रूहानी ने कहा कि भारत और ईरान का आतंकवाद तथा चरमपंथ से कारगर तरीके से निपटने के बारे में ‘‘समान रुख’’ है.
Trending Photos
नई दिल्ली: आतंकवाद से निपटने में समन्वित वैश्विक कार्रवाई पर जोर देते हुए भारत और ईरान ने शुक्रवार (17 फरवरी) को कहा कि इस खतरे का मुकाबला करते समय चयनित रूख नहीं अपनाना चाहिए और आतंकी समूहों का वित्त पोषण करने वाले, उनको समर्थन तथा बढ़ावा देने वाले देशों की निंदा की जानी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी के बीच बातचीत के दौरान आतंकवाद की चुनौती से निपटने का मुद्दा प्रमुख था. रूहानी ने कहा कि भारत और ईरान का आतंकवाद तथा चरमपंथ से कारगर तरीके से निपटने के बारे में ‘‘समान रुख’’ है.
भारत-ईरान चाहते हैं आतंकवाद मुक्त दुनिया
मोदी ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद मुक्त दुनिया चाहते हैं और आतंकवाद को प्रोत्साहन देने वाली ताकतों का विस्तार रोकने के लिए दोनों ही प्रतिबद्ध हैं. एक संयुक्त बयान में बताया गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में न केवल आतंकवादियों, आतंकी नेटवर्कों का सफाया होना चाहिए बल्कि आतंकवाद तथा चरमपंथी विचारधाराओं की पहचान कर, उन्हें बढ़ावा देने वाली स्थितियों का समाधान करना चाहिए.इसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने आतंकी तत्वों से निपटने तथा उनको समर्थन एवं वित्तीय सहयोग ‘‘पूरी तरह खत्म करने’’ का आह्वान किया.
आतंकवाद से निपटने के लिए जताई प्रतिबद्धता
बयान के अनुसार, मोदी और रूहानी ने आतंकवाद के हर रूप से निपटने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने आतंकी समूहों तथा आतंकियों को सभी तरह का समर्थन और पनाह दिया जाना तत्काल बंद करने का अनुरोध किया.उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करते समय चयनित रुख नहीं अपनाना चाहिए और आतंकी समूहों का वित्त पोषण करने वाले, उनको समर्थन तथा बढ़ावा देने वाले देशों की निंदा की जानी चाहिए. दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता और जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
वहीं दूसरी ओर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने शनिवार (17 फरवरी) को दोहराया कि उनका देश ‘आखिरी सांस’ तक उस परमाणु समझौते की शर्तों का पालन करेगा जो कि उसने दुनिया के प्रमुख ताकतवर देशों के साथ किया था. रूहानी ने इसके साथ ही आगाह भी किया कि अगर यह समझौता टूटा तो अमेरिका को ‘‘पछताना पड़ेगा’’. रूहानी की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आई है जिसमें ट्रंप ने समझौते से हटने की धमकी दी. उन्होंने परमाणु समझौते की समीक्षा की मांग की थी.