जम्‍मू-कश्‍मीर में सरकार या दोबारा चुनाव? गवर्नर से आज मिलेंगे पीडीपी-बीजेपी नेता
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जम्‍मू-कश्‍मीर में सरकार या दोबारा चुनाव? गवर्नर से आज मिलेंगे पीडीपी-बीजेपी नेता

जम्मू कश्मीर में सरकार के गठन को लेकर करीब एक महीने से अनिश्चितता बनी हुई है। पीडीपी-बीजेपी गठबंधन पर लगातार पेंच बना हुआ है। श्रीनगर में पीडीपी विधायकों की सोमवार को हुई बैठक के बाद मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात कर उन्हें पार्टी के रुख से अवगत कराएंगी। वहीं राज्यपाल ने राज्य में सरकार गठन के लिए बीजेपी को भी आमंत्रित किया है। जानकारी के अनुसार, महबूबा मुफ्ती आज शाम 4.30 बजे राज्यपाल से मिलेंगी वहीं,  बीजेपी नेता भी आज गवर्नन से शाम में मिलेंगे।

जम्‍मू-कश्‍मीर में सरकार या दोबारा चुनाव? गवर्नर से आज मिलेंगे पीडीपी-बीजेपी  नेता

श्रीनगर/जम्मू : जम्मू कश्मीर में सरकार के गठन को लेकर करीब एक महीने से अनिश्चितता बनी हुई है। पीडीपी-बीजेपी गठबंधन पर लगातार पेंच बना हुआ है। श्रीनगर में पीडीपी विधायकों की सोमवार को हुई बैठक के बाद मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात कर उन्हें पार्टी के रुख से अवगत कराएंगी। वहीं राज्यपाल ने राज्य में सरकार गठन के लिए बीजेपी को भी आमंत्रित किया है। जानकारी के अनुसार, महबूबा मुफ्ती आज शाम 4.30 बजे राज्यपाल से मिलेंगी वहीं,  बीजेपी नेता भी आज गवर्नन से शाम में मिलेंगे।

गौर हो कि राज्यपाल ने कहा है कि पिछले 10 महीने से राज्य में मिलकर सरकार चला रही दोनों पार्टियों को मंगलवार को यह स्पष्ट करना होगा कि वे राज्य में दोबारा सरकार बनाएंगे या नहीं। बीजेपी शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है कि बीजेपी गठबंधन को अपना समर्थन देती रहेगी। यह निर्णय पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और महासचिव राम माधव की मौजदूगी में हुआ। यह बैठक राज्यपाल के समन के बाद बुलाई गई थी।

 

राज्यपाल एन एन वोहरा ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल शर्मा से कहा कि वे इस संदर्भ में मंगलवार को अपना रुख स्पष्ट करें। इस बीच, पीडीपी ने अभी तक असमंजस बरकरार रखा, जबकि पार्टी के विधायक दल की बैठक भी हुई। पीडीपी विधायक दल की बैठक में अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को अधिकृत किया गया कि वह आज राज्यपाल वोहरा को पार्टी के विचार से अवगत कराएं। बहरहाल, इसको लेकर कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या महबूबा को विधायक दल का नेता चुना गया है क्योंकि मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम पेश करने के लिए यह जरूरी होगा। पार्टी के एक नेता ने कहा कि विधायक दल ने महबूबा जी को इस बात के लिए अधिकृत किया है कि वह राज्यपाल को पीडीपी की राय से अवगत कराएं।

वोहरा ने दोनों नेताओं को मुलाकात के लिए आज अलग-अलग समय पर बुलाया है। मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में बीते आठ जनवरी को राज्यपाल शासन लगाया गया था।

पीडीपी के प्रवक्ता नईम अख्तर ने सोमवार को बताया कि हां, राज्यपाल ने उन्हें (महबूबा मुफ्ती) को आज मुलाकात के लिए बुलाया है। सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने विचार विमर्श करने के लिए रविवार शाम पीडीपी प्रमुख को फैक्स से संवाद भेजा। महबूबा का कल दोपहर को राज्यपाल से मिलने का कार्यक्रम है जिसके बाद वोहरा, प्रदेश भाजपा प्रमुख से मिलेंगे। शर्मा ने कहा कि हां, हम राज्यपाल से मंगलवार शाम को मिलने जा रहे हैं।

इस बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा और पीडीपी सरकार का गठन नहीं करके जनादेश की अहवेलना कर रही हैं तथा पार्टी ने उम्मीद जताई कि इन दोनों दलों को सदबुद्धि आएगी। नई दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि मेरा आरोप है कि पीडीपी और भाजपा संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की जनता के लोकतांत्रिक जनादेश की उपेक्षा कर रही हैं, झुठला रही हैं तथा उल्लंघन कर रही हैं। उन्हें शासन के लिए चुना गया है और एक मिनट की भी देरी अच्छी नहीं है।

