'इनकम टैक्स कानूनों में बदलाव से कायम होगा इंस्पेक्टर राज'
Advertisement

'इनकम टैक्स कानूनों में बदलाव से कायम होगा इंस्पेक्टर राज'

वित्त विधेयक के जरिये कई महत्वपूर्ण कानूनों में बदलाव का कड़ा विरोध करते हुए विपक्षी दलों ने बुधवार को आरोप लगाया कि इसके जरिये सरकार संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है तथा राज्यसभा के अधिकारों को कमतर कर रही है तथा जिस तरह से आयकर अधिकारियों को अनावश्यक अधिकार दिये जा रहे हैं उससे देश में इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मौजूदा सरकार महत्वपूर्ण विधेयकों को उच्च सदन में मतदान से बचने के लिए उन्हें धन विधेयक में परिवर्तित कर देती है. (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: वित्त विधेयक के जरिये कई महत्वपूर्ण कानूनों में बदलाव का कड़ा विरोध करते हुए विपक्षी दलों ने बुधवार को आरोप लगाया कि इसके जरिये सरकार संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है तथा राज्यसभा के अधिकारों को कमतर कर रही है तथा जिस तरह से आयकर अधिकारियों को अनावश्यक अधिकार दिये जा रहे हैं उससे देश में इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा.

वित्त विधेयक 2017.18 पर राज्यसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मौजूदा सरकार महत्वपूर्ण विधेयकों को उच्च सदन में मतदान से बचने के लिए उन्हें धन विधेयक में परिवर्तित कर देती है. उन्होंने कहा कि यह सरकार की राजनीतिक मजबूरी हो सकती है. किन्तु जिस प्रकार वित्त विधेयक में 40 कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव किये गये हैं, उससे राज्यसभा के सदस्यों के अधिकारों को कुचला जा रहा है.

उन्होंने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन’ का वादा किया था. किन्तु आज स्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गयी हैं. उन्होंने कहा कि आयकर कानून में छापों के सन्दर्भ में जिस तरह के संशोधन लाये गये और जिस तरह से आयकर अधिकारियों को अधिकार दिये गये हैं, उससे देश में बड़े पैमाने पर इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी तक आयकर छापे मारने के लिए आयुक्त स्तर के अधिकारी की अनुमति की जरूरत पड़ती थी किन्तु ताजा संशोधन के जरिये यह अधिकार उपायुक्त स्तर के अधिकारियों को भी दिये गये हैं.

सिंह ने कहा कि गुजरात के एक पूर्व भाजपा विधायक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नोटबंदी के दौरान अहमदाबाद शहरी सहकारी बैंक में बड़ी मात्रा में नये नोट पहुंचने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि इस बैंक में उस दौरान कितने नोट पहुंचाये गये. कांग्रेस नेता ने कहा कि ग्रामीण सहकारी बैंकों को चार दिनों के लिए पुराने नोट जनता से लेने का अधिकार दिया गया जो बाद में वापस ले लिया गया. उन्होंने कहा कि इन बैंकों में रखे पुराने नोटों का क्या होगा क्योंकि इन बैंकों को पुराने नोटों के लिए ब्याज भी देना पड़ रहा है.

जदयू के हरिवंश ने कहा कि वित्त विधेयक के प्रावधानों के कारण इसके पारित होने के बाद सरकार और उच्चतम न्यायालय में टकराव होने की प्रबल आशंका है. उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक के जरिये 18 न्यायाधिकरणों का विलय किया गया है. यदि इसके लिए सरकार अलग से कानून लाती और उस पर विस्तृत चर्चा होती तो कुछ नये सुझाव सामने आते. उन्होंने कहा कि यदि प्रस्तावित संशोधन पारित हो जाते हैं तो सरकार को न्यायाधिकरणों में अपने लोगों को बैठाने का अवसर मिलेगा. न्यायाधिकरण में आने वाले अधिकतर मामलों में सरकार एक पक्ष होती है. ऐसे में यह संशोधन प्रस्ताव प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध हैं.

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने 13 लाख लोगों को नोटिस भेजे हैं. ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट से सम्पर्क करना पड़ा. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से चार्टर्ड एकाउंटेंटों की आय अचानक बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस प्रकार आयकर अधिकारियों को बहुत से अधिकार देने का प्रस्ताव किया है उसे देश धीरे धीरे फिर से इंस्पेक्टर राज में प्रवेश कर जाएगा.

माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि बहुमत के आधार पर संवैधानिक प्रावधानों के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने न्यायाधिकरणों के मामले में सरकार द्वारा लाये गये प्रावधानों का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सरकार हमारे संविधान के प्रति गंभीर अपराध कर रही है. इससे देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होंगी.

मनोनीत के टी एस तुलसी ने कहा कि सरकार का अपनी विभिन्न कल्याण योजना के लिए आधार को अनिवार्य बनाये जाने का कदम उच्चतम न्यायालय के निर्देश के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने रसोई गैस सब्सिडी सहित मात्र छह योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने आधार को लेकर लोगों के व्यक्तिगत आंकड़ों की हैकरों से सुरक्षा के लिए क्या उपाय किये हैं. तुलसी ने वित्त विधेयक के जरिये सात न्यायाधिकरणों को बंद किये जाने के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा कि सरकार न्यायाधिकरण प्रणाली में बदलाव कर रही है.

Trending news