यादव ने अपनी याचिका में दलील दी है कि राज्यसभा सभापति ने उनके तथा उनके पार्टी सहयोगी एवं सांसद अली अनवर के खिलाफ चार दिसंबर को आदेश देने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया.
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नई दिल्ली : राज्यसभा की सदस्यता से शरद यादव को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को तुरंत निरस्त करने के उनके अनुरोध वाली याचिका पर गुरुवार (14 दिसंबर) को दिल्ली उच्च न्यायालय सुनवाई करेगा. जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति विभु बखरू ने बुधवार (13 दिसंबर) को कहा कि वह कल इस पर सुनवाई करेंगे क्योंकि वह उस फाइल पर गौर करना चाहते हैं जिसमें राज्यसभा के सभापति के आदेश को चुनौती दी गयी है.
यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले में इस आधार पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है कि संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को शुरू हो रहा है और अगर उस आदेश को स्थगित नहीं किया जाता तो यादव सत्र में शामिल नहीं हो पाएंगे. सिब्बल ने अदालत के रूख से सहमति जतायी और कहा कि वह कल पेश होंगे.
इससे पहले यह मामला तत्काल सुनवाई के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के समक्ष लाया गया. पीठ ने इसे स्वीकार कर लिया. यादव की ओर से पेश अधिवक्ता निजाम पाशा ने कहा कि वह मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करवाना चाहते हैं ताकि अंतरिम आदेश पारित किया जा सके. सदन में जदयू के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह के अधिवक्ता ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का विरोध किया.
यादव ने अपनी याचिका में दलील दी है कि राज्यसभा सभापति ने उनके तथा उनके पार्टी सहयोगी एवं सांसद अली अनवर के खिलाफ चार दिसंबर को आदेश देने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया. उन्होंने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू के फैसले पर अंतरिम आदेश देने की मांग की.
इसी वर्ष जुलाई माह में जदयू अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में राजद और कांग्रेस वाला महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ जुड़ने का फैसला लिया था. इसके बाद यादव ने विपक्ष के साथ हाथ मिला लिया था. यादव और अनवर को अयोग्य घोषित करते हुए सभापति ने जदयू की इस बात को माना था कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों को अनसुना करके और विपक्षी दलों के आयोजनों में शामिल हो कर अपनी सदस्यता ‘‘स्वेच्छा से त्यागी’’ है.
जदयू ने इस आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी कि दोनों नेता पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पटना में विपक्षी दलों की रैली में शामिल हुए थे. यादव सदन के लिए पिछले वर्ष चुने गए थे और उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होना था. अनवर का कार्यकाल अगले वर्ष समाप्त होना था. सिंह ने सभापति से यादव को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया था. इसके बाद दल-बदल विरोधी कानून के तहत नायडू ने उन्हें राज्यसभा सदस्य के तौर पर अयोग्य करार दिया था.
(इनपुट-भाषा)