Trending Photos
नई दिल्ली : इसरो ने कामयाबी का इतिहास रचते हुए सोमवार को शाम पांच बजकर 28 मिनट पर जीएसएलवी मार्क तीन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया. इसरो की इस सफलता ने भारत को उन चुनिंदा देशों-अमेरिका, रूस, चीन और जापान की श्रेणी में लाकर खड़ा दिया जो भारी भरकम सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखते हैं. इस कामयाबी के बाद भारत के पास अंतरिक्ष की दुनिया में नए कीर्तिमान स्थापित करने के अवसर होंगे. भारत अब अंतरिक्ष में मानवयुक्त मिशन भेज सकेगा. इसके अलावा व्यावसायिक सैटेलाइट प्रक्षेपण के लिए दुनिया में भारत की मांग और बढ़ेगी.
ISRO launches its most powerful rocket GSLV Mark III carrying GSAT-19 communication satellite from Sriharikota, AP #GSLVMK3 pic.twitter.com/3Tnme9Qlz5
— ANI (@ANI_news) June 5, 2017
इसरो का 'फैट ब्यॉय' है मार्क 3
इसरो ने मार्क 3 की भारी-भरकम आकार के लिए इसे 'फैट ब्वॉय' नाम दिया है. जीएसएलवी मार्क तीन संचार क्षेत्र की सुविधाएं बेहतर बनाएगा.
करीब 300 करोड़ की लागत और 15 वर्ष के कठिन परिश्रम के बाद जीएसएलवी मार्क 3 का निर्माण किया गया है. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसे मास्टर रॉकेट का नाम दिया है. जीएसएलवी मार्क 3 की ऊंचाई 13 मंजिला इमारत के बराबर है और ये चार टन वजनी सेटेलाइट को अपने साथ ले जा सकता है.
वजनी सैटेलाइट भेजने में भारत अब खुद पर निर्भर
वर्तमान में भारत को 2.3 टन वजनी संचार सैटेलाइट को लांच करने के लिए बाहरी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है. जीएसएलवी मार्क 3 अपने साथ करीब चार टन वजनी जीसैट-19 को अपने साथ ले गया है. इस रॉकेट के कामयाब प्रक्षेपण से भारत खुद पर निर्भर होने के साथ व्यवसायिक इस्तेमाल कर सकेगा.
जीएसएलवी मार्क 3 के प्रक्षेपण में स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है। क्रायोजेनिक इंजन में लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है. जीएसएलवी मार्क 3 के प्रक्षेपण से पहले इसका 200 से ज्यादा बार परीक्षण किया गया. 640 टन के भार वाला यह रॉकेट एशिया के 200 हाथियों के वजन के बराबर है.