Gujarat Election Results: कांग्रेस की 'तरक्की' के 5 कारण...
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Gujarat Election Results: कांग्रेस की 'तरक्की' के 5 कारण...

कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में जिस तरह से इस बार गुजरात में जनसंपर्क किया वो कहीं न कहीं कांग्रेस की छवि के विपरीत रहा. राहुल गांधी ज्यादा आक्रामक नजर आए. उनके भाषण में ज्यादा परिपक्वता दिखाई दी.

राहुल गांधी ने इस बार गुजरात चुनाव में जबर्दस्त प्रचार किया (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : कांग्रेस ने अगर गुजरात में भाजपा के 22 साल पुराने किले में सेंध लगाने में कुछ हद तक सफल रहते हुए पिछली बार के मुकाबले जो सुधार किया है तो उसके पीछे कई कारण रहे हैं. कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में जिस तरह से इस बार गुजरात में जनसंपर्क किया वो कहीं न कहीं कांग्रेस की छवि के विपरीत रहा. राहुल गांधी ज्यादा आक्रामक नजर आए. उनके भाषण में ज्यादा परिपक्वता दिखाई दी. अहम बात ये है कि कांग्रेस ने इस बार जो सबसे अलग हटकर काम किया वो था जातिगत चुनाव को तवज्जो देना. वहीं उन्होंने मुस्लिम से इस बार किनारा किया. हालांकि इसे लेकर कांग्रेस से जुड़े मुस्लिम नेताओं का मानना था कि वह हमेशा से कांग्रेस के साथ रहे हैं और ये चुनाव धार्मिक आधार पर नहीं लड़े जा रहे हैं ऐसें में कांग्रेस का मुस्लिम की बात नहीं करना कोई बड़ी बात नहीं है.

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1. जिग्नेश, हार्दिक, अल्पेश, के साथ कांग्रेस का हाथ मिलाना- जिग्नेश गुजरात में पिछले कुछ समय से हो रहे दलित आंदोलन का चेहरा बन चुके हैं. गुजरात के वेरावल में जब दलितों की पिटाई की गई उससे जो दलितों में आक्रोश पैदा हुआ था उस आंदोलन का नेतृत्व जिग्नेश ही कर रहे हैं. पत्रकार से वकील फिर नेता बने जिग्नेश मेवाणी ने दलितों को एकजुट किया है. और कांग्रेस के साथ जुड़ जाने से कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई.

वहीं हार्दिक पटेल पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. गौरतलब है कि गुजरात में पटेल चुनाव में एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अल्पेश ठाकोर पिछड़ा वर्ग के नेता हैं और उनकी छवि सामाजिक कार्यकर्ता की है और वह राज्य में करीब पचास फीसदी पिछडा वर्ग से आते हैं.

2. कांग्रेस ने इस बार हिंदू कार्ड खेला- इस बार राहुल गांधी कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष छवि के उलट जनेऊ धारण करते, मंदिर के चक्कर लगाते और मुस्लिम वोटर्स से किनारा करते हुए नजर आए.
हालांकि उनके गैर हिंदू रजिस्टर में नाम जुड़ने और जनेऊ धारण करने को लेकर काफी चर्चा रही जिसने उन्हें गुजरात में एक अलग छवि दी है.

3. राहुल गांधी की प्रतिक्रिया- मणिशंकर अय्यर के भाषण में प्रधानमंत्री को नीच कहे जाने पर राहुल गांधी ने तुरंत उन्हें पद से निष्काषित किया. वहीं मनमोहन सिंह को पाकिस्तान के साथ मिले होने पर भाजपा की लगातार प्रतिक्रिया ने कहीं न कहीं कांग्रेस को फायदा पहुंचाया.

4. किसानों को समर्थन मूल्य न मिल पाने की वजह से किसानों के अंदर रोष- इसने कांग्रेस के समर्थन में माहौल खड़ा किया. खासकर कपास किसान और मूंगफली की खेती में हुए नुकसान ने कांग्रेस के पक्ष मे लहर पैदा की. ऐसे में गुजरात का किसान कहीं न कहीं भाजपा से खफा नजर आया.

5. गुजरात में शुरू से व्यापारी तबका प्रभावी रहा है. ऐसे में पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी ने व्यापारियों की कमर तोड़कर रख दी. यह भी कुछ हद कांग्रेस के लिए मददगार रहा.

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