हिमाचल चुनाव : BJP में सस्‍पेंस, अब कौन होगा मुख्‍यमंत्री; इस नेता को मिल सकती है 'कमान'
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हिमाचल चुनाव : BJP में सस्‍पेंस, अब कौन होगा मुख्‍यमंत्री; इस नेता को मिल सकती है 'कमान'

खास बात यह है कि इस सीट से धूमल को पछाड़ने वाले राजेंद्र राणा उनके 'राजनीतिक चेले' रहे हैं. अब बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि पार्टी की तरफ से राज्‍य में मुख्‍यमंत्री किसे बनाया जाएगा. 

प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर सीट पर कांग्रेस के राजेंद्र राणा ने हराया...

शिमला/नई दिल्‍ली : हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के नतीजे जहां राज्‍य में बीजेपी के लिए खुशी लेकर आए, वहीं, पहाड़ी राज्‍य में पार्टी को एक बड़ा झटका भी लगा है. प्रदेश में बीजेपी के मुख्‍यमंत्री पद के उम्‍मीदवार प्रेम कुमार धूमल अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के राजेंद्र राणा से सुजानपुर सीट पर हार गए. खास बात यह है कि इस सीट से धूमल को पछाड़ने वाले राजेंद्र राणा उनके 'राजनीतिक चेले' रहे हैं. अब बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि पार्टी की तरफ से राज्‍य में मुख्‍यमंत्री किसे बनाया जाएगा. 

  1. राजेंद्र ने इस चुनाव में धूमल को हराया.
  2. जेपी नड्डा बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की पसंद माने जाते हैं.
  3. नड्डा को अमित शाह के अलावा पीएम मोदी का भी समर्थन प्राप्‍त है.

दरअसल, कभी धूमल से ही राजनीति का कहकहा सीखने वाले राजेंद्र इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से मैदान में थे, जिन्‍होंने इन चुनावों में जीत के लिए अपने 'पॉलिटिकल गुरु' के खिलाफ पूरा दम-खम लगाया था और वे इसमें सफल भी हुए.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, प्रेम कुमार धूमल के हारने के बाद पार्टी की तरफ से केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और राज्‍य में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक जेपी नड्डा मुख्‍यमंत्री बनाए जा सकते हैं. 

इन वजहों से नड्डा बनाए जा सकते हैं मुख्‍यमंत्री...

  • इसकी वजह यह बताई जा रही है कि पार्टी के पास दूसरा कोई वरिष्‍ठ नेता राज्‍य में नहीं है, जिसे मुख्‍यमंत्री बनाया जा सके. 
  • अहम बात यह भी है कि जेपी नड्डा बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की पसंद माने जाते हैं. 
  • उनको राज्‍य बीजेपी का अध्‍यक्ष बनाए जाने का रास्‍ता पहले ही साफ हो चुका था. 
  • जेपी नड्डा को अमित शाह के अलावा पीएम मोदी का भी समर्थन प्राप्‍त है.
     

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जेपी नड्डा को राज्‍य में मुख्‍यमंत्री के रूप में सबसे प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है...

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दरअसल, इस बार बीजेपी की तरफ से प्रेम कुमार धूमल तीसरी बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री बनने की उम्‍मीद में थे. राजेंद्र राणा हैं कभी धूमल के बेहद खासमखास हुआ करते थे. एक वक्‍त था जब धूमल के सारे चुनाव का दारोमदार राणा के कंधों पर रहता था, लेकिन धूमल सरकार के कार्यकाल के दौरान ही शिमला के एक प्राइवेट होटल में हुई पैसों की लेन-देन को लेकर धूमल और उनके परिवार पर सवाल उठ खड़े हुए थे. इसके बाद राणा और धूमल के रिश्‍ते धूमिल हो गए थे और राणा ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया था. साल 2012 में जब वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तो उन्‍हें राजेंद्र राणा का समर्थन भी बाहर से मिला था. राजेंद्र राणा बीजेपी सरकार में पूर्व सीएम धूमल के पूर्व ओसडी के मित्र थे. बाद में धूमल ने राणा को प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति के चेयरमैन बनाया गया था.

राजेंद्र राणा ने साल 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए भारी अंतर से जीत हासिल की थी. उन्होंने इस सीट पर 24,674 वोट हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस की अंकिता वर्मा सिर्फ 10,508 वोट ही जीत सकीं थी. माना जा रहा था कि इसी के चलते इस बार कांग्रेस ने राजेंद्र राणा को पार्टी में शामिल किया, ताकि वो धूमल को कड़ी टक्कर दे सकें. 

73 वर्षीय प्रेम कुमार धूमल वर्ष 1998 से मार्च 2003 तक (बीजेपी-हिमाचल विकास कांग्रेस गठबंधन) और दिसंबर 2007 से दिसंबर 2012 तक दो बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 10 अप्रैल 1944 को हमीरपुर जिले के समीरपुर गांव में जन्‍मे धूमल इस बार सुजानपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा मिडिल स्कूल भगवाड़ा में हुई और मैट्रिक हमीरपुर के डीएवी हाई स्कूल टौणी देवी से. राजपूत समाज से आने वाले प्रेम कुमार धूमल का अपनी जाति पर काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है. हिमाचल में 37 फीसदी राजपूतों की आबादी है.

धूमल हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. 1984 में धूमल ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा. 1989 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हमीरपुर सीट से जीत नसीब हुई. 1991 में एक बार फिर धूमल ने हमीरपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई और जीत दर्ज की. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया. 1996 के लोकसभा चुनाव में हालांकि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. बीजेपी-हिमाचल विकास कांग्रेस की गठबंधन सरकार में पहली बार उन्होंने राज्य की सत्ता संभालने का मौका मिला था.

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