चाबहार पोर्ट समझौते पर भारत और ईरान ने किए दस्तखत, मोदी ने इसे ‘एक नए अध्याय’ की शुरुआत बताया
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चाबहार पोर्ट समझौते पर भारत और ईरान ने किए दस्तखत, मोदी ने इसे ‘एक नए अध्याय’ की शुरुआत बताया

भारत और ईरान के बीच सोमवार को कई समझौतों पर दस्तखत हुए जिसमें रणनीतिक तौर पर अहम चाबहार बंदरगाह को लेकर हुआ समझौता शामिल है। दक्षिणी ईरान के चाबहार बंदरगाह से पाकिस्तान से गुजरे बगैर भारत अफगानिस्तान और यूरोप तक संपर्क कायम कर सकेगा। दोनों देश कट्टरपंथ और आतंकवाद से लड़ने में सहयोग पर भी सहमत हुए।

चाबहार पोर्ट समझौते पर भारत और ईरान ने किए दस्तखत, मोदी ने इसे ‘एक नए अध्याय’ की शुरुआत बताया

तेहरान : भारत और ईरान के बीच सोमवार को कई समझौतों पर दस्तखत हुए जिसमें रणनीतिक तौर पर अहम चाबहार बंदरगाह को लेकर हुआ समझौता शामिल है। दक्षिणी ईरान के चाबहार बंदरगाह से पाकिस्तान से गुजरे बगैर भारत अफगानिस्तान और यूरोप तक संपर्क कायम कर सकेगा। दोनों देश कट्टरपंथ और आतंकवाद से लड़ने में सहयोग पर भी सहमत हुए।

चाबहार बंदरगाह के विकास से जुड़े द्विपक्षीय समझौते के अलावा भारत, अफगानिस्तान और ईरान ने परिवहन और ट्रांजिट कॉरिडोर पर एक त्रिपक्षीय समझौते पर दस्तखत किए। परिवहन और ट्रांजिट कॉरिडोर समझौते के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे ‘क्षेत्र के इतिहास की धारा बदल सकती है।’ भारत चाबहार बंदरगाह के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा।

मोदी और मेजबान देश के राष्ट्रपति हसन रूहानी के बीच हुई विस्तृत चर्चा के बाद भारत और ईरान ने द्विपक्षीय समझौतों पर दस्तखत किए। एक एल्युमिनियम संयंत्र की स्थापना और अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया तक भारत को पहुंच कायम करने देने के लिए एक रेल लाइन बिछाने को लेकर भी द्विपक्षीय समझौते हुए।

इन समझौतों का मकसद अलग-अलग क्षेत्रों, जिसमें अर्थव्यवस्था, व्यापार, परिवहन, बंदरगाह विकास, संस्कृति, विज्ञान एवं शैक्षणिक सहयोग शामिल हैं, में भारत-ईरान के रिश्तों को गहरा बनाना है।

मोदी की यह यात्रा पिछले 15 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय ईरान यात्रा है। ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर पश्चिमी देशों के साथ तेहरान के ऐतिहासिक परमाणु करार के बाद ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए जाने के बाद मोदी की यह यात्रा हो रही है। इससे पहले, अप्रैल 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ईरान की यात्रा की थी। एक भारतीय संयुक्त उपक्रम द्वारा ईरान के दक्षिणी तट पर चाबहार पोर्ट के पहले चरण के विकास के अनुबंध के तौर पर प्रमुख समझौते पर दस्तखत किए गए।

ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार पोर्ट फारस की खाड़ी के बाहर है और बगैर पाकिस्तान से गुजरे हुए भारत के पश्चिमी तट से इस तक पहुंच कायम की जा सकती है। रूहानी के साथ संयुक्त तौर पर मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘चाबहार पोर्ट और इससे जुड़ी आधारभूत संरचना विकसित करने और इस उद्देश्य के लिए भारत की तरफ से 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराने से संबंधित द्विपक्षीय समझौता एक मील का पत्थर है।’ 

मोदी ने कहा, ‘इस बड़े प्रयास से क्षेत्र में आर्थिक संवृद्धि में तेजी आएगी। हम उन समझौतों को जल्द लागू करने के कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिन पर आज दस्तखत किए गए।’ चाबहार पोर्ट के विकास से जुड़े परिवहन एवं ट्रांजिट कॉरिडोर संबंधी त्रिपक्षीय समझौते पर बाद में भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने दस्तखत किए। मोदी, रूहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की मौजूदगी में इस समझौते पर दस्तखत हुए। 

