भारत-फ्रांस के रिश्तों में जुड़े नए आयाम; आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष, हिंद महासागर सुरक्षा पर एकजुट
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भारत-फ्रांस के रिश्तों में जुड़े नए आयाम; आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष, हिंद महासागर सुरक्षा पर एकजुट

सुषमा स्वराज ने कहा कि हमारे (भारत-फ्रांस) बीच अपनी द्विपक्षीय भागीदारी को गहन बनाने, तथा साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं शोध समेत विभिन्न क्षेत्रों में भारत-फ्रांस सहयोग को मजबूत करने की जरूरत पर भी सहमति हुई.

अपने फ्रांसिसी समकक्ष ज्यां यीब्स ला दारियां का स्वागत करतीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज. (MEAIndia/Twitter/17 Nov, 2017)

नई दिल्ली: आतंकवाद के प्रसार से गंभीर रूप से चिंतित भारत और फ्रांस ने आतंक के खिलाफ सहयोग को मजबूत बनाने का निर्णय किया, साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवादियों का वित्त पोषण, संरक्षण और पनाहगाह मुहैया कराने वाले देशों का विरोध करने को कहा. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने फ्रांसिसी समकक्ष ज्यां यीब्स ला दारियां के साथ विविध विषयों पर व्यापक चर्चा की और हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने का भी निर्णय किया. यह फैसला ऐसे समय में किया गया है जब कुछ ही दिन पहले जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ भारत ने मनीला में भारत आसियान शिखर सम्मेलन से इतर चर्चा की.

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ अगले वर्ष फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के बारे में चर्चा की. फ्रांस के मंत्री के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सुषमा स्वराज ने कहा, ‘हमने विश्व में बढ़ते हुए आतंकवाद पर गहरी चिंता व्यक्त की. दोनों देशों ने एक-साथ मिलकर इस बुराई को हटाने का संकल्प लिया, और विश्व के सभी देशों से अपील की, कि वो आतंकवाद को धन देने वाले, उनको शरण देने वाले और समर्थन देने वाले देशों का एकजुट होकर विरोध करें.’ 

उन्होंने कहा कि असैन्य परमाणु सहयोग हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. दोनों पक्षों ने जैतापुर परियोजना को अविलंब कार्यान्वित किए जाने के लिए ठोस उपायों पर भी चर्चा की. सुषमा ने कहा कि समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों पक्षों ने हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते सहयोग पर चर्चा की, जहाँ भारत और फ्रांस दोनों की मौजूदगी बेहद महत्वपूर्ण है. इस सहयोग का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में निर्बाध व्यापार और आवागमन के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री-गलियारे की सुरक्षा सुनिश्चित करना, समुद्री आतंकवाद और समुद्री डकैती का मुकाबला करना, समुद्री क्षेत्र के बारे में जागरूकता पैदा करना, क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर क्षमता निर्माण करना और अधिकाधिक समन्वयन करना है जिसमें अन्य इच्छुक रणनीतिक भागीदार देश भी शामिल हो सकते हैं. 

विदेश मंत्री ने कहा कि फ्रांस, सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे का समर्थन करता रहा है. फ्रांस ने बहु स्तरीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था की सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का भी निरंतर समर्थन किया है जिनमें परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, बासेनार समझौता और ऑस्ट्रेलिया समूह शामिल है. सुषमा ने कहा कि हमने सुरक्षा सहयोग को द्विपक्षीय स्तर पर तथा बहुपक्षीय मंचों पर और प्रगाढ़ बनाने तथा सभी प्रकार के तथा सभी रूपों में आतंकवाद से मुकाबला करने के प्रति, हमारी प्रतिबद्धताओं को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है.

सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत, फ्रांस के साथ अपनी रणनीतिक भागीदारी को बहुत महत्व देता है. हमारे दोनों देशों में बहुत-सी समानताएं हैं. दोनों देश बहुध्रुवीय नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को सुरक्षित रखने, प्रतिमानों और सिद्धांतों को बनाए रखने और वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए मिलकर काम करने, दुनिया के सभी भागों में सर्वसमावेशी उन्नति और टिकाऊ विकास के लिए, स्वाभाविक भागीदारों के रूप में एक-दूसरे को महत्व देते हैं. उन्होंने कहा कि रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग, अंतरिक्ष सहयोग और असैन्य परमाणु सहयोग हमारी रणनीतिक भागीदारी के तीन प्रमुख स्तम्भ हैं. भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग बहुत मजबूती से बढ़ता जा रहा है जिसमें संस्थागत संपर्क, संयुक्त सैन्य अभ्यास, अधिग्रहण, प्रशिक्षण और शामिल हैं.

विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे बीच अपनी द्विपक्षीय भागीदारी को गहन बनाने, तथा साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं शोध समेत विभिन्न क्षेत्रों में भारत-फ्रांस सहयोग को मजबूत करने की जरूरत पर भी सहमति हुई. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में फ्रांस आरंभ से ही हमारा भागीदार रहा है. हमने साथ मिलकर बहुत-सी परियोजनाएं शुरू की हैं और बहुत-से मिशन पूरे किए हैं. आज हमने अपने भावी अंतरिक्ष सहयोग को एक सुस्पष्ट आकार देने की संभावना का पता लगाया.

सुषमा ने कहा कि भारत फ्रांस के साथ अपनी बहुपक्षीय भागीदारी को महत्व देता है. हमारे बीच 10.95 अरब अमरीकी डॉलर का कारोबार यह बताता है कि कारोबार वृद्धि की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं. इस समय लगभग 1000 फ्रांस की कंपनियां भारत में हैं जिसका कुल कारोबार 20 अरब अमरीकी डॉलर है और इनमें 3,00,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हमारी मजबूत अर्थव्यवस्थाएं हमें अपने वाणिज्यिक सहयोग को और मजबूत करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करती हैं. स्मार्ट सिटी, स्वच्छ ऊर्जा, परिवहन तथा अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में फ्रांसीसी कंपनियों की भूमिका का हम बहुत स्वागत करते हैं.दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन का समाधान तलाशना, और सुरक्षित, कारगर तथा टिकाऊ ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ावा देना हमारी मुख्य साझा प्राथमिकताएं हैं.

भारत और फ्रांस के संबंधों को नई स्तर पर पहुंचने का जिक्र करते हए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने अगले वर्ष अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के स्थापना सम्मेलन को सफल बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की भी पुन पुष्टि की है. आवागमन और एक दूसरे स्थान पर आने जाने संबंधी मुद्दे हमारे व्यापक बहुआयामी संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक हैं. दोनों पक्षों के बीच सद्भावना को देखते हुए इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी को आगे बढ़ाकर हम परस्पर लाभान्वित ही होंगे.

सुषमा ने कहा कि हम बोंजोर इंडिया (नमस्ते इंडिया) कार्यक्रम का स्वागत करते हैं जिसका शुभारंभ शनिवार (18 नवंबर) को किया जाएगा. नवंबर 2017 से फरवरी 2018 तक चार माह तक चलने वाला यह महोत्सव भारत भर में आयोजित किया जाएगा. कोलकाता से अहमदाबाद तक और कोच्चि से लखनऊ तक भारत के प्रमुख मेलों तथा महोत्सवों में साझेदारी से रचनात्मक संभावनाएं दिखाई देंगी. उन्होंने कहा कि हम अगले वर्ष के प्रारंभ में राष्ट्रपति मैक्रॉन की भारत की यात्रा का उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं. 

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