मोदी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) विधेयक राज्यसभा से पारित
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मोदी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) विधेयक राज्यसभा से पारित

लंबे समय से अटके पड़े बहुचर्चित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया है। राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी बिल को पेश किया। इस समय उच्‍च सदन में इस बिल पर चर्चा जारी है। कर क्षेत्र में जीएसटी को अब तक का सबसे दूरगामी सुधार बताया जा रहा है। एनडीए सरकार ने दावा किया है कि इस बिल पर सभी दलों का समर्थन हासिल है।

तस्वीर के लिए साभार - ani

नई दिल्‍ली : लंबे समय से अटके पड़े बहुचर्चित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को राज्यसभा में पारित कर दिया गया। राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी बिल को पेश किया। इस समय उच्‍च सदन में इस बिल पर चर्चा जारी है। इस बिल को राज्यसभा में विचार एवं पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किए जाने के बाद आज उच्‍च सदन में इस पर साढ़े पांच घंटे से अधिक समय तक चर्चा होगी। यह विधेयक 6 संशोधनों के साथ राज्यसभा में पेश किया गया। कर क्षेत्र में जीएसटी को अब तक का सबसे दूरगामी सुधार बताया जा रहा है।

लाइव अपडेट:-

- राज्यसभा से जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित।

- जीएसटी विधेयक के विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा।

- जीएसटी पर वोटिंग में भाग नहीं लेगी एआईएडीएमके।

- जीएसटी पर एआईएडीएमके ने राज्यसभा से वॉकआउट किया।

- जीएसटी लागू होने के बाद कर बचाना बहुत कठिन हो जाएगा : अरुण जेटली

- सीईए की 2013-14 की रिपोर्ट यह नहीं कहती कि जीएसटी की दर 18 फीसदी होनी चाहिए, हमें 17 से 19 के बीच की दर रखने की बात कही गई थी, अच्छा होगा अगर हम 18 फीसदी की दर तय कर सकें : अरुण जेटली

- जीएसटी काउंसिल इस बात पर फैसला लेगी कि किस वस्तु को इसके अंदर शामिल किया जाए और किसे नहीं : अरुण जेटली

- चिदंबरम के सवाल का जवाब देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि राज्य 18 फीसदी कर की दर पर तैयार नहीं है, वे चाहते हैं कि दर बढ़ाई जाए।

- जीएसटी से टैक्स पर टैक्स का व्यापक प्रभाव खत्म हो जाएगा : अरुण जेटली

- अरुण जेटली ने कहा कि हम नया प्रयोग करने जा रहे हैं ताकि केंद्र और राज्य दोनों का कर ढांचा एक हो।

- हम अपनी मर्जी से कानून नहीं बनाते, हम काउंसिल की सिफारिशों पर काम करते हैं : अरुण जेटली

- टैक्स व्यवस्था में केंद्र और राज्य दोनों को प्रभावी अधिकार होने चाहिए : अरुण जेटली

- राज्यों को बिल्कुल मजबूत होना चाहिए, लेकिन केंद्र के हाथों में अधिकार के बिना संघीय व्यवस्था का अस्तित्व ही नहीं हो सकता : अरुण जेटली

- टैक्स नीति से केंद्र को अलग नहीं रख सकते : वित्त मंत्री अरुण जेटली

- देश की जनता पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ना चाहिए और इसीलिए कर की दर 18 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए : आनंद शर्मा

- आनंद शर्मा ने कहा कि हम जीएसटी का विरोध राजनीतिक रूप से नहीं कर रहे थे, बस चहाते थे कि हमारी मांगों को माना जाए।

- 13वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए : आनंद शर्मा (कांग्रेस)

- इस ऐतिहासिक जीएसटी विधेयक से मुंबई महानगरपालिका को भारी नुकसान होगा। सरकार को राजस्व बढ़ाने के लिए आपने मुंबई का राजस्व खा लिया है : संजय राउत (शिवसेना)

- टैक्स को कम ना रखा गया तो देश को होगा नुकसान : सीताराम येचुरी (माकपा)

- जीएसटी को गिरगिट समझौता टैक्स भी कहा जा सकता है : डेरेक ओ ब्रायन (तृणमूल कांग्रेस)