राज्यापाल की ओर से इन दोनों नेताओं को मुलाकात के लिए उस वक्त बुलाया गया है जब पीडीपी प्रमुख ने सोमवार को भाजपा के साथ गठबंधन जारी रखने के संदर्भ में तल्ख बयान दिए थे। दोनों पाटियों ने सईद के निधन तक 10 महीने की गठबंधन सरकार चलाई थी। मुख्यमंत्री पद के लिए अपने पिता की उत्तराधिकारी के तौर पर देखी जा रही महबूबा ने कहा था कि वह भाजपा के साथ सरकार बनाने का फैसला, इस बात का फिर से आकलन करने के बाद करेगी कि क्या केंद्र सरकार राज्य के प्रमुख राजनीतिक एवं आर्थिक मुद्दों के निवारण के लिए तय समयसीमा के भीतर ठोस कदम उठाएगी। बहरहाल, भाजपा कोर ग्रुप की सोमवार को महासचिव (संगठन) अशोक कौल के आवास पर बैठक हुई जिसमें आगे की रणनीति के बारे में फैसला किया गया।

बैठक के बाद भाजपा नेताओं ने कहा कि पीडीपी की तरफ से ‘कोई ठोस’ मांग या शर्त नहीं रखी गई है और उनकी पार्टी ‘एजेंडा ऑफ अलायंस’ को जारी रखने को लेकर प्रतिबद्ध है। भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि वे किसी के दबाव में नहीं आएंगे। शर्मा ने कहा कि हम उनसे (राज्यपाल से) मुलाकात करेंगे और बैठक सरकार गठन के मुद्दे पर हमारे रूख को लेकर थी। भाजपा नेता ने कहा कि पीडीपी के नेता अगर कोई मुद्दा उठाते हैं तो उसका समाधान किया जाएगा।

 

शर्मा ने कहा कि पिछले दस महीने में जो विकास कार्य हुए वे पिछले 60 वर्षों में भी नहीं हुए। एजेंडा ऑफ अलायंस जम्मू-कश्मीर को आगे ले जाने के लिए नरेन्द्र मोदी और मुफ्ती मोहम्मद सईद की परिकल्पना थी। अगर आप सोचते हैं कि विकास धीमा है तो हम सुनिश्चित करेंगे कि यह तेज हो। यह पूछने पर कि क्या भाजपा राज्य में फिर से चुनाव कराने को तैयार है तो शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी। इन खबरों के बारे में कि पीडीपी ने राज्य के लिए बिजली परियोजनाओं जैसी कुछ मांगें रखी हैं, शर्मा ने कहा कि हम केंद्र से चर्चा करेंगे और अगर इस तरह का कोई मुद्दा आता है तो हम निश्चित रूप से बताएंगे।

उन्होंने कहा कि पीडीपी ने ऐसा कहा होगा लेकिन हमें कुछ भी लिखित में नहीं मिला है। जब इस तरह का मुद्दा उठता है तो हम आपको बताएंगे। एजेंडा ऑफ अलायंस को जारी रखने पर महबूबा मुफ्ती की चिंताओं और मांगों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी तक कोई शर्त नहीं रखी गई है, हमसे किसी ने कोई चर्चा नहीं की है। अगर हमें कुछ भी ठोस मिलता है तो हम उस पर चर्चा करेंगे। हमारी शर्त केवल एजेंडा ऑफ अलायंस है। जम्मू से भाजपा के सांसद जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि राज्य और केंद्रीय नेतृत्व के बीच चर्चा के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा। शर्मा ने कहा कि पार्टी को रविवार को राज्यपाल से पत्र मिला, जिसमें उन्होंने मंगलवार को शाम छह बजे बैठक के लिए निमंत्रण भेजा है। पीडीपी और भाजपा के साथ राज्यपाल के विचार विमर्श को राज्य में मध्यावधि चुनाव को टालने की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है।

सोमवार को पार्टी नेताओं के साथ चार घंटे तक चली बैठक के बाद महबूबा ने कहा था कि पीडीपी सरकार गठन के बारे में तब निर्णय करेगी तब उसे विश्वास हो जायेगा कि मुफ्ती मोहम्मद सईद की सोच और मिशन को आगे बढ़ाया जायेगा और उसका अक्षरश: पालन किया जाएगा।

वहीं, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि अगर पीडीपी सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है तो राज्य में चुनाव होना चाहिए। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर पीडीपी सरकार गठित करने के लिए तैयार नहीं है तो फिर एक सिर्फ एक विकल्प नए चुनाव कराने का है। कोई दूसरी पार्टी उनके साथ सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है और अगर पीडीपी भी यही चाहती है तो फिर यही समय है कि वे नए चुनाव का आह्वान करें। लोकतंत्र में यही होना चाहिए।

गौर हो कि राज्य की 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 27, भाजपा के 25, नेशनल कांफ्रेंस के 15 तथा कांग्रेस के 12 विधायक हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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