बीजेपी सांसद का सुझाव, नीति आयोग बैकों से कर्ज लेने वाले किसानों का श्रेणीबद्ध सर्वेक्षण कराए
Advertisement

बीजेपी सांसद का सुझाव, नीति आयोग बैकों से कर्ज लेने वाले किसानों का श्रेणीबद्ध सर्वेक्षण कराए

बीजेपी सांसद ने आरोप लगाया कि आजादी के बाद से दशकों तक खेती के लिए उचित सुविधाएं न मिलने के कारण किसान पीड़ित हुआ है.

यादव ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस और अन्य दलों की केंद्र में सरकार थी तब किसानों के हित नजरंदाज किए गए। (फाइल फोटो )

नई दिल्ली. भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने नीति आयोग को बैकों से कर्ज लेने वाले किसानों का श्रेणीबद्ध सर्वेक्षण कराने का सुझाव दिया है ताकि 10 हजार लेकर 2 लाख रुपए तक का कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या पता चल सके. कृषि पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर 83 प्रतिशत किसान हैं जो लघु और सीमांत हैं. इनमें से 60 प्रतिशत किसान सीमांत है जो कम जमीन होने के कारण खेती के लिये बैंकों से कम कर्ज लेते हैं. उन्होंने कहा कि उन क्षेत्रों में किसानों की आत्महत्या के मामले ज्यादा हैं जहां कपास या नकदी फसलें पैदा की जाती हैं. 

यादव ने सुझाव दिया कि ‘नीति आयोग’ इस बारे में सर्वे कराये कि कितने प्रतिशत किसान बैंकों से कर्ज ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि नीति आयोग यह भी अध्ययन कराए कि लगातार लोन लेने वाले किसानों की संख्या कितनी है, 10 हजार रुपए से नीचे और 50 हजार रुपए से लेकर 2 लाख रुपए के बीच लोन लेने वाले किसानों की संख्या क्या है और दो लाख रुपए से अधिक लोन लेने वाले कितने किसान हैं ? 

कर्जमाफी और किसानों की आत्महत्या पर विपक्ष के आरोपों पर यादव ने कहा कि किसानों की आत्महत्या का प्रमुख कारण लागत वृद्धि, खाद और कीटनाशकों का अवैज्ञानिक तरीके से असंतुलित उपयोग और किसानों को उचित कीमत नहीं मिलना है. उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के बाद से दशकों तक खेती के लिए उचित सुविधाएं न मिलने के कारण किसान पीड़ित हुआ है. 

देश में युवाओं के कृषि कार्य से दूर जाने के बारे में यादव ने कहा कि आजादी के बाद कृषि को लेकर ऐसी नीति नहीं बनाई गई जिससे आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर किसान सम्मानजनक स्थान पा सकें, इसलिए आज किसानों और मजदूरों के पढ़े लिखे बच्चे खेती नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि खेती के वैज्ञानिक तरीकों को तेजी से अपनाये जाने की जरूरत है। किसान अपने उत्पादों को कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं, क्योंकि गांव के हाट आपस में जुड़े नहीं हैं  और वहां सुविधाओं की कमी है। इस दिशा में मोदी सरकार की कृषि मंडियों को जोड़ने की योजना महत्वपूर्ण है। 

कांग्रेस पर आरोप
यादव ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस और अन्य दलों की केंद्र में सरकार थी तब किसानों के हित नजरंदाज किए गए। आज कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल दलितों और किसानों का मसीहा बनने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कार्य में 90 प्रतिशत से अधिक लोग पिछड़े एवं दलित समाज के हैं। ऐसे में किसानों को उनकी फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम देने का फैसला किसानों के साथ साथ दलितों के कल्याण के दिशा में उठाया गया मोदी सरकार का सार्थक कदम है। 

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब तक राज्य सरकारें मंडी की उचित व्यवस्था और पैक्स के माध्यम से फसल खरीदने की व्यवस्था नहीं करेंगी, तब तक किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल सकेगा। इन योजनाओं को लागू करने की प्रथम जिम्मेदारी राज्यों के पास होती है। यादव ने ग्रामीण साप्ताहिक हाटों को ‘मॉल’ जैसी सुविधाओं से लैस करने की वकालत की । 

Trending news