- बसपा जीएसटी के समर्थन में है लेकिन यह ध्यान देना होगा कि वह संघीय ढांचे को कैसे प्रभावित करेगा और इसका क्या समाधान होगा : सतीश चंद्र मिश्रा (बसपा)

- हम सरकार से मांग करते हैं कि जीएसटी का मानक दर 18 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो। अगर ऐसा हुआ तो हम जनता के बीच जाकर इसका विरोध करेंगे : चिदंबरम (कांग्रेस)

- राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज जीएसटी से संबंधित संविधान (122 वां संशोधन) विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी जीएसटी विचार का समर्थन करती है।

- उन्होंने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने वर्ष 2011 से वर्ष 2014 के बीच जीएसटी विधेयक को पारित कराने का प्रयास किया किन्तु उस समय की मुख्य विपक्षी पार्टी का सहयोग न मिल पाने के कारण यह विधेयक पारित न हो सका। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजग सरकार ने भी 18 महीने तक बिना मुख्य विपक्षी दल के सहयोग के इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश की किन्तु वह भी विफल रही। अब सरकार ने पिछले पांच छह महीने से सबको साथ लेने का प्रयास किया है और उसके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं।

- पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने आरोप लगाया कि मौजूदा विधेयक का मसौदा बहुत ही लचर है। उन्होंने कहा कि हर कर का यही मकसद होता है कि इससे प्राप्त होने वाला राजस्व केंद्र अथवा राज्यों की संचित निधि में जाए।

- उन्होंने कहा कि इस वर्तमान विधेयक में इसे लेकर अस्पष्टता है। उन्होंने कुछ राज्यों को एक प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार देने संबंधी प्रावधान को हटा लेने के सरकार के फैसले का स्वागत किया। चिदंबरम ने कहा कि एक तो यह प्रावधान पूर्व प्रभाव से लागू होना था तथा इसके कारण पूरे देश में एक समान कर होने का मकसद विफल हो रहा था। उन्होंने विवाद निस्तारण तंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार का प्रस्ताव है कि जीएसटी काउंसिल की आपसी विवाद निस्तारण व्यवस्था न होने की स्थिति में इसके लिए कोई तंत्र वह स्वयं तय करेगी।

- उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी का जो मूल विधेयक बनाया था उसमें विवाद निस्तारण के लिए एक स्पष्ट तंत्र था। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में भी स्पष्ट तंत्र होना चाहिए अन्यथा ऐसे विवादों में न्यायपालिका कानून के प्रावधानों को खारिज कर सकती है।

- चिदंबरम ने जीएसटी के लिए कर की मानक दर 18 प्रतिशत से अधिक न रखे जाने की वकालत करते हुए कहा कि देश में एक समान जीएसटी कर दर के लिए मानक दर होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी इस मांग पर कायम है।

- पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा संविधान संशोधन विधेयक के बाद संसद में जो दो अन्य विधेयक आएंगे, सरकार को उसमें जीएसटी की मानक दर का प्रावधान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बारे में अन्य दलों के साथ बातचीत कर सहमति बनाने का प्रयास करेगी।

- चिदंबरम ने यह भी कहा कि सरकार मौजूदा संविधान संशोधन विधेयक के बाद जीएसटी के संबंध में जो दो अन्य विधेयक लेकर आएगी उन्हें धन विधेयक न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक सदन उस पर मतदान करे और दूसरा सदन केवल बहस करके रह जाए।

- उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार कई विधेयकों को धन विधेयक घोषित करवा रही है, उसके खिलाफ कांग्रेस के एक नेता उच्चतम न्यायालय गए हैं ताकि धन विधेयकों की सही परिभाषा निर्धारित हो सके।

- चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस ने 2014 के बिल का विरोध किया था, जीएसटी का नहीं।

- चिदंबरम ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कांग्रेस ने जीएसटी के विचार का कभी विरोध नहीं किया।

- हमने विपक्ष को साथ लेकर इस बिल को पास कराने की कोशिश की थी।

- चिदंबरम ने यह भी कहा कि विपक्ष के बगैर मौजूदा सरकार भी बिल को पास कराने में विफल।

