हिमाचल प्रदेश चुनाव में दलित कार्ड को भुनाने में जुटी कांग्रेस-बीजेपी
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हिमाचल प्रदेश चुनाव में दलित कार्ड को भुनाने में जुटी कांग्रेस-बीजेपी

दलित राजनीति से आमतौर पर दूर रहने वाले हिमाचल प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दलित कार्ड को भुनाने में जुट गये हैं . दलित मतदाताओं को साधने के लिये दोनों दल ‘दलित सम्मेलनों’ के आयोजन पर खास जोर दे रहे हैं. 

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शिमला: दलित राजनीति से आमतौर पर दूर रहने वाले हिमाचल प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दलित कार्ड को भुनाने में जुट गये हैं . दलित मतदाताओं को साधने के लिये दोनों दल ‘दलित सम्मेलनों’ के आयोजन पर खास जोर दे रहे हैं . हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की 25 प्रतिशत दलित आबादी को साधने में कांग्रेस और भाजपा दोनों दल जोरशोर से जुट गए हैं . राज्य में दोनों दलों की ओर से ‘दलित सम्मेलनों’ के आयोजनों का सिलसिला शुरू हो गया है और इसमें दलित बहुल इलाकों पर खास ध्यान दिया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो प्रदेश में चुनाव कभी जातिवाद पर आधारित नहीं रहे हैं . आमतौर पर विधानसभा चुनाव को लोग क्षेत्रीय मुद्दों के आधार पर देखते रहे हैं जबकि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहते हैं . लेकिन इस बार जहां कांग्रेस अपनी सत्ता कायम करने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है, तो भाजपा भी राज्य में सत्ता हासिल करने में कोई कमी नहीं रख रही है, ऐसे में दलितों का विषय प्रमुखता से उठ रहा है.

  1. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस-बीजेपी की नजर दलित वोटों पर
  2. राज्य की 68 में से 17 सीटें एसी, 3 सीटें एसटी के लिए रिजर्व
  3. दलित सम्मेलनों के जरिए वोटरों को अपने पक्ष में करने की कवायद

राज्य में 68 सदस्यीय विधानसभा में 20 सीटें आरक्षित हैं जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग के लिये आरक्षित सीटों की संख्या 17 है जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये तीन सीटें आरक्षित हैं . अनुसूचित जाति वर्ग के लिये आरक्षित सीटों में चूड़ा , इंदोरा, जयसिंहपुर, बैजनाथ, अन्नी, कर्सोग, नाचन, बाल्ह, भोरंज, चिंतपूर्णी, भंडूटा, सोलन, कसौली, पच्छाड, श्रीरेणुकाजी, रामपुर, रोहरू शामिल है. अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये आरक्षित सीटों में भारमौर, लाहौल स्पीति और किन्नौर शामिल है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में आयेंगे . इस मौके पर वे बिलासपुर में प्रदेश के पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का शिलान्यास करेंगे . बिलासपुर सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिये आरक्षित सीट है. प्रदेश में ‘50 प्लस’ मिशन को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने दलित सम्मेलनों की शुरूआत की. इन सम्मेलनों का आयोजन खासतौर पर ऐसे क्षेत्रों में किया जा रहा है जो सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये आरक्षित हैं या जिन क्षेत्रों में दलितों की अच्छी खासी आबादी है. भाजपा इन क्षेत्रों में छोटी छोटी सभाएं कर रही है और वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की कमियों को गिना रही है. 

 

हमीरपुर में जहां प्रेम कुमार धूमल ने दलित स्वाभिमान सम्मेलन में हिस्सा लिया, तो जुब्बल कोटखई में प्रदेश प्रभारी मंगल पांडे में कार्यक्रम को संबोधित किया . पार्टी बद्दी और ढालपुर में भी ऐसे कार्यक्रम का आयोजन कर चुकी है. भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रदेश में अब तक 50 ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है.

दलित समुदाय को लुभाने की कांग्रेस की कवायद
विधानसभा चुनाव से पहले दलितों को लुभाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं दिखना चाहती है . कांग्रेस ने सोलन जिले से दलित सम्मेलनों के आयोजन का कार्यक्रम शुरू किया है और यह कसौली, कुमारहट्टी में खास तौर पर देखा जा सकता है. इसके बाद सुबाथू में पार्टी ने एक और दलित सम्मेलन का आयोजन किया था . प्रदेश प्रभारी सुशील कुमार शिंदे दलित कार्यक्रमों पर खास जोर दे रहे हैं . कांग्रेस ने धर्मपुर के हरोली में भी दलित सम्मेलन का आयोजन किया . कांग्रेस की ओर से दलित सम्मेलनों में भाजपा पर आरक्षण को समाप्त करने के प्रयास करने का आरोप भी लगाया जा रहा है.

भाजपा के हिमाचल प्रदेश मामलों के प्रभारी मंगल पांडे ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि भाजपा की सोच अनुसूचित जाति, पिछड़े व गरीब वर्ग का सामाजिक उत्थान करना है . देश एवं प्रदेश में अधिकतर समय कांग्रेस की ही सरकारें रहीं, लेकिन इतने दशकों में दलित वर्ग क्यों पिछड़ा रहा. इस तबके का सामाजिक एवं आर्थिक विकास क्यों नहीं हुआ. योजनाएं बनीं, लेकिन निचले तबके तक इसका लाभ नहीं मिला.

उन्होंने दावा किया कि जब से केंद्र में मोदी सरकार आई हैं, हर वर्ग का भला देख रही है . कमजोर तबकों के सशक्तिकरण पर खास ध्यान दे रही है. प्रदेश चुनाव के संदर्भ में हम लोगों को जन कल्याण और दलित सशक्तिकरण के हमारे काम के बारे में बता रहे हैं . हिमाचल प्रदेश मामलों की कांग्रेस की सह प्रभारी रंजीत रंजन ने कहा कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर निशाना साधने के अलावा कोई मुद्दा नहीं है . भाजपा हमारे मुख्यमंत्री पर लगातार हमला कर रही है, स्पष्ट है कि निशाना उसे ही बनाया जाता है, जो मजबूत हो .

उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी है, तब से दलित समुदाय समेत कमजोर वर्ग की हालत खराब हुई है, उनके खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं . प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली हमारी कांग्रेस सरकार ने दलितों के उत्थान के लिये लगातार काम किया जबकि भाजपा दलितों कों बांटने का काम कर रही है.

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