानिधि का जन्म हुआ था. वह इसाई वेल्लालर समुदाय से संबंध रखते हैं. 14 वर्ष की उम्र में राजनीति में प्रवेश करने वाले करुणानिधि पहली बार कुलाथालाई विधानसभा सीट से 1957 में विधायक बने और उसके बाद उन्होंने पीछे मुरकर नहीं देखे.

>>करुणानिधि तमिल फिल्म में एक पटकथा लेखक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. द्रविड़ आंदोलन के दौरान वह समाजवादी विचारों को बढ़ावा देने वाली कहानियां लिखने के लिए मशहूर थे. उन्होंने तमिल सिनेमा जगत के पराशक्ति नामक फिल्म के माध्यम से अपने राजनीतिक विचारों का प्रचार करना शुरू किया. 1950 के दशक में उनके दो नाटकों को प्रतिबंधित कर दिया गया.

>>द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) प्रमुख करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने. इतना ही नहीं वह जब-जब अपनी सीट से विधानसभा चुनाव लड़े उन्हें कभी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा. वह 12 बार विधायक चुने गए. करुणानिधि 1967 में पहली बार तमिलनाडु की सत्ता में आए. उन्हें लोक निर्माण मंत्री बनाया गया था.

>>पिता की खराब सेहत की वजह से स्टालिन डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वहीं, उनकी बेटी और राज्यसभा सांसद कनिमोड़ी भी पार्टी का काम देखती है. खराब सेहत के कारण करुणानिधि को तमिलनाडु विधानसभा से छुट्टी मिली हुई है. 2016 में अंतिम बार वह विधानसभा पहुंचे थे. फिलहाल वह तिरुवरूर विधानसभा सीट से विधायक हैं.

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