सावधान! एक अप्रैल से नेशनल हाईवे पर सफर हो सकता है और महंगा
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सावधान! एक अप्रैल से नेशनल हाईवे पर सफर हो सकता है और महंगा

अब अगर आप राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) पर फर्राटा भरते सफर कर रहे हैं तो आप अपनी जेब ढीली करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाइए क्योंकि हाईवे का सफर महंगा होने जा रहा है. आगामी एक अप्रैल से नेशनल हाईवे के टोल पर 2 से 3 प्रतिशत तक ज्यादा टैक्स देना पड़ सकता है. रेट बढ़ने के बाद कमर्शियल से लेकर सामान्य वाहन चालकों को 5 से 10 रुपए अतिरिक्त टोल टैक्स देने पड़ेगें.

सावधान! एक अप्रैल से नेशनल हाईवे पर सफर हो सकता है और महंगा

नई दिल्ली : अब अगर आप राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) पर फर्राटा भरते सफर कर रहे हैं तो आप अपनी जेब ढीली करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाइए क्योंकि हाईवे का सफर महंगा होने जा रहा है. आगामी एक अप्रैल से नेशनल हाईवे के टोल पर 2 से 3 प्रतिशत तक ज्यादा टैक्स देना पड़ सकता है. इस संबंध में नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (एनएचएआई) ने सभी टोल प्लाजा को आदेश जारी कर दिया है. रेट बढ़ने के बाद कमर्शियल से लेकर सामान्य वाहन चालकों को 5 से 10 रुपए अतिरिक्त टोल टैक्स देने पड़ेगें.

टोल टैक्स में 2-3 प्रतिशत तक की वृद्धि
एनएचएआई के देशभर में 386 हाईवे हैं. इन पर लगे टोल प्लाजा पर वाहनों से अलग-अलग हिसाब से टोल टैक्स लिया जाता है. एनएचएआई की ओर से हर साल अप्रैल माह की शुरुआत में टोल प्लाजा की रेट लिस्ट में संशोधन किया जाता है. इस बार भी एनएचएआई ने टोल प्लाजा पर 2 से 3 फीसदी की वृद्धि तय की है. 2 से 3 प्रतिशत की वृद्धि का मतलब यह है कि वाहन चालकों को अब 5 से 10 रुपए ज्यादा टोल टैक्स देने होंगे.

31 मार्च रात 12 बजे से नई दरें लागू 
कुछ टोल प्लाजा पर नई दरें जारी कर दी गई है, जबकि कुछ पर 31 मार्च से पहले लिस्ट भेजी जाएगी. 31 मार्च की रात से नई टोल दरें लागू कर दी जाएगी. खास बात यह है कि कमर्शियल वाहनों के साथ- साथ सामान्य वाहनों पर भी इसका असर पड़ेगा. प्रदेश में एनएचएआई के 6 हाईवे पर टोल प्लाजा हैं. इनमें दिल्ली-आगरा एनएच 2, दिल्ली-गुरुग्राम एनएच 8, दिल्ली-हिसार एनएच 10, पानीपत-अंबाला एनएच 1, रोहतक-बावल एनएच 71, रोहतक-पानीपत एनएच 71-ए शामिल हैं.

टोल दर वृद्धि में ओवरलोडिंग बड़ा हथियार
टोल टैक्स वसूलने वाली कंपनियां आमतौर पर ओवरलोडिंग को बड़ा हथियार बनाती है. टोल कंपनी पर ही सड़क की दशा सुधारने का जिम्मा होता है. कानपुर-आगरा हाईवे हो या कानपुर लखनऊ हाईवे की टोल कंपनी हो, सभी ने ओवरलोडिंग की वजह से सड़क खराब होने को मुद्दा बनाया है. ओवरलोडिंग की वजह से सड़कें जल्दी जर्जर हो जाती हैं और कंपनी को बार-बार इसे दुरुस्त करना पड़ता है.

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