सुरक्षित मातृत्व अभियान में योगदान के लिए 'आई प्लेज फॉर 9' के नायकों का सम्मान
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सुरक्षित मातृत्व अभियान में योगदान के लिए 'आई प्लेज फॉर 9' के नायकों का सम्मान

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष जांच और उपचार किया जाता है.

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में स्वेच्छा से अपनी सेवाएं दे रहे निजी क्षेत्र के डॉक्टरों को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया

नई दिल्ली : देश में मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान यानी पीएमएसएमए शुरू किया था. इस अभियान के तहत हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य केंद्रों में विशेष जांच की व्यवस्था की गई है. इस दिन निजी क्षेत्र के डॉक्टर और विशेषज्ञ भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच करते हैं और उन्हें सही सलाह देते हैं. ऐसे ही डॉक्टर और विशेषज्ञों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने सम्मानित किया.

शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे और अनुप्रिया पटेल ने स्वेच्छा से अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टरों, विशेषज्ञों और इस क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे राज्यों को सम्मानित किया. यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेंस फंड यानी यूनिसेफ तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से स्वेच्छाकर्मी एकत्रित हुए. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि कोई भी अभियान समाज के सभी वर्गों के सहयोग के संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि देश का हर बच्चा और हर मां सुरक्षित रहे इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएं और अभियान चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का नतीजा है कि आज भारत में मातृ मृत्यु दर में तेजी से कमी आ रही है. पिछले दो साल के भीतर 1.3 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत की जा चुकी है. 3 हजार से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 4 हजार से अधिक निजी क्षेत्र के डॉक्टर और विशेषज्ञ अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 

मातृ मृत्यु दर में कमी
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि 9 महीने की गर्भावस्था के प्रतीक के तौर पर हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को समर्पित किया गया है. इस दिन सभी गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी निशुल्क जांच की जाती है. इस कार्यक्रम की शुरुआत इस आधार पर की गई है कि यदि भारत में हर एक गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की एक कुशल डॉक्टर द्वारा जांच और पीएमएसएमए के दौरान उचित तरीके से कम से कम एक बार जांच की जाएं, तो यह अभियान हमारे देश में होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभा सकता है. 

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केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की समय रहते पहचान के लिए इस कार्यक्रम के तहत 84 लाख हीमोग्लोबिन जांच, 55 लाख एचआईवी जांच, शुगर की 41 लाख जांच और 15 लाख से अधिक अल्ट्रासाउंड किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि सबसे अच्छी बात ये है कि 5.50 लाख गर्भवती महिलाओं की उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था के तौर पर पहचान करके उन्हें उचित देखभाल के लिए बड़े स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजा गया. और समय पर उनके जोखिम को देखकर तत्काल उठाये कदमों से लाखों माता और बच्चों का जीवन बचाया जा सका.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसी अभियान का नतीजा है कि आज हम मातृ मृत्यु दर को लगातार पछाड़ रहे हैं और मुझे पक्का विश्वास है कि बच्चों को जन्म देते समय प्रति लाख माताओं में 70 से कम की मौत के लक्ष्य को हम 2030 से पहले ही हासिल कर लेंगे.

कार्यक्रम में यूनिसेफ की भारत में प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन हक ने गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर यूनिसेफ द्वारा किए जा रहे कामों पर रोशनी डाली.

निजी क्षेत्र के डॉक्टर सम्मानित
इस कार्यक्रम में मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु को एमएमआर रिडक्शन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. स्वास्थ्य केंद्रों में अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मिजोरम और दमन तथा द्वीप को सम्मानित किया गया. 

इस अभियान को सफल बनाने में स्वेच्छा से योगदान देने वाले निजी क्षेत्र के डॉक्टरों में बिहार (मधुबनी) के डॉ. हरिनारायण, उत्तर प्रदेश (सोनभद्र) की डॉ. विभा ऑगस्टिन, राजस्थान (हनुमानगढ़) की डॉ. ममता गुप्ता, छत्तीसगढ़ (बिलासपुर) की डॉ. सुपर्णा मित्रा और डॉ. गीतिका शर्मा तथा बिहार (कटिहार) की डॉ. रंजना झा को सम्मानित किया गया. इस तरह इस अभियान में अपना विशेष योगदान देने के लिए विभिन्न श्रेणियों में कुल 64 पुरस्कार दिए गए. 

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