एम करुणानिधि को मरीना बीच पर ही दफनाने के लिए DMK क्‍यों अड़ी है?
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एम करुणानिधि को मरीना बीच पर ही दफनाने के लिए DMK क्‍यों अड़ी है?

द्रविड़ आंदोलन के महानायक सीएन अन्‍नादुरई (अन्‍ना)की मरीना बीच पर समाधि है.

द्रविड़ आंदोलन के नायकों में शुमार एम करुणानिधि का मंगलवार शाम को निधन हो गया.

नई दिल्‍ली: द्रविड़ आंदोलन के नायकों में शुमार एम करुणानिधि को उनकी पार्टी द्रमुक (डीएमके) चेन्‍नई के मरीना बीच पर दफनाने के लिए अड़ गई है. राज्‍य सरकार ने उनको यहां स्‍पेस देने से इस आधार पर इनकार कर दिया कि यदि मुख्‍यमंत्री के पद पर रहते हुए उनका निधन होता तो यहां अंतिम संस्‍कार होता. दूसरी वजह मरीना बीच के पर्यावरण की भी है. जयललिता की मृत्‍यु के बाद अभी तक यहां उनका मेमोरियल पूर्ण रूप से नहीं बन सका है. राज्‍य सरकार अन्‍यत्र दफनाने के लिए आग्रह करती रही है लेकिन द्रमुक अपने नेता को मरीना बीच पर ही दफनानी चाहती है. इसकी कुछ प्रमुख वजहें हैं:

  1. डीएमके के संस्‍थापक अन्‍नादुरई की मरीना बीच पर समाधि
  2. इस कारण द्रविड़ आंदोलन के नायक करुणानिधि को भी यहीं दफनाना चाहती है DMK
  3. अन्‍नाद्रमुक नेताओं एमजीआर और जयललिता को भी यहीं दफनाया गया

1. द्रविड़ आंदोलन के महानायक सीएन अन्‍नादुरई (अन्‍ना)की मरीना बीच पर समाधि है. 1969 में जब मुख्‍यमंत्री पद पर रहते हुए उनकी मृत्‍यु हुई तो उनको मरीना बीच पर दफनाया गया. अन्‍नादुरई मद्रास राज्‍य के अंतिम और जब इसका नाम बदलकर तमिलनाडु हुआ तो इसके पहले मुख्‍यमंत्री थे. एमजी रामचंद्रन और एम करुणानिधि, द्रविड़ आंदोलन के पुरोधा अन्‍नादुरई को अपना नेता मानते थे. इस कारण ही द्रमुक चाहती है कि उनके नेता को अन्‍ना की समाधि के बगल में जगह मिले.

2. अन्‍नादुरई के निधन के बाद एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) और एम करुणानिधि के बीच नहीं बनी. लिहाजा 1972 में एमजी रामचंद्रन ने अन्‍नाद्रमुक(AIADMK) के नाम से पार्टी का गठन किया. इस पार्टी का नाम भी अन्‍नादुरई के नाम से ही प्रेरित है. एमजीआर 1977 से मृत्‍यु तक यानी 1987 तक लगातार तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री रहे. निधन के बाद उनको भी अन्‍नादुरई की समाधि के पास ही दफनाया गया.

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3. इन दोनों नेताओं के निधन के बाद मरीना बीच पर द्रविड़ आंदोलन के किसी अन्‍य बड़े नेता को जगह नहीं मिली. उसके बाद एमजीआर की वारिस और अन्‍नाद्रमुक नेता जे जयललिता का निधन जब दिसंबर, 2016 में हुआ तो उनको भी इसी मरीना बीच पर दफनाया गया. हालांकि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तट मरीना बीच को लेकर अब तमाम पर्यावरणीय मसले हैं. इस कारण ही जयललिता की अभी तक वहां समाधि पूरी तरह से नहीं बन पाई है. हालांकि अभी तक जिन द्रविड़ नेताओं को यहां पर दफनाया गया है, उन सभी का मुख्‍यमंत्री पद पर रहते हुए निधन हुआ था.

4. इन सब वजहों से मरीना बीच द्रविड़ आंदोलन की अस्मिता का प्रतीक बन गया है. लिहाजा द्रमुक भी चाहती है कि उनके नेता को अन्‍ना समेत अन्‍य महान द्रविड़ नेताओं के साथ मरीना बीच पर जगह मिले.

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5. इसके पीछे एक बड़ी बात यह भी है कि अन्‍नाद्रमुक के दो सबसे बड़े नेताओं एमजीआर और जयललिता की मरीना बीच पर समाधि है. इसलिए द्रमुक भी चाहती है कि अन्‍नादुरई के बाद उसके सबसे बड़े नेता करुणानिधि की समाधि भी उनके बगल में होनी चाहिए. उल्‍लेखनीय है कि 1967 में सत्‍ता में आने के बाद 50 साल से भी अधिक वक्‍त बीतने के बावजूद द्रविड़ पार्टियों का ही तमिलनाडु की सियासत में दबदबा है. ये नेता द्रविड़ सियासत की अस्मिता का प्रतिनिधित्‍व भी करते हैं.

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