गिर के जंगलों में 14 शेरों की मौत, मॉनिटरिंग के लिए बनाई गई 140 टीमें
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गिर के जंगलों में 14 शेरों की मौत, मॉनिटरिंग के लिए बनाई गई 140 टीमें

जो 14 शेर मरे हैं उनमें 7 शेर शावक, 4 शेरनियां और 3 मेल बब्बर शेर शामिल है.

एशियाई शेरों की प्रजाति सिर्फ गुजरात के गिर के जंगलों में ही पाई जाती है.

जूनागढ़: गुजरात ही नहीं पूरे देश का गौरव कहा जाना वाला एशियाई बब्बर शेर के ऊपर संकट के बादल घिर गए है. खबर मिली है कि गिर के जंगल में एक साथ 14 शेरों की मौत हो गई है. गिर के पूर्वीय इलाके में अलग अलग घटनाओ में हुई शेरो की मौत के कारण इलाके में खलबली मच गई है. बता दें कि एशियाई शेरों की प्रजाति सिर्फ गुजरात के गिर के जंगलों में ही पाई जाती है. 

खबरों के मुताबिक यह घटना गिर के जंगल के पूर्व विभाग के धारी विस्तार के दलखानिया रेंज में हुई है. जहां काफी मटरमीन बब्बर शेर रहते है. जो 14 शेर मरे हैं उनमें 7 शेर शावक, 4 शेरनियां और 3 मेल बब्बर शेर शामिल है. गिर के पूर्व विभाग के नायब वन संरक्षक वी. एम् चौधरीने बताया की 3 शेर शावकों की आपस में लड़ने के कारण मौत हुई है, जबकि 3 शावकों की जसधार एनीमल सेंटर और सक्करबाग जू में और बाकी शेरो की मौत दलखाणीया रेंज की सेंचुरी की विडी में हुई है.

हालांकि वन अधिकारियों की मानें तो सभी शावकों की मौत आपसी लड़ाई में और कुदरती रूप से हुई है. मगर 4 शेरों की मौत चिंता का विषय है क्योंकि इन चारो शेरों की मौत फेफड़ों और लिवर में वायरल इन्फेक्शन के कारण हुई है. इसीलिए सभी शेरों का पोस्टमार्टम एक पैनल द्वारा करवाया गया है. साथ ही शेरों के सैंपल को जूनागढ़ और दांतीवाड़ा वेटरनरी लैब में भेजा गया है जिसके बाद ही शेरों के मरने का सही करण पता लग पाएगा.  

उधर शेरों पर रिसर्च कर रहे लोगों की मानें तो ज्यादातर शेरों की मौत फेफड़े में इन्फेक्शन के कारण हुई है. इसलिए एहतियात के तौर पर सभी शेरों की मेडिकल जांच करनी चाहिए. ताकि यह पता लगाया जा सके कि शेरों को कौन से बैक्टरिया से इन्फेक्शन हुआ है जिससे इनके अचानक इनकी मौत हो गई.

सभी शेर के लिए खून के नमूने 
एक ही जगह में 14 शेरों की अचानक मौत के बारे एशियाई शेर के विशेषज्ञों ने बताया की इस तरह से शेरों की मौत कोई चिंता का विषय नहीं क्योंकि ज्यादातर शेरों की मौत कुदरती है. हालांकि जिन शेरों की मौत फेफड़ो और लिवर में इंफेक्शन के कारण हुई है उनको वन विभागने गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में जांच शुरू कर दी है. एहतियात के लिए दूसरे शेरों के खून के नमूने लिए जा रहे है और उन शेरो को एंटीबायटिक दवायें भी दी जा रही है. 

वहीं अब विभाग शेरों की मॉनिटरिंग और स्कैनिंग के लिए जंगल में 140 टीमों के कुल 585 कर्मचारियों के जरिए शेरों पर नजर रख रह है. इसी बीच गिर के जंगल और आस-पास के इलाके में 460 शेरों की स्कैनिंग के दौरान 7 और शेर बीमार हालात में पाए गए हैं. इन बीमार शेरों को गिर फॉरेस्ट रेस्क्यू टीम के जरिए मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. जो 7 शेर बीमार हालात में पाए गए हैं, उसमें 3 शेर, 3 शेरनी और 1 शेर का बच्चा शामिल हैं. 
 
बता दें कि एशियाई बब्बर शेर पहले सिर्फ गिर के जंगल में रहते थे मगर अब जूनागढ़, अमरेली और गीर सोमनाथ जिले में ही रहने लगे है. मई 2015 में हुई आखरी गिनती के अनुसार शेरों की संख्या 523 थी. गिर का जंगल 1413 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है वहीं शेर जंगल के करीब 1412 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं. मगर शेरों की आबादी बढ़ने के कारण अब वह सौराष्ट्र के जूनागढ़, अमरेली, सोमनाथ, भावनगर और पोरबंदर जिले के कुल 22000 वर्ग किलोमीटर विस्तार में फ़ैल गए है. एक अनुमान के अनुसार फिलहाल शेर की संख्या 700 से अधिक है.

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