हिमाचल चुनाव : ऊना सीट- सतपाल सिंह सत्ती vs सतपाल सिंह रायजादा
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हिमाचल चुनाव : ऊना सीट- सतपाल सिंह सत्ती vs सतपाल सिंह रायजादा

हिमाचल प्रदेश चुनाव में भाजपा के वरिष्‍ठ नेता सतपाल सिंह सत्‍ती ऊना से चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस की तरफ से ऊना सीट पर सतपाल सिंह रायजादा उनके सामने हैं.

हिमाचल प्रदेश चुनाव में ऊना सीट से भाजपा के सतपाल सिंह सत्‍ती (बाएं) और कांग्रेस के सतपाल सिंह रायजादा (दाएं) आमने-सामने हैं.

नई दिल्‍ली/शिमला : हिमाचल प्रदेश चुनाव में भाजपा के वरिष्‍ठ नेता सतपाल सिंह सत्‍ती ऊना से चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस की तरफ से ऊना सीट पर सतपाल सिंह रायजादा उनके सामने हैं.

सतपाल सिंह सत्ती (बीजेपी) : भाजपा ने इस बार भी इस सीट से अपने वरिष्‍ठ नेता सतपाल सिंह सत्ती को मैदान में उतारा है. 2003 के बाद से यह सीट भाजपा की पारंपरिक सीट मानी जाती है. तीन विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां अपनी धाक और पकड़ दोनों को स्थापित कर लिया है. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने लगातार तीन विधानसभा में जीत हासिल कर राज्य में पार्टी के अंदर अपने कद को धूमल के बाद शीर्ष पर पहुंचा दिया है. सत्ती ने 2003, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों को धूल चटाने के साथ साथ जनता के दिल पर भी कब्जा जमा रखा है.

सतपाल सिंह सत्ती ने 2017 विधानसभा चुनाव में भी यहीं से नामांकन दाखिल किया है, जिसके मद्देनजर ऊना को भाजपा की नजर से सबसे सुरक्षित सीट माना जा रहा है. सतपाल सिंह सत्ती 1988 से लेकर 1991 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सचिव रहे, 1991-1993 में वे राष्ट्रीय सचिव रहे. उसके बाद सत्ती प्रदेश राजनीति में सक्रिय हुए और भाजपा में महासचिव बने. साथ ही वह भाजपा की राज्य इकाई के सदस्य के रुप में भूमिका निभा चुके हैं. सतपाल सिंह सत्ती पहली बार फरवरी 2012 में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चुने गए थे.

सतपाल सिंह रायजादा (कांग्रेस) : कांग्रेस ने ऊना सीट से सतपाल सिंह रायजादा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. रायजादा ने 2012 में भी सत्ती के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल करने में नाकाम रहे थे. रायजादा को क्षेत्र में बतौर युवा चेहरे के रूप में जाना जाता है. सत्ती ने पिछले चुनाव में रायजादा को 4,746 मतों से शिकस्त दी थी. कांग्रेस ने रायजादा पर दोबारा यकीन जताकर उन्हें एक और मौका दिया है. कांग्रेस ने 1998 में आखिरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी.

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