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नई दिल्ली : राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) प्रकरण में एक नया नया मोड़ आया जब भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने छह सदस्यीय आयोग में दो प्रमुख व्यक्तियों के चयन के लिए तीन सदस्यीय पैनल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि न्यायमूर्ति दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि जब तक शीर्ष अदालत इस मामले में कोई निर्णय नहीं सुनाती तब तक वह पैनल की बैठक में शामिल नहीं होंगे।
संविधान पीठ उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित इस नये कानून की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। तीन सदस्यीय पैनल में प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता हैं, जो उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित छह सदस्यीय एनजेएसी में दो मशहूर व्यक्तियों के चयन एवं उनकी नियुक्ति के लिए अधिकृत हैं। जब एनजेएसी का मामला न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की संविधान पीठ के संज्ञान में लाया गया तो पीठ ने विभिन्न वरिष्ठ वकीलों की राय सुनी कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कैसे मामले पर आगे बढ़ा जाए कि निकट भविष्य में उच्च न्यायालय में उन वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीशों के स्थान पर नियुक्ति की संभावना होगी, जिनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है।
वरिष्ठ वकीलों की राय सुनने के बाद न्यायाधीश अपने चैम्बर से चले गए और 15 मिनट बाद फिर एकत्र हुए। न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि पीठ ने मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है और यदि जरूरत महसूस हुई तो वह अंतरिम आदेश जारी करेगी। पीठ ने कहा कि एक आमराय बनी कि हम मामले में गुणदोष के आधार पर सुनवाई जारी रखेंगे और यदि जरूरत हुई तो हम अंतरिम आदेश जारी करेंगे। अटार्नी जनरल ने कहा कि छह सदस्यीय आयोग में मशहूर व्यक्तियों के चयन एवं उनकी नियुक्ति में पैनल का हिस्सा बनना प्रधान न्यायाधीश के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में प्रधान न्यायाधीश के हिस्सा लेने के लिए निर्देश जारी किया जाए।
हालांकि, उनकी राय से वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन ने भिन्न राय प्रकट की। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन की ओर से पेश हो रहे नरीमन ने कहा कि यदि प्रधान न्यायाधीश हिस्सा नहीं ले रहे है तो पीठ अन्य को उसमें हिस्सा लेने के लिए निर्देश दे सकती है। शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी की राय भी जाननी चाही, जिन्होंने कहा कि पीठ को यह देखना होगा कि क्या प्रथम दृष्टया एनजेएसी कानून के कार्यान्वयन पर स्थगन लगाने का मामला बनता है या नहीं।