गुजरात विधानसभा चुनाव में शंकर सिंह वाघेला भी ताल ठोक रहे हैं. शंकर सिंह वाघेला के जन विकल्प मोर्चा ने 130 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं.
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अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव में शंकर सिंह वाघेला भी ताल ठोक रहे हैं. शंकर सिंह वाघेला के जन विकल्प मोर्चा ने 130 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं, हालांकि वे इस बात से इनकार करते हैं कि गुजरात का चुनाव उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न है. बल्कि वह यह दावा करते हैं कि गुजरात की राजनीति में उन्होंने एक नया प्रयोग किया है और वह यह भी दावा करते हैं कि वही किंग मेकर होंगे और उनके समर्थन के बिना गुजरात की अगली सरकार नहीं बनेगी.
'हाईकमान कल्चर से दुखी होकर छोड़ी पार्टी'
शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि वह लंबे समय तक जन संघ और अब बीजेपी में रहे और उसके बाद कांग्रेस में भी रहे, लेकिन दोनों ही पार्टियों का चरित्र एक है दिल्ली में आलाकमान बैठकर सारे फैसले करता है दोनों पार्टी में लास्ट समय तक टिकट का वितरण नहीं होता है और कार्यकर्ता आपस में एक दूसरे को के खिलाफ गाली गलोज करते हैं इस आलाकमान कल्चर से ही दुखी होकर उन्होंने कांग्रेस छोड़ी और वह राजनीति में एक नया ट्रेंड सेट करने जा रहे हैं बर्बाद हो जाऊंगा, लेकिन बीजेपी में नहीं जाऊंगा.
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शंकर सिंह वाघेला कहते हैं कि कांग्रेस उनके ऊपर गलत आरोप लगा रही है और उनका बीजेपी से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है उन्होंने कहा कि उनके और उनके बेटे के बारे में सोची समझी रणनीति के तहत भ्रम फैलाया गया , बीजेपी तो उनके बेटे महेंद्र सिंह बाघेला को टिकट दे रही थी लेकिन उन्होंने बेटे को बीजेपी में जाने से रोक दिया , वह सिर्फ एक दिन बीजेपी दफ्तर गया था क्योंकि बीजेपी नेताओं ने उसकी सीट पर उसे प्रत्याशी को लेकर सलाह मांगी थी और इससे ज्यादा महेंद्र का बीजेपी से कोई लेना देना नहीं.
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'मैं और मेरा बेटा दोनों चुनाव नहीं लड़ेंगे'
शंकर सिंह वाघेला यह भी दावा करते हैं कि उनकी ईमानदारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह खुद और उनका बेटा दोनों विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं हालांकि वो मानते हैं कि उनकी वजह से उनके बेटे का राजनीतिक कैरियर भी अधर में लटक गया लेकिन वह फिर कहते हैं कि वह एक साधारण किसान परिवार में जन्मे थे और जनता की सेवा करके ही विधायक बने और फिर मुख्यमंत्री बने और उन्हें उम्मीद है कि बेटा भले ही चुनाव नहीं लड़ रहा हो , लेकिन वह जनता की सेवा करने में पीछे नहीं हटेगा.
'गुजरात का चुनाव मेरे लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है'
शंकर सिंह वाघेला इस बात से इनकार करते हैं केवल गुजरात चुनाव का परिणाम उनके अनुरूप नहीं आया तो उनकी राजनीतिक पर कोई असर पड़ेगा , वह कहते हैं कि गुजरात का चुनाव मेरे लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है बल्कि उन्होंने इमानदारी से जनता के सामने विकल्प रखा है और उन्हें उम्मीद है कि जनता उसको स्वीकार करेगी.
आम आदमी को केंद्र में रखकर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी
शंकर सिंह वाघेला कहते हैं कि 20 साल पहले जब वह मुख्यमंत्री बने थे तो उस वक्त ही उन्होंने फैसला किया था कि वह अपनी गाड़ी पर लालबत्ती नहीं लगाएंगे उन का दरवाजा हमेशा आम जनता के लिए खुला रहता है और जिस तरह का प्रयोग करके आम आदमी पार्टी दिल्ली में सत्ता में आई उस तरह की राजनीति की शुरुआत उन्होंने 20 साल पहले की थी और अब वह स्वतंत्र हैं लिहाजा दोबारा वह आम जनता की राजनीति शुरु करने जा रहे हैं.
'टिकट के लिए किसी से पैसे नहीं लिए'
शंकर सिंह वाघेला यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी के किसी भी कार्यकर्ता या किसी भी बागी को टिकट नहीं दिया है बल्कि जिसको चुनाव लड़ना था वह लोग खुद उनके पास आकर उनके पार्टी का सिंबल लेकर गए हैं शंकर सिंह वाघेला यह भी दावा करते हैं स्वच्छ छवि के और ईमानदार लोगों को उन्होंने चुनाव मैदान में उतारा है और अब फैसला गुजरात की जनता को करना है
रिपोर्ट: शादाब सिद्दीकी