-सरकार ने खामियों को दूर करने की कोशिश की, हमने भी सहयोग किया: चिदंबरम

-बिल में अब भी कई मुद्दे उलझे हैं। यूपीए की मंशा है कि यह बिल पास हो: चिदंबरम

-सेवा एवं वस्तु कर (जीएसटी) को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर कदम बताए जाने के बावजूद कांग्रेस ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह इससे संबंधित कानून में कर की मानक दर 18 प्रतिशत से अधिक न रखे जाने की अपनी मांग पर कायम रहेगी। साथ ही पार्टी ने कहा कि जीएसटी संबंधित कानून में विवाद निस्तारण तंत्र का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।

-जेटली ने जीएसटी को देश के आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है इससे बढ़ा बदलाव आएगा। यह अबतक सबसे कड़ा आर्थिक सुधार है क्योंकि इससे पूरे देश में एक समान कर लगेगा। जीएसटी पर ज्यादातर दलों में आम सहमति के बाद ही इसे राज्यसभा में पेश किया है। हमने विवाद निपटारे के लिए राज्यों को ज्यादा अधिकार दिए हैं।

-जेटल ने कहा कि पूरे देश में एक टैक्‍स सिस्‍टम होगा। जीएसटी से भारत एक समान मार्केट में बदल जाएगा।

- वित्‍त मंत्री ने कहा कि सभी पार्टियों से इस बिल को लेकर बात की गई, कई तरह के सुझाव दिए गए। सहमति बनाने की पूरी कोशिश की गई। जीएसटी से पूरे देश में बड़ा बदलाव आएगा।

-जेटली ने जीएसटी बिल पेश करते समय कहा कि संसद में जीएसटी को 2006 में पहली बार रखा गया था। राज्‍यों की वित्‍त मंत्रियों की कमेटी ने अपने सुझाव दिए। सिलेक्‍ट कमेटी के कुछ सुझावों को शामिल किया गया है।

-वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने राज्‍यसभा में जीएसटी बिल को पेश किया।

इससे पहले कांग्रेस और सरकार के बीच जीएसटी बिल पर सहमति बनी। कांग्रेस की रणनीतिकारों की बैठक में जीएसटी को समर्थन देने का फैसला लिया गया है। लेफ्ट ने भी जीएसटी बिल का समर्थन करने का फैसला लिया है। राज्यसभा में पास होने के बाद इस बिल को दोबारा लोकसभा में भेजा जाएगा।

एनडीए सरकार ने दावा किया है कि इस बिल पर सभी दलों का समर्थन हासिल है। कांग्रेस की मांग पर बिल में कुछ संशोधन किए गए हैं। सरकार ने यह भी दावा किया है कि इस बिल पर सभी दलों ने सहमति जताई है। सभी दल साथ है, यह बिल पारित हो जाएगा। कांग्रेस ने भी अब जीएसटी पर समर्थन की बात कही है। राज्‍यसभा में पारित होने के बाद इस बिल को दोबारा लोकसभा में भेजना होगा।  

सूत्रों के अनुसार, विधेयक पारित होने की उम्मीद है क्योंकि करीब करीब सभी राजनीतिक दल अब इस पर सहमति जता चुके हैं। राज्यसभा में भाजपा नीत राजग के पास बहुमत नहीं है लेकिन जीएसटी विधेयक पर यह कई क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाने में कामयाब रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अपने रुख में नरमी के संकेत दिए हैं। राज्यसभा में जीएसटी विधेयक पेश किए जाने के मद्देनजर बीजेपी ने अपने सदस्यों को एक व्हिप जारी कर उनसे अगले तीन दिन सदन में उपस्थित रहने को कहा है। पार्टी को उम्मीद है कि इस दौरान यह विधेयक पारित कराया जाएगा।

 

गौर हो कि कांग्रेस को इसके समर्थन में लाने के लिए सरकार ने पिछले हफ्ते इस संविधान संशोधन विधेयक में बदलावों को मंजूरी दी थी, जिनमें उत्पादक राज्यों के एक फीसदी अतिरिक्त कर को हटाना और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने की स्थिति में प्रथम पांच बरसों में किसी तरह के राजस्व नुकसान पर सभी राज्यों को मुआवजा प्रदान करना शामिल है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि जीएसटी विधेयक को बुधवार को राज्य सभा में विचार और पारित कराने के लिये सूचीबद्ध किया गया है। हमने सभी राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा है। कुल मिलाकर माहौल विधेयक को पारित कराने के पक्ष में है।

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