विपक्ष ने राज्यसभा में सरकार को दिखाई ताकत, वित्त विधेयक पर पांच संशोधनों को मंजूरी
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विपक्ष ने राज्यसभा में सरकार को दिखाई ताकत, वित्त विधेयक पर पांच संशोधनों को मंजूरी

राज्यसभा में विपक्ष ने वित्त विधेयक 2017 में पांच संशोधनों करा कर सदन में सरकार को अपनी अपेक्षाकृत बड़ी ताकत का एक बार फिर एहसास कराया. सदन ने वित्त विधेयक को इन संशोधनों के साथ लोकसभा को लौटा दिया है जहां इस पर फिर से विचार किया जाएगा. इन पांच संशोधनों में से तीन संशोधन कांग्रेस सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा लाये गये जबकि दो संशोधन मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी द्वारा पेश किये गये.

जयराम रमेश ने कहा कि वित्त विधेयक की आड़ में संसदीय लोकतंत्र की भावना को आहत करने और राज्यसभा को निष्क्रिय बनाने का प्रयास किया गया है. (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष ने वित्त विधेयक 2017 में पांच संशोधनों करा कर सदन में सरकार को अपनी अपेक्षाकृत बड़ी ताकत का एक बार फिर एहसास कराया. सदन ने वित्त विधेयक को इन संशोधनों के साथ लोकसभा को लौटा दिया है जहां इस पर फिर से विचार किया जाएगा. इन पांच संशोधनों में से तीन संशोधन कांग्रेस सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा लाये गये जबकि दो संशोधन मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी द्वारा पेश किये गये.

विपक्ष के इन संशोधनों को सदन में बड़े अंतर के साथ स्वीकार कर लिया गया. इनमें मतों का अंतर 27 से 34 के बीच रहा. तृणमूल कांग्रेस के सदन में 10 सदस्य हैं, मतदान से पहले उसके सभी सदस्य सदन से उठकर चले गये. राज्य सभा में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का बहुमत नहीं है. 245 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के 56 सदस्य हैं जबकि राजग के कुल मिलाकर 74 सदस्य हैं.

इससे पहले वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विभिन्न लाभ पाने के लिये आधार को अनिवार्य बनाये जाने के सरकार के प्रयासों का मजबूती के साथ बचाव किया. जेटली ने कहा कि कर चोरी और धोखाधड़ी को रोकने के लिये यह जरूरी है. आधार पर उन्होंने कहा कि यह पिछली संप्रग सरकार की ‘बड़ी पहल’ थी और राजग सरकार इसे आगे बढ़ा रही है.

जेटली ने कहा, ‘इससे पहले हममें से कुछ को इसको लेकर शंकायें थी. आपके भी कुछ लोगों (कांग्रेस) को इसपर आशंकायें थी. बाद में प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) के समक्ष इस पर एक प्रस्तुतीकरण दिया गया जिसमें आशंकाओं को दूर किया गया.’ कांग्रेस के सदस्यों द्वारा बार बार यह सवाल पूछा गया कि सरकार आधार को अनिवार्य क्यों बना रही है. इसके जवाब में जेटली ने कहा कि इस तकनीक का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाना चाहिये जबकि इसे लोगों के फायदे के लिये बनाया गया है.

वित्त मंत्री जेटली को बधाई

अकाली दल के नरेश गुजराल ने पिछले तीन साल में भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बनाने के लिए वित्त मंत्री को बधाई दी. उन्होंने कहा कि सरकार के वित्तीय अनुशासन के कारण विदेशी निवेश बढ़ रहा है तथा सरकार द्वारा बैंकों से कर्ज लेने का चलन कम हुआ है. इससे अन्य लोग बैंकों से कर्ज अधिक ले सकेंगे. 

गुजराल ने सरकार से कहा कि वह वित्त विधेयक में आयकर कानून में किये गये कुछ संशोधनों पर पुनर्विचार करे क्योंकि आयकर अधिकारियों द्वारा इसके व्यापक दुरुपयोग की आशंका है. उन्होंने सरकार को किसानों की समस्या पर ध्यान देने तथा उनकी उपज की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मुद्रास्फीति दर से दो प्रतिशत अधिक तय करने का सुझाव दिया.

नोटबंदी को मिला जनता का समर्थन

भाजपा के सी वी गोहेल ने कहा कि जब सरकार ने नोटबंदी का निर्णय घोषित किया था तो विपक्षी दलों ने इसका काफी विरोध किया था. किन्तु हाल के चुनावों में भाजपा को मिली जीत ने यह साबित कर दिया है कि नोटबंदी का फैसला आम आदमी के अनुकूल है और उसने इसे पसंद किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने वित्त विधेयक में जो संशोधन किये हैं उससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी तथा आम आदमी की सहूलियतें बढ़ेंगी.

तृणमूल कांग्रेस की परेशानी

तृणमूल कांग्रेस के विवेक गुप्ता ने कहा कि वित्त विधेयक में अधिभार का विभाजन नहीं होने की बात से पश्चिम बंगाल को 4,000 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान होगा और इस व्यवस्था से बाकी राज्यों को भी नुकसान होगा. गुप्ता ने कहा कि विभिन्न न्यायाधिकरणों का विलय कर दिया गया है पर उनमें नियुक्तियों का अधिकार न्यायपालिका के पास होना चाहिये. उन्होंने सरकार पर आयकर के संबंध में ‘आतंकवाद’ जैसी स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया. उन्होंने जानना चाहा कि आकलन किये जाने वाले को आयकर अधिकारी के छापे के समय अपने बचाव के संबंध में बात कहने का अवसर क्यों नहीं दिया गया है.

वित्त विधेयक की आड़ में राज्यसभा को निष्क्रिय बनाने की कोशिश

कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि वित्त विधेयक की आड़ में संसदीय लोकतंत्र की भावना को आहत करने और राज्यसभा को निष्क्रिय बनाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि धारा 154 में कंपनी अधिनियम में संशोधन किया गया है जिसके तहत निगमित कंपनियां कितनी भी मात्रा में राशि दान में दे सकती हैं. जबकि पहले मनमोहन समिति ने इस दान पर पांच प्रतिशत की ‘सीलिंग’ रखी थी और इस समिति ने इस सीमा को समाप्त करने के बारे में कभी नहीं कहा लेकिन मौजूदा सरकार ने इस सीमा को समाप्त कर दिया है. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि वित्त विधेयक की आड़ में अन्य गैर वित्तीय बातों को शामिल किया गया है.

वित्त विधेयक ईमानदार नागरिकों को डराने के लिए

कांग्रेस के ही के रहमान खान ने कहा कि विधेयक को देखकर नहीं लगता कि वित्तमंत्री इसके लेखक हो सकते हैं. वास्तव में यह ईमानदार नागरिकों को डराने के लिए लाया गया है. उन्होंने छापे और तलाशी के लिए अधिकारियों द्वारा शिकार होने वाले व्यक्ति को कारण नहीं बताये जाने का औचित्य जानना चाहा. उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा और ‘ब्लैकमेलिंग’ बढ़ेगी तथा चुनिंदा लोग प्रताड़ित किये जायेंगे. उन्होंने कहा कि विधेयक में जो प्रावधान किये गये हैं उससे न्यायाधिकरणों का महत्व ही खत्म हो गया है जो हमें अराजकता की स्थिति को ओर ले जायेगा. हालांकि उन्होंने योजनागत और गैर योजनागत खचरे को जोड़े जाने जैसे कदमों का स्वागत किया.

मौलिक अधिकारों के खिलाफ

कांग्रेस के ही पी भट्टाचार्य ने कहा कि आयकर अधिकारियों द्वारा किसी भी व्यक्ति के यहां छापा मारना, तलाशी करना और इसका कोई कारण नहीं बताना नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि किसानों पर आयकर लगाने से किसान बहुत प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि कृषि उपज की गणना आयकर अधिकारी किस तरह से कर पायेंगे यह समझ से परे है. चर्चा में अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन, द्रमुक की कनिमोई और राकांपा के मजीद मेनन ने भी भाग लिया.

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