युवा तुर्क अल्पेश ठाकोर का दिल मांगे मोर, कांग्रेस की 'मुश्किलें' बढ़ेंगी
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युवा तुर्क अल्पेश ठाकोर का दिल मांगे मोर, कांग्रेस की 'मुश्किलें' बढ़ेंगी

अल्पेश ठाकुर पाटण जिले से आते हैं, इस जिले में कांंग्रेस ने 4 में से 3 सीटों पर कब्जा जमाया है.

चुनावों से ठीक पहले अल्पेश ने कांग्रेस का दामन थामा था. file photo

नई दिल्ली : गुजरात चुनावों में अल्पेश ठाकोर ओबीसी पोलिटिक्स का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. हालांकि चुनावों से पहले उनसे इस तरह प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी. लोगों की नजरें हार्दिक पटेल और पाटीदार वोटरों पर थीं. लेकिन सीटों के लिहाज से कमाल किया अल्पेश ठाकोर ने. कांग्रेस के टिकट पर वह बड़े अंतर से चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में अब अल्पेश ठाकोर को कांग्रेस से ज्यादा उम्मीदें होंगी. क्योंकि कांग्रेस भले चुनाव हार गई हो, लेकिन प्रदर्शन उसका शानदार रहा है.

  1. कांग्रेस किसे बनाएगी अपना नया प्रदेश अध्यक्ष
  2. नेता प्रतिपक्ष पद किसे मिलेगा इस पर भी रहेंगी निगाहें
  3. अल्पेश मांग सकते हैं इन दोनों में से कोई बड़ा पद

अल्पेश ठाकोर गुजरात की राजनीति में भले पहली बार विधायक बने हों, लेकिन वह राजनीति में सिर्फ एक विधायक के तौर पर नहीं रहना चाहेंगे. गुजरात के मतदाताओं में ओबीसी वोट बैंक अहम है, ऐसे में उनका रोल भी बड़ा होगा. अब उन्हें कांग्रेस से भी वैसी ही उम्मीदें होंगी.

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चूंकि कांग्रेस में अर्जुन मोडवाड़िया, शक्ति सिंह गोहिल और अमर सिंह चौधरी जैसे नेता चुनाव हार चुके हैं. शंकर सिंह बाघेला पार्टी छोड़ चुके हैं. कांग्रेस में अब प्रदेश पार्टी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली है. ऐसे में अल्पेश की नजरें इनमें से किसी एक पद पर हो सकती है.

परेश दानानी हैं प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे
परेश दानानी कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सबसे बड़े दावेदार हैं. वह अमरेली सीट से लगातार तीसरी बार जीते हैं. 41 साल के दानानी के पक्ष में एक बात और है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के काफी करीबी हैं. उन्होंने इस चुनावों में सौराष्ट्र में कांग्रेस के लिए काफी मेहनत की इसका असर परिणामों में दिखता है. ऐसे में अगर परेश प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं तो अल्पेश को कांग्रेस विधानसभा में अहम रोल देकर उन्हें साध सकती है. ऐसे में वह पाटीदार और ओबीसी दो बड़े समुदायों के चेहरों को आगे कर सकती है.

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अल्पेश ठाकोर का रिपोर्ट कार्ड
ओबीसी बहुल इलाके में 38 सीटों पर लड़ाई थी. जाहिर है इसमें बड़ा चेहरा अल्पेश ठाकोर थे. इन 38 सीटों में से 17 पर भाजपा को जीत मिली. वहीं कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत हासिल हुई. पाटण, महेसाणा, बनासकांठा और आनंदखेड़ा ओबीसी बहुल जिले हैं. खुद अल्पेश पाटण जिले से आते हैं. इस जिले की राधनपुर सीट से वह विजेता बने. पाटण जिले में कांग्रेस ने 4 में से 3 सीटें भाजपा से छीन लीं.

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अल्पेश ठाकोर की वह रैली सबसे ज्यादा चर्चा में रही, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कई आरोप लगाए थे.

कांग्रेस की ओर से ये नेता भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में
कांग्रेस की ओर से परेश दानानी और अल्पेश के अलावा और भी कुछ नेता हैं हो नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल हैं. इनमें प्रमुख नाम है मोहन सिंह राठवा का. ये छोटा उदेपुर से लगातार 10वीं बार जीतकर आए हैं. कांग्रेस की ओर से एक और बड़ा नाम है विक्रम माडाम. द्वारका सीट से जीतकर आए माडाम की नजरें भी लीडर ऑफ अपोजीशन के पद पर होंगी. कुंवरजी बावलिया भी इस रेस में बने हुए हैं.

असंतोष का खतरा भी
कांग्रेस के सामने अगर अल्पेश ठाकोर शर्तें लगाते हैं तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ना तय है. क्योंकि कांग्रेस के पास पहले से कई ओबीसी समुदाय के बड़े नेता हैं. ऐसे में नए नवेले अल्पेश ठाकोर को बड़ा पद देकर वह उन्हेें नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहेगी.

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