रेप का आरोप लगाकर कोर्ट में बयान से पलटे तो होगा मुकदमा : सुप्रीम कोर्ट
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रेप का आरोप लगाकर कोर्ट में बयान से पलटे तो होगा मुकदमा : सुप्रीम कोर्ट

रेप केस में अगर आरोपी के खिलाफ साक्ष्य कोर्ट में मौजूद हो, इसके बाद भी अगर पीड़िता आरोपी को बचाने की कोशिश करती है तो उल्टा उसी के ऊपर मुकदमा चलाया जाएगा.

रेप जैसे संगीन अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट लगातार लोगों से अपील करता रहता है कि वे पीड़ित पक्ष बिना घबराए अदालत में पहुंचें.

नई दिल्ली: रेप का मुकदमा दर्ज कराने के कुछ दिन बाद ही केस वापस लेने की अर्जी डालने या आरोपी को बचाने के लिए बयान बदलने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा संदेश दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि रेप आरोपी को बचाने के लिए अगर पीड़ित पक्ष उससे समझौता करता है या बयान से पलटता है तो उल्टा उसी के ऊपर केस दर्ज किया जाएगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि उल्टा मुकदमा करने की स्थिति तभी बनेगी जब आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत होंगे. यानी रेप केस में अगर आरोपी के खिलाफ साक्ष्य कोर्ट में मौजूद हो, इसके बाद भी अगर पीड़िता आरोपी को बचाने की कोशिश करती है तो उल्टा उसी के ऊपर मुकदमा चलाया जाएगा.

  1. रेप का आरोप लगाकर कोर्ट में बयान से पलटने वालों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
  2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दबाव बनाकर पीड़िता से बयान बदलवा लेते हैं आरोपी
  3. बयान बदलने पर पीड़िता के खिलाफ दर्ज कराया जा सकता है केस

जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि रेप पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट में भी अगर आरोपी को क्लीनचिट दे दी जाती है, लेकिन अन्य सबूतों के आधार पर कोर्ट को लगता है कि रेप हुआ था. इसके बाद भी पीड़िता आरोपी को बचाने की कोशिश करती है तो कोर्ट पीड़िता के ऊपर ही मुकदमा चलाने का आदेश दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी रेप केस के एक मामले में सुनवाई के दौरान की है. दरअसल, इस मामले में कोर्ट ने आरोपी को 10 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में पीड़िता ने कोर्ट में कहा कि उसके साथ रेप नहीं हुआ है.

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किस मामले की सुनवाई में भड़का सुप्रीम कोर्ट
साल 2004 में गुजरात में एक नौ साल की बच्ची के साथ रेप हुआ था. पुलिस की गिरफ्तारी पर पीड़िता ने आरोपी को पहचान भी लिया था, लेकिन छह महीने बाद कोर्ट में पीड़िता ने रेप की बात से पलट गई थी. हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराकर 10 साल की सजा सुनाई थी. दोषी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर पहुंचा था. इसी की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पीड़िता का परिवार बेहद गरीब है. भैंस चराने के दौरान उसका रेप हुआ था. गुजरात हाईकोर्ट ने स्वविवेक का प्रयोग करते हुए समझ लिया था कि पीड़िता पर दबाव बनाकर उसका बयान बदलवाया गया था. इसी आधार पर सजा सुनाई गई है, जो सही है.

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कोर्ट ने कहा कि रेप के मामलों में कोर्ट पीड़िता की हर संभव मदद करता है. सच्चाई सामने लाने के लिए कोर्ट हर तरह की कोशिश करता है. अगर पीड़िता दबाव में आकर बयान बदलते रहेंगे तो कोर्ट कैसे किसी दोषी को जेल भेज पाएगा. ऐसे हालात से निपटने में रेप पीड़िता के बयान पलटने पर उसी के खिलाफ मुकदमा चलाने का प्रयास सफल हो सकता है. इससे आरोपी के मन में भी डर पैदा होगा कि वह पीड़िता पर दबाव बनाने से बचेगा.

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