मोदी ने इसे ‘एक नए अध्याय’ की शुरूआत करार देते हुए कहा कि ‘आज हम इतिहास बनते देख रहे हैं, न सिर्फ हम तीन देशों के लोगों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए। यह संपर्कों का बंधन तैयार करेगा।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समझौता क्षेत्र में ‘शांति एवं समृद्धि के नए रास्ते निकालने’ के तहत किया गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस कॉरिडोर से निर्बाध आर्थिक संवृद्धि को गति मिलेगी और युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कर उन्हें कट्टरपंथ की तरफ कदम बढ़ाने से रोका जा सकेगा।

उन्होंने कहा, ‘आर्थिक लाभ का दायरा तीन देशों से कहीं ज्यादा होगा। इसकी पहुंच मध्य एशियाई देशों तक हो सकती है। यह एक तरफ दक्षिण एशिया को और दूसरी तरफ यूरोप को जोड़ सकता है।’ मोदी ने जोर देकर कहा कि इस समझौते से उनके खिलाफ आपसी समर्थन से खड़े होने की हमारी क्षमता मजबूत होगी जिनका एकमात्र मकसद निर्दोषों को मारना है। इसकी सफलता क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए सकारात्मक बात होगी।’ चाबहार समझौते को तीनों देशों के बीच के रिश्तों में ‘बसंत’ करार देते हुए रूहानी ने संभवत: पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह ‘किसी देश के खिलाफ नहीं’ है।

फारसी शायर हाफिज की एक रचना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘रोज़े-हिज्रो-शबे-फ़ुक़रुते-यार आख़र शुद...ज़दम इन फ़ालो-गुज़श्त अख़्तरो कार आखर शुद्’ यानी जुदाई के दिन खत्म हो गए, इंतजार की रात खत्म हो रही है, हमारी दोस्ती हमेशा बरकरार रहेगी।

इससे पहले, मोदी और रूहानी ने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान आपसी हित से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की। मोदी और रूहानी ने शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के दौरान क्षेत्र में बढ़ती अस्थिरता, कट्टरपंथ और आतंकवाद के विषय पर चर्चा की।

दोनों नेताओं ने इस बात पर साझा रुख प्रकट किया कि आतंकवाद और कट्टरवाद क्षेत्र में शांति और अस्थिरता के समक्ष कई चुनौतियां पेश करता है।

उल्लेखनीय है कि दोनों नेताओं की पिछले वर्ष रूस के उफा में मुलाकात के दौरान इस विषय पर चर्चा हुई थी। मोदी ने कहा, ‘क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि में भारत और ईरान की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। हम अपने क्षेत्र में अस्थिरता, कट्टरपंथ और आतंक की ताकतों के विस्तार पर चिंताओं को साझा करते हैं।’ दोनों देशों ने आतंकवाद, कट्टरपंथ, मादक पदाथरे की तस्करी और साइबर अपराध के खतरों से निपटने के लिए करीबी और नियमित सम्पर्क पर सहमति व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने अपनी क्षेत्रीय और नौवहन सुरक्षा से जुड़ी रक्षा और सुरक्षा संस्थाओं के बीच संवाद को बढाने का निर्णय किया। ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और ईरान ने आतंकवाद से निपटने के लिए खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की।

रूहानी ने कहा, ‘इस क्षेत्र विशेष तौर पर अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, यमन जैसे देशों में स्थिरता और सुरक्षा के महत्व को देखते हुए, क्योंकि इन क्षेत्रों में आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। दोनों देशों ने राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की और खुफिया सूचनाओं में सहयोग पर सहमति व्यक्त की।’ दोनों देशों के बीच प्राचीन ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि रूहानी और वे इन संबंधों के शानदार भविष्य के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगे।

मोदी ने कहा, ‘हमारी मित्रता इस क्षेत्र में स्थिरता का कारक बनेगी।’ गालिब के शेर को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार तय कर लिया जाए तब काशी और कशान के बीच दूरी आधा कदम ही है। मोदी ने कहा कि भारत और ईरान नये मित्र नहीं है, हमारी दोस्ती इतिहास के समान पुरानी है।

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