कार्तिक पूर्णिमाः हरिद्वार से लेकर काशी तक लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
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कार्तिक पूर्णिमाः हरिद्वार से लेकर काशी तक लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर हरिद्वार में हर की पैड़ी घाट पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

नई दिल्लीः शनिवार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर देश की पावन नदियों में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया. शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीहरि ने मत्स्यावतार के रूप में प्रकट हुए थे. भगवान विष्णु के इस अवतार की तिथि होने की वजह से आज किए गए दान, जप का पुण्य दस यज्ञों से प्राप्त होने वाले पुण्य के बराबर माना जाता है. धर्मनगरी हरिद्वार में मां गंगा के घाट पर जहां ब्रह्मूहर्त में ही श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. वहीं बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में भी गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने श्रद्धा-भक्ति से स्नान किया. काशी में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए विशेष तैयारियां की गई थी.

  1. कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था की डुबकी
  2. हरिद्वार में गंगा घाट पर लाखों श्रद्धालुओं ने किया पावन स्नान
  3. काशी के गंगा घाटों पर भी लगा भक्तों का जमावड़ा, हुई विशेष पूजा

पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में दीपदान करने की भी परंपरा हैं. देश की सभी प्रमुख नदियों में श्रद्धालु दीपदान करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर अगर कृतिका नक्षत्र आ रहा हो तो यह महाकार्तिकी होती है. भरणी नक्षत्र होने पर यह विशेष शुभ फल देती है. रोहिणी नक्षत्र हो तो इस दिन किए गए दान-पुण्य से सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति है. हरिद्वार काशी के अलावा संगम नगरी इलाहाबाद, हापुड़ में गढ़मुक्तेश्वर में सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और मां गंगा में डुबकी लगाकर अपने को पावन कर लिया.  गंगा स्नान का कार्तिक माह में महत्व माना जाता है. इस दिन भगवान शंकर व भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है.  इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना शुभ माना जाता है. 

 

 

धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पाने का पावन दिवस  
पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चारों पुरुषार्थों को देने वाला दिन माना गया है और स्वयं विष्णु ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के दिन सर्वगुण सम्पन्न महात्म्य के रूप में बताया है.

मनोकामनाओं को पूर्ण करने का दिन
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं. इस दिन श्रद्धालु स्नान, दान, हवन, यज्ञ और उपासना करते हैं ताकि उन्हें मनचाहे फल की प्राप्ति हो. इस दिन गंगास्नान और शाम के समय दीपदान करना भी बहुत शुभ माना गया है. इस दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक भरणी नक्षत्र में गंगा स्नान व पूजन करने से सभी तरह के ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है. 

गंगा स्नान का विशेष महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान दान का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान कर लोग पूजा करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान का वैज्ञानिक महत्व है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी का सबसे अधिक आकर्षण पानी में होता है. शरीर का अधिकतम भाग में पानी होता है. जब गंगा में स्नान करते हैं, तो चंद्रमा के किरणों का प्रवेश शरीर के समस्त अंगों में पड़ता है. इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. इस दौरान जल में खड़े होकर स्नान करने से वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर के लिए लाभदायक है.

दान का खास महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन जो भी दान किया जाता है उसका कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन अन्ना, धन व वस्त्र दान का विशेष महत्व है. मान्यता तो यह भी है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करता है वह मृत्युपरांत स्वर्ग में उसे पुन: प्राप्त होता है.

 

पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और तीनों लोकों को असुरों के प्रकोप से बचाया था. इस दिन के लिए ये भी मान्यता है कि सभी देव काशी आकर गंगा माता का पूजन करके दिवाली मनाते हैं.

देव दीपावली
कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन त्रिपुरा असुर का संहार भगवान शिव व विष्णु ने किया था. साथ ही मीन अवतार हुआ था. इसे पांच दिनों तक मनाया जाता है. एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक लोग पूजा पाठ कर इसे मनाते हैं. इसे पंचम व्रत कहा जाता है. इसमें पंचगव्य ग्रहण किया जाता है. इसके साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर सत्य नारायण स्वामी की पूजा का भी विधान है. गंगा घाटों, घरों व मंदिरों में लोग पूजा-पाठ करते हैं. इसे देव दीपावली के रुप में मनाया जाता है.

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