यूपी पूर्व सीएम अखिलेश चहेतों को 'यश भारती' बांटने के सवाल पर बोले, 'योगी आदित्यनाथ भी बांट लें'
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यूपी पूर्व सीएम अखिलेश चहेतों को 'यश भारती' बांटने के सवाल पर बोले, 'योगी आदित्यनाथ भी बांट लें'

मीडिया सूत्रों के मुताबिक साल 2012 से 2017 के बीच जिन 200 लोगों को इस पुरस्कार से नवाजा गया उनमें करीब 150 लोगों का संबंध कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी से था. 

अखिलेश यादव ने सत्ता संभाली तो 2012 से 2017 तक यश भारती सम्मान दिए (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:  यूपी में अखिलेश सरकार के राज में यश भारती पुरस्कार बांटने में जमकर भाई-भतीजावाद हुआ. उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित पुरस्कार यश भारती सम्मान वितरण मामले में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सवालों के घेरे में हैं. पूर्व सीएम पर आरोप है कि उन्होंने अपने कुछ चहेतों को ये पुरस्कार दिए.ये खुलासा 'द इंडियन एक्सप्रेस' की आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी के आधार पर किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान  यश भारती पुरस्कार पाने वालों में नेताओं के दोस्त, अफसर और समाजवादी पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं के परिजन तक शामिल हैं.

  1. तमाम लोगों का संबंध कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी से था
  2. पुरस्कार के लिए नामों के चयन में भाई-भतीजावाद जमकर चला
  3. इसकी स्थापना 1994 में मुलायम सिंह ने मुख्यमंत्री रहते की थी

मीडिया सूत्रों के मुताबिक साल 2012 से 2017 के बीच जिन 200 लोगों को इस पुरस्कार से नवाजा गया उनमें करीब 150 लोगों का संबंध कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी से था. सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार महज मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखने भर के बाद 21 लोगों को ये पुरस्कार दे दिया गया.

गौरतलब कि इस पुरस्कार की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने साल 1994 में की थी. यश भारती सम्मान में व्यक्ति को 11 लाख रुपए नकद, एक शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाता है. इसके साथ ही व्यक्ति को पचास हजार रुपए महीने की पेंशन भी दी जाती है.

हालांकि चुनिंदा लोगों ये पुरस्कार देने पर सवालों में घिरे अखिलेश यादव ने सूबे की सरकार पर पलटवार किया है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव ने कहा, ‘हम तो कहते हैं आपकी सरकार है आप भी अपने खास लोगों को दे दो. हम कौनसा आपको रोक रहे हैं.’ पूर्व सीएम अखिलेश ने आगे कहा कि हमने 11 लाख और पचास हजार पेंशन दी. आपकी सरकार तो केंद्र में भी है. आपको तो एक लाख रुपए की पेंशन सुनिश्चित करनी चाहिए.

 

बता दें कि यूपी सरकार के यश भारती सम्मान के तहत 11 लाख रुपये की एकमुश्त पुरस्कार राशि और 50 हजार रुपये प्रति माह पेंशन दिए जाने का प्रावधान है. सूचना के अधिकार के जरिए मिली जानकारी के अनुसार करीब 21 लोगों को सीधे सीएम कार्यालय में आवेदन भेजने के बाद यश भारती पुरस्कार दिया गया था.

इतना ही नहीं कई ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिनकी सिफारिश समाजवादी पार्टी के नेताओं ने की थी. इनमें अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव, चाचा शिवपाल यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान, अखिलेश सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया जैसे नाम शामिल हैं. सम्मान पाने वाले कुछ लोगों ने खुद ही अपने नाम का प्रस्ताव भेजा.

इसकी स्थापना 1994 में मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते की थी. बाद में इसको अन्य दलों की सरकार ने बंद कर दिया लेकिन जब अखिलेश यादव ने सत्ता संभाली तो 2012 से 2017 तक यश भारती सम्मान दिए. पुरस्कार आधिकारिक तौर पर राज्य का संस्कृति मंत्रालय देता है. अखिलेश सरकार में कई लोगों ने इसके आवेदन सीएम ऑफिस को भेजे.

पुरस्कार के लिए नामों के चयन में भाई-भतीजावाद जमकर चला. इसके लिए मानदंड तय नहीं था. बताया जा रहा है कि एक को आजम खान ने जबकि दो नाम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने बताये थे. एक आईएएस की 19 साल की बेटी को भी यश भारती पुरस्कार दिया गया था. यश भारती पुरस्कार की स्थापना अखिलेश यादव के पिता और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने 1994 में मुख्यमंत्री रहते हुए की थी